राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाना असंवैधानिक और जनगणना कार्य पूर्णतः गैर शैक्षणिक कार्य इस लिए सूबे के शिक्षकों को जनगणना कार्य से मुक्त करें सरकार। उक्त बातें नवनियुक्त माध्यमिक/उच्च माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा गणेश शंकर पाण्डेय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा। उन्होंने कहा कि सरकार के शिक्षा मंत्री प्रो चन्द्रशेखर जी ने भी अपने हाल में बयान देकर इस नीति को संपुष्ट किया था कि शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिए जाएंगे, परंतु सरकार का जनगणना को लेकर फरमान से सूबे के शिक्षक हतप्रभ हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षकों को जनगणना कार्य करने का फरमान जारी कर अपनी नीति का ही उल्लंघन कर रही है। शिक्षकों के जनगणना कार्य में लगने से राज्य के विद्यालयों में शिक्षा का प्रभावित होना तय है और इसके लिए सरकार स्वयं जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि हैरत की बात तो यह है कि इतनी प्रचंड ठंड में जहां सूबे के विद्यालयों को बंद कर दिया गया है वहीं कतिपय जिले के पदाधिकारियों द्वारा शिक्षकों को विद्यालयी कार्य समेत जनगणना कार्य करने का दिशा निर्देश दिया जाना उनकी अमानवीय सोच को दर्शाता है। पदाधिकारियों के इस अमानवीय फरमान से शिक्षकों को इस शीतलहरी में दोहरी भूमिका निभानी पड़ रही है। जिससे प्रतीत होता है कि सरकार शिक्षकों से मजदूर जैसा व्यवहार कर राष्ट्र निर्माताओं का मजाक उड़ा रही है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जनगणना का पहला दौर प्रारंभ है जिसके तहत 21 जनवरी तक सर्वे व मकानों की गणना की जानी है। इस कार्य में सूबे में लगभग 70 हजार से भी अधिक शिक्षकों को लगाया गया है। उन्होंने सरकार के शिक्षा मंत्री प्रो चन्द्रशेखर जी से इस विषय पर शीघ्र हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा कि शिक्षकों को जनगणना कार्य जैसे गैर शैक्षणिक कार्य से शीघ्र सूबे के शिक्षकों को मुक्त किया जाए ताकि सूबे के विद्यालयों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा ईमानदारी पूर्वक बहाल हो सके।