Friday, December 20, 2024
Homeकार्यक्रमप्रख्यात चिकित्सक डॉ. दयानन्द प्रसाद के श्राद्धकर्म पर श्रद्धांजलि सभा

प्रख्यात चिकित्सक डॉ. दयानन्द प्रसाद के श्राद्धकर्म पर श्रद्धांजलि सभा

प्रख्यात चिकित्सक डॉ. दयानन्द प्रसाद के श्राद्धकर्म पर श्रद्धांजलि सभा एवं महाभोज, जुटे शहर के गणमान्य लोग,●साहित्यकारों ने नम आंखों से दी श्रद्धांजलि,●हिंदी साहित्य सम्मेलन नालंदा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. दयानन्द प्रसाद के निधन पर श्रद्धांजलि सभा 

प्रख्यात चिकित्सक डॉ. दयानन्द प्रसाद के श्राद्धकर्म पर श्रद्धांजलि सभा

बिहारशरीफ 18 दिसम्बर 2024 : स्थानीय बिहारशरीफ के आई.एम.ए.हॉल में 17 दिसम्बर 2024 दिन मंगलवार देरशाम शंखनाद साहित्यिक मंडली के तत्वावधान में प्रख्यात चिकित्सक व साहित्यकार डॉ. दयानन्द प्रसाद की असामयिक निधन पर शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह की अध्यक्षता में श्राद्धकर्म पर श्रद्धांजलि सभा एवं महाभोज का आयोजन किया गया। इस मौके पर स्व. डॉ. दयानन्द प्रसाद के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर उनके चिकित्सकीय एवं साहित्यिक जीवन की चर्चा की गई। मौके पर शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि हिंदी साहित्य सम्मेलन नालंदा के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय डॉ. दयानन्द प्रसाद जी वास्तव में एक कुशल योग्य और निष्ठावान चिकित्सक थे। स्वर्गीय डॉ. दयानन्द जी का जन्म पटना जिले के घोसवरी थाना ग्राम- कुर्मीचक में सन् 5 फरवरी 1951 को हुआ था। इनके पिताश्री स्व० परमेश्वर प्रसाद और माता स्व० सुदामा देवी थे। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा मध्य विद्यालय कुर्मीचक तथा उच्चतर शिक्षा ग्रामीण परिवेश में उच्च विद्यालय कुर्मीचक में ही हुई। उच्चतर शिक्षा साईस कॉलेज, पटना से किये थे। ये वर्तमान में परिवार के साथ अपने आवास बिहारशरीफ डॉक्टर्स कॉलोनी खन्दकपर रह रहे थे। हिंदी-मगही मणि साहित्यकार एवं प्रख्यात चिकित्सक डॉ. दयानन्द प्रसाद का निधन 05 दिसम्बर 2024 दिन गुरूवार को हुआ। इनके मौत से चिकित्सा एवं साहित्य जगत से जुड़े लोग मर्माहत हैं। ये साहित्यकार के साथ-साथ उच्च कोटि के चिकित्सक थे। ये विभिन्न साहित्यिक मंचों से आजीवन इनका जुड़ाव रहा। इनके द्वारा कई पुस्तकों की रचना की गई है।

प्रख्यात चिकित्सक डॉ. दयानन्द प्रसाद के श्राद्धकर्म पर श्रद्धांजलि सभा

अध्यक्षता करते हुए शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा है कि डॉ. दयानन्द प्रसाद जी हिंदी साहित्य सम्मेलन नालंदा के पूर्व अध्यक्ष थे। डॉ. दयानन्द प्रसाद के निधन से नालंदा के साहित्यिक सदय युग का अंत हो गया है। उनके निधन से वर्तमान साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है। जिसकी भरपाई निकट समय में संभव नहीं है।शंखनाद के मीडिया प्रभारी नवनीत कृष्ण ने कहा इनके आकस्मिक निधन से जो जगह खाली हुई है उसे भर पाना संभव नही हैं।नालंदा के नामचीन छंदकार व साहित्यकार सुभाषचंद्र पासवान ने कहा कि हिंदी, मगही और अंग्रेजी भाषा उनके रग-रग में समाहित था। उनका चिकित्सकीय एवं लेखकीय अवदान हमेशा आदर के साथ लिया जाएगा।

इस अवसर पर स्वर्गीय दयानन्द प्रसाद जी की पत्नी चंचला कश्यप, बड़े पुत्र तितिक्ष चटुल, छोटे पुत्र देवेश चटुल, बड़ी बहू प्रशंषा, छोटी बहू मोनिशा, पौत्र मेधांश चटुल, डॉ. श्याम नारायण, डॉ. अरविन्द कुमार, कवि उमेश प्रसाद ‘उमेश’, समाजसेवी भारत मानस, धीरज कुमार, सुबोध कुमार सिन्हा, राजेश ठाकुर, उमेश प्रसाद, जगदेव कुमार, शम्भू कुमार, शंखनाद के सभी सदस्यों के अलावे शहर कई प्रतिष्ठित गणमान्य लोगों ने उन्हें श्रद्धा सुमन समर्पित किया और अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। श्रद्धांजलि सभा में दो मिनट का मौन रखकर साहित्यकारों एवं कवियों ने डॉ. दयानन्द प्रसाद की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments