नारी शक्ति को स्वाबलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के कई उदाहरण रोजमर्रा की ज़िंदगी मे देखने को मिलती है लेकिन राजगीर नगर परिषद के कचड़े में भविष्य तलाशती महिलाएं नारी सशक्तिकरण की सबसे मजबूत,दर्दनाक और खूबसूरत तस्वीर है। राजगीर प्रखण्ड कार्यालय के कैम्पस में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र राजगीर में कार्यरत लगभग दो दर्जन महिलाएं अपनी कड़ी मेहनत से आधुनिक परिवेश में पुरुषों को आइना दिखा रही है। कचड़ा प्रबंधन में कार्य कर रही है यह महिलाएं फिलहाल नगर परिषद राजगीर के वार्ड 5 और वार्ड 6 में ही कचड़ा उठाव कर रही है। जबकि अन्य वार्डो में केवल पुरुष ही डोर टू डोर कचड़ा उठाव कर रहे हैं। वर्ष 2017 से राजगीर में इस कचड़ा प्रबंधन का शुभारंभ तत्कालीन जिला पदाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम के पहल पर हुई थी जो आज भी चल रही है।
सुबह के सात बजे यह दो दर्जन महिलाएं अपने घर परिवार,बच्चों से दूर होकर अपने कार्य पर आती है और वार्ड क्षेत्र के घरों से लाल और हरे बाल्टी के कचड़े को एकत्रित कर स्वयं ठेले चलाती है और कचड़ा प्रबंधन केंद्र लेकर आती है। फिर इन गीले सूखे कचड़े को अलग कर कचड़े के हर प्रकार को अलग अलग कर उसे खाद्य बनाया जाता है अथवा कचड़े को चुनचुन कर बिक्री लायक बनाया जाता है।इन अपशिष्ट पदार्थों को एकत्रित करने से लेकर इसके बिक्री तक मे काफी मशक्कत इन महिलाओं को करनी पड़ती है फिर भी ये महिलायें स्वाबलंबी और आत्मनिर्भर बनने की चाह में लगातार सँघर्ष कर रही है,बाबजूद इसके इन महिलाओं को पिछले तीन बर्षो से पारिश्रमिक के रूप में महज 6310 रुपये ही मानदेय प्रतिमाह भुगतान किया जाता है जिसमे कोई इजाफा नही किया गया है।कचड़ा प्रबंधन केंद्र की प्रमुख ममता कुमारी ने बताया कि कचड़ा प्रबंधन के माध्यम से नगर परिषद को लगभग चालीस से पचास हजार की मासिक आय होती है। कचड़ा प्रबंधन से जुड़ी महिलाएं ही विभिन्न घरों से कचड़ा उठाने के एवज में प्रतिदिन एक रुपये के हिसाब से प्रत्येक घर से तीस रुपये मासिक लेती है।वही नालन्दा विश्विद्यालय, जु सफारी,नेचर सफारी, शहर के विभिन्न संस्थाए, होटल भी यहां से निर्मित खाद्य को ले जाती है जिससे भी नगर परिषद को आय होती है।
आम तौर पर फेंके जाने वाले इन अपशिष्ट पदार्थों को अपनी मेहनत और लगन से बिक्री के लायक बनाकर ये महिलाएं पहले से ज्यादा स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनकर पुरुषों के लिए उदाहरण बनती जा रही है।
कोरोना के संक्रमण काल मे जब लोग अपने घरों में बंद थे तब भी ये महिलाएं अपने नियत समय पर घर घर जाने का काम कर रही थी। कचड़ा प्रबंधन केंद्र में कार्य कर रही महिलाएं आपस मे एक परिवार की तरह कार्य करती है जिसमें केंद्र की प्रमुख ममता और ऑपरेटर अंजनी अविभावक की भूमिका में दिखती है। वही प्रबंधन में कार्य कर रही महिलाएं पार्वती देवी,उषा देवी, मानो देवी,धानो देवी, धर्मशीला देवी,रिंकू देवी,प्रतिमा देवी सहित अन्य ने बताया कि नगर परिषद को मंहगाई के इस दौर में हम महिलाओं पर विशेष ध्यान देते हुए मानदेय में बढ़ोतरी किया जाना चाहिए।