दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना है जो संस्कृत से लिया गया है जिसका अर्थ होता है दीपों की पंक्ति या दीपों से सजी हुई पंक्ति। इस दिन बहुत सारे दीप और मोमबत्तियां जलाई जाती हैं जिसकी वजह से इस दिन को रौशनी का त्यौहार और दीपोत्सव भी कहा जाता है। दीपावली का त्योहार हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म का सम्मलित त्योहार है। इस त्योहार को ईसा पूर्व 3300 वर्ष पूर्व से लगातार मनाया जाता रहा है। सिंधु घाटी की सभ्यता के लोग भी इस त्योहार को मनाते थे। भारत एक त्यौहारों का देश है जिसमें हर महीने कोई-न-कोई त्यौहार या जयंती मनायी जाती है लेकिन इन्हीं में से एक त्यौहार दीपावली होता है जो एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। दीपावली त्यौहार के पीछे बहुत सी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं। इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही खास कारण है जो भगवान श्री राम से संबंधित है।
इस दिन भगवान श्री राम ने असुर रावण का वध किया था और अपनी पत्नी सीता को रावण की कैद अथार्त लंका से आजाद कराया था। यह पर्व वर्षा ऋतू के जाने के बाद शीत ऋतू के शुरू होने की ओर संकेत करता है। इस त्योहार का ध्यान आते ही मन-मयूर नाच उठता है। यह त्योहार दीपों का पर्व होने से हम सभी का मन आलोकित करता है।
यह त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या की अंधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। दूसरी ओर जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर ने दीपावली के दिन ही बिहार के पावापुरी में अपना शरीर त्याग दिया था। कल्पसूत्र में कहा गया है कि महावीर-निर्वाण के साथ जो अन्तर्ज्योति सदा के लिए बुझ गई है, आओ हम उसकी क्षतिपूर्ति के लिए बहिर्ज्योति के प्रतीक के रूप में दीप जलाए जाते हैं। तीसरी ओर सिख धर्म में इस पर्व को प्रकाशपर्व के रूप में इसलिए मनाया जाता है क्योंकि अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। और, इसके अलावा 1618 में दीवाली के दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को बादशाह जहांगीर की कैद से जेल से रिहा किया गया था। दिवाली का त्यौहार हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मो में भी मनाया जाता हैं जैसे कि जैन, बौद्ध व सिख धर्म। इन सभी धर्मो में इस दिन कुछ न कुछ शुभ हुआ था जिस कारण दिवाली का महत्व और भी बढ़ जाता हैं। बुद्ध धर्म में दिवाली का अत्यधिक महत्व है। ऐसी मान्यता हैं कि बौद्ध धर्म के भगवान गौतम बौद्ध इसी दिन अपनी जन्मभूमि कपिलवस्तु में 18 वर्षो के पश्चात वापस लौटे थे। उनके वापस आने की खुशी में वहां के लोगो ने लाखो दीप प्रज्जवलित कर उनका भव्य स्वागत किया था। उसी समय गौतम बुद्ध ने “अप्पो दीपो भवः” का उपदेश अपने शिष्यों को दिया था। तब से उसकी याद में दिवाली का त्यौहार बौद्ध धर्म में मनाया जाता है। हिन्दू सहित उक्त तीनों ही धर्मों में दीपावली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को साफ करते हैं और त्योहार के कुछ दिन पहले रोशनी से सजाते हैं। वे अधिक आशीर्वाद, स्वास्थ्य, धन और उज्जवल भविष्य पाने के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। इस त्योहार के आने के कई दिन पहले से ही घरों की लिपाई-पुताई, सजावट प्रारंभ हो जाती है। नए कपड़े बनवाए जाते हैं, मिठाइयां बनाई जाती हैं। वर्षा के बाद की गंदगी भव्य आकर्षण, सफाई और स्वच्छ ता में बदल जाती है। लोग एक-दूसरे के गले लगकर दीपावली की शुभकामनाएं देते हैं। गृहिणियां मेहमानों का स्वागत करती हैं। लोग छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का भेद भूलकर आपस में मिल-जुलकर यह त्योहार मनाते हैं। दीपावली नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है।
वर्तमान समय में दीपावली की कुछ बुराईयाँ
किसी अच्छे और खास उद्देश्य को लेकर बने त्यौहार में भी कालांतर में विकार पैदा हो जाते हैं। जो लोग लक्ष्मी जी की पूजा धन की प्राप्ति करने के लिए करते हैं वहीं पर कुछ लोग इनकी पूजा जूआ खेलकर भी करते हैं। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं, लोगों को मानना है की जूआ खेलना एक प्रथा है जिसे पुराने समय से ही खेला जाता रहा है। जोकि इससे समाज व पावन पर्वों के लिए एक कलंक के समान होता है। आज के समय में लोग बहुत अधिक पटाखे फोड़ते हैं जिसकी वजह से वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाता है। प्रदूषण होने की वजह से व्यक्ति को जीवन जीने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पटाखे सावधानीपूर्वक छोड़ने चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी कार्य एवं व्यवहार से किसी को भी दुख न पहुंचे, तभी दीपावली का त्योहार मनाना सार्थक होगा।
दीपावली का त्योहार हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म का सम्मलित त्योहार है – राकेश बिहारी शर्मा
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