बिहार शरीफ । नालंदा महिला कॉलेज के प्रांगण में राष्ट्रीय सेवा योजना तथा उर्दू विभाग द्वारा विश्व उर्दू दिवस के मौके पर जशन-ए- उर्दू मनाया गया। उर्दू के क़ौमी शायर अल्लामा इक़बाल के जन्म दिवस को विश्व उर्दू दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रोग्राम का आग़ाज़ उर्दू विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ आसिया परवीन ने इस शेर से की उर्दू जिसे कहते हैं तहज़ीब का चश्मा है वह शख़्स मुहज़्जिब है जिसको यह ज़ुबां आई प्राचार्य मुसर्रत जहां तथा शिक्षकों ने शमा अफ़रोज़ी करके कार्यक्रम की शुरुआत की।
दो आशिया परवीन ने उर्दू ज़बान की अहमियत व अफ़ादियत पर प्रकाश डाला। उर्दू हिंदुस्तान में पैदा हुई हिंदुस्तान की बेटी है यह यही पली बढ़ी और आज एक बड़ा सरमाया उर्दू अदब में महफूज़ है ।उर्दू के शायर और लेखकों ने इसके फ़रोग़ मे अहम रोल अदा किया । अब ज़रूरत है आने वाली नस्ल को उर्दू की तालीम दे उर्दू किसी धर्म या मज़हब की ज़ुबान नही बल्कि शुद्ध हिन्दुस्तानी ज़बान है और हर हिन्दुस्तानी इस ज़बान को लिख पढ़ और सीख सकता है | जरूरत है सिर्फ जागरूक होने की उर्दू की छात्रा सालेहा खातून ने उर्दू है मेरा नाम मे खुसरो की पहली नज़्म तरन्नुम के साथ पेश किया,
सानिया प्रवीण ने खुदकी रचित कविता आसमान के नाम से सुनाया । अतिया , सालेहा और नाज़िया ने कौमी तराना (सारे जहाँ से अच्छा) दिल को लुभाया तो वहीं रिशु, मुस्कान ने उर्दू शायरी पेश की | सानिया, मुस्कान, अतिया और शमा ने उर्दू दिवस पर पोस्टर बनाकर प्रस्तुत किया | इस मौके पर डा० कनिका मंडल, डा० नागमनी कुमार, डा० रामधनी पाल, डा इफ्फत शाहीन, डा० वर्षा रानी, डा० प्रशांत कुमार, डा० सुमन उपस्थित रहे । साथ ही एनएसएस की वालिंटियर्स रिशु, जैनब, भूमी, नौशी, नाज तथा उर्दू विभाग एवं महाविद्यालय की छात्राएं उपस्थित रही ।