उद्यमी महिलाओं की प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न
20 ग्राम पंचायत के उद्यमी महिलाओं ने लिए प्रशिक्षण
बेला काँटा /पिपराइच/चार दिनों की अलग अलग पंचायत से पहुंची उद्यमी महिलाओं का प्रशिक्षण के दौरान बायफ लायवलीहुडस एवं एलएंड टी फाइनेंस के सहयोग से चल रहे प्रशिक्षण की समाप्ति नैयापार खुर्द एवं बेला कांटा पंचायत भवन में समाप्त हुई। कार्यक्रम की कॉर्डिनेटर सुश्री गीता कौर ने बताया कि प्रत्येक दिन कार्यक्रम की,शुरुआत प्रेरणा गीत से हुई जिसमें सभी उद्यमी महिलाओं और डिजिटल सखियों ने गीत के माध्यम से अपने अंदर ऊर्जा का संचार किया, प्रेरणा गीत के बाद जॉइंट प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर सुश्री गीता कौर ने बयाफ संस्था का परिचय देते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम की उद्देश्य पर चर्चा की। कार्यक्रम में इ.डी.पी. प्रशिक्षक कुमुद रंजन सिंह ने उद्यम के प्रकार, मार्केटिंग के विभिन्न पहलू, व्यक्तिगत,लघु और समूह उद्योग की चर्चा की एवं बोर्ड पर समझाया, चाय सत्र के बाद उपस्थित उद्यमी महिलाओं को अलग —अलग समूहों में बांट कर, अलग अलग उद्योग पर एक प्रोजेक्ट का निर्माण एवं चर्चा कराई, जिसमें पहले ग्रुप में सिलाई सेंटर खोलना, दूसरे ग्रुप ने पापड़ बनाना, तीसरे ग्रुप ने पशु पालन के उद्योग, अगरबत्ती उद्योग,सहित अन्य करने संबंधित समूह कार्य चार्ट के माध्यम से किया और इसका प्रस्तुतीकरण भी किया। इससे महिलाओं ने समूह के साथ उद्यम, बजट और बैंक से लोन, मुनाफा एवं अन्य जानकारी को बारीकी से सिखा। ग्रुप प्रस्तुतिकरण के दौरान बेला काटा पंचायत के ग्राम प्रधान श्री शैलेश सिंह, बी डी सी सदस्य और पूर्व प्रधान अखिलेश मौर्य, विनोद कुमार और बायफ ऑफिस गोरखपुर से एम आई एस अखलेश कुमार उपस्थित रहे। इस दौरान ग्राम प्रधान ने महिलाओं के द्वारा दी गई ग्रुप कार्य प्रतुति की सराहना की। भोजन सत्र के बाद उद्यमी जोखिम व्यवसाय शुरू करने और चलाने से जुड़े कई प्रकार के जोखिमों को संदर्भित करता है। यहाँ कुछ प्रमुख उद्यमी जोखिम हैं: वित्तीय जोखिम
1. निवेश की हानि: व्यवसाय में निवेश की हानि होने का जोखिम।
2. ऋण का बोझ: व्यवसाय के लिए लिए गए ऋण का बोझ।
3. नकदी प्रवाह की समस्या: व्यवसाय में नकदी प्रवाह की समस्या होने का जोखिम।
बाजार जोखिम
1. बाजार की मांग में कमी: बाजार की मांग में कमी होने का जोखिम।
2. प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होने का जोखिम।
3. बाजार की प्रवृत्तियों में बदलाव: बाजार की प्रवृत्तियों में बदलाव होने का जोखिम।
संचालन जोखिम
1. उत्पादन में समस्या: उत्पादन में समस्या होने का जोखिम।
2. आपूर्ति श्रृंखला में समस्या: आपूर्ति श्रृंखला में समस्या होने का जोखिम।
3. कर्मचारियों की समस्या: कर्मचारियों की समस्या होने का जोखिम।
नियामक जोखिम
1. नियामक आवश्यकताओं में बदलाव: नियामक आवश्यकताओं में बदलाव होने का जोखिम।
2. नियामक अनुपालन में समस्या: नियामक अनुपालन में समस्या होने का जोखिम।
3. नियामक जुर्माना या दंड: नियामक जुर्माना या दंड होने का जोखिम।
प्रौद्योगिकी जोखिम
1. प्रौद्योगिकी में बदलाव: प्रौद्योगिकी में बदलाव होने का जोखिम।
2. प्रौद्योगिकी की समस्या: प्रौद्योगिकी की समस्या होने का जोखिम।
3. साइबर सुरक्षा की समस्या: साइबर सुरक्षा की समस्या होने का जोखिम।
इन जोखिमों को समझने और प्रबंधित करने से उद्यमी अपने व्यवसाय को सफल बना सकते हैं।
उद्योग जोख़िम,और बेहतर प्रबंधन पर चर्चा करते हुए प्रशिक्षक कुमुद रंजन ने सभी से फीडबैक लिया और ग्रुप फोटो के बाद सत्र की समाप्ति की गई।
इस दौरान सरदार नगर से पी.सी. सी. संतोष कुमार, ग्राम आराजी बनकट से डिजीटल सखी कंचन, ग्राम खझवा से खुशबू चौरसिया, उनौला दोयम से रंजना यादव, पिपरा मिगलान से प्राची पाण्डेय, सोनवे गुनाराह से सुधा देवी, नईयापार से मीना देवी, चिलबिलवा से अनीता यादव, सारंडा से अंजनी विश्वकर्मा, रूद्रपुर से नादरा , आराजी मतौनी से मनीषा देवी, कोनी से मेनिका पासवान, गोपालपुर से अनुष्का देवी, उसका से मेनका सिंह, महुआ खुर्द से आशा, गौरा से सुनीता देवी, लुहसी से शीला देवी, इस्लामपुर से गायत्री सिंह, हेमधापुर से पूजा मिश्रा, आजीविका सखी कौशल्या सहित लगभग 170 लोग शामिल रहे।