Saturday, September 21, 2024
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राजा महिषासुर का शहादत दिवस मनाया गया एंव पुष्यमित्र शुंग का पुतला दहन किया गया।

बिहारशरीफ के दीपनगर में भीम आर्मी (भारत एकता मिशन) सह आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और डॉ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के संयुक्त बैनर तले राजा महिषासुर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर शहादत दिवस मनाया गया एवं पुष्यमित्र शुंग का पुतला दहन किया गया। इस मौके पर डॉ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान प्रदेश अध्यक्ष रामदेव चौधरी भीम आर्मी( भारत एकता मिशन) सह आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रदेश सचिव रंजीत कुमार चौधरी ने संयुक्त रूप से कहा कि महिषासुर बांग देश के राजा थे। पशुपालक राजा के रूप में जाने जाते हैं।उनके राज्य में गौ हत्या पर प्रतिबंध था। वे कुशल प्रियदर्शी राजा थे। सभी को समान पूर्वक देखते थे। ये मनुवदियों को न गुजिराव गुजरा। इनको लोकप्रियता से घबराकर मनुवादियों ने एक सोची समझी साजिश के तहत एक महिला को आगे लाकर इनको जाल में फंसा कर इनकी हत्या की गई। उनकी लोकप्रिय से घबराकर मनुवादियों ने मनगढ़ंत कहानी बनाकर समाज के बीच में एक नया रूप देकर इनको रक्षास के रूप में पेश किया, जिसे आने वाला पीढ़ी इनको नाम से घृणा की दृष्टि से देखें और इतना महान कुशल शासक वीर बलवान महाराज को रक्षास को पेश कर कहीं से न्याय संगत नहीं है, इसको इसलिए किया गया है

कि इतिहास को दफन किया गया है, ताकि आने वाले पीढ़ी न जान सके पुष्यमित्र सम्राट अशोक के मौर्य वंश को अंतिम शासक बृहदत्त के हत्या कर गादी पर काबिज हो गए और हमारे बहुजनों के तरह-तरह से प्रताड़ना करते हुए मनुस्मृति की रचना की गई और उन्होंने घोर दंड प्रावधान किया जिससे हमारे बहुजनों को 5000 सालों तक जीवन कीड़े मकोड़े जीने पर विवस किया गया।आज हमारे बहुजन भाई 36 करोड़ देवी देवता को आज पूजनीय मानते हैं, लेकिन आपको बात को समझना होगा जिसे हमारे पूर्वज के साथ इतना बड़ा अन्याय हो रहा था शोषण अत्याचार हो रहा था उस समय 36000 करोड़ देवी देवता कहां गए थे कोई बचाने नहीं आए थे। आजादी के 76 वर्ष बाद भी डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने संविधान में आपको जीने का मौलिक अधिकार दिए। बाबा साहब ने अपना परिवार की कुर्बानी देते हुए आपको हक और अधिकार के लिए समर्पित हो गए। बचाने मात्र एक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आए।इस अवसर पर राजेंद्र चौधरी राजकुमार भगत सुबोध कुमार संतोष कुमार गिलानी यादव जितन पंडित कृष्णा चौधरी आदि लोग उपस्थित थे।

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