शासन की नाकामी से फेल हो रहा राजगीर नगर परिषद का सीवरेज प्रोजेक्ट,उदघाटन के पहले ध्वस्त |राजगीर नगर परिषद का सीवरेज प्रोजेक्ट शासन की नाकामी नहीं तो और क्या है। राजगीर के नागरिको की बहुप्रतीक्षित सीवरेज प्रोजेक्ट भ्रष्ट शासनतंत्र की पोल खोलने के लिए जीता जागता सबूत है।48 करोड़ रुपये लागत की यह योजना शासन की लापरवाही से दम तोड़ते दिख रहा है। 1978 में राजगीर अधिसूचित क्षेत्र का पुराना सेवरेज बन्द हुआ था जिसके बाद अनेकों स्तर पर प्रयास के बाद बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने अजातशत्रु किला मैदान में आयोजित राजगीर महोत्सव के मंच से राजगीर सेवरेज प्रोजेक्ट निर्माण की घोषणा की। वर्ष 2013 से राजगीर में सेवरेज प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू हुआ जिसके लिए नगर विकास विभाग ने बुडको को इस कार्य का जिम्मा सौंपा।बुडको ने टेंडर के माध्यम से हैदराबाद की निर्माण कम्पनी क्रूशी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया प्रा लिमिटेड को राजगीर सेवरेज निर्माण के लिए तय किया।देश की राजधानी दिल्ली के तर्ज पर राजगीर में अत्याधुनिक तरीके से सेवरेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण के दौरान जहाँ सरकारी स्तर पर इस प्रोजेक्ट के सन्दर्भ में प्रशंसा की गई थी वह हकीकत में धरातल पर बिल्कुल ही विपरीत है।
शहर के हर घरो से निकले हुए गंदे पानी को सेवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक शहर के गंदे पानी को ले जाने के लिए नगर क्षेत्र के गंजपर एवँ लेदुआ पुल के पास इंटरमीडिएट पम्पिंग स्टेशन बनाया गया है। यदि यह पम्पिंग स्टेशन सही तरीके से कार्य कर रहा होता तो शायद राजगीर के विभिन्न क्षेत्रों पूर्वी भारत धर्मशाला रोड, अशोकनगर,दांगी टोला, जगदेव पथ,मुख्य बाजार,रामहरिपिण्ड रोड, निचली बाजार सहित अन्य इलाकों में सेवरेज के चैम्बर का मल मूत्र युक्त गन्दा पानी सड़को पर नही बहता। इस प्रोजेक्ट की बद्दतर हालात तो तब दिखती है जब मुख्य बाजार के घरों में बरसात में सेवरेज का पानी वापस उनके शौचालयों में रिवर्स होता है। निर्माण कम्पनी क्रूशी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा लिमिटेड इस प्रोजेक्ट को पूरा कर शहर से निकल दी है लेकिन तत्काल में इसकी सारी व्यवस्था नगर विकास विभाग के अंर्तगत बुडको ही देख रही है।
सेवरेज निर्माण के बाद बुडको की लापरवाही का आलम यह है कि शहर के विभिन्न मार्गों और गलियों में मल मूत्र युक्त पानी चैम्बर से बह रहा है लेकिन उसे कोई देखने वाला नही है। हर घर नल जल से लेकर अनेकानेक कार्य योजना में सेवरेज को क्षतिग्रस्त कर ध्वस्त किया जा रहा है लेकिन इसकी कोई जवाबदेही लेने को तैयार नही है। सेवरेज मेंटनेंस औऱ देखरेख के अभाव में लगातार लापरवाही से समस्या दिन प्रतिदिन विकराल होती जा रही है। विभागीय देखरेख के अभाव में सेवरेज प्रोजेक्ट सिर्फ सरकार के लिए कागजो में ही उपलब्धि हो सकती है।आउट ऑफ कंट्रोल हो चुके इस प्रोजेक्ट से अब जाकर नगर के प्रतिनिधियों की आंखे खुली है तभी तो अब जाकर नगर परिषद राजगीर की बोर्ड बैठक में भी सेवरेज के बहने से जनजीवन प्रभावित होने की बात वार्ड पार्षदों द्वारा उठायी गयी।साथ ही सेवरेज से जुड़ी समस्याओं के निराकरण करने वाले किसी प्रतिनिधि का नाम और मोबाइल नम्बर की मांग भी अब प्रतिनिधि करने लगे हैं ताकि जनता का दवाब उनपर न पड़े।
आम तौर पर छोटी छोटी योजनाओं के क्रियान्वयन,उदघाटन का श्रेय लेने के लिए होड़ मची रहती है लेकिन राजगीर का सेवरेज प्रोजेक्ट मेंटनेंस के अभाव और विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से इतना बदनाम हो चुका है कि प्रतिनिधि से लेकर शासन और सरकार भी इस बड़े प्रोजेक्ट के उदघाटन में अब दिलचस्पी नही दिखा पा रही है। फिलहाल बुडको अभीतक नगर परिषद को यह प्रोजेक्ट हैंडओवर नही की है। भविष्य में इस प्रोजेक्ट को सुधारने के लिए विभाग और शासन क्या कदम उठाएगी ये अब आम नागरिकों के समझ से परे है।