बिहारशरीफ, 19 मार्च 2023 : साहित्यिक मंडली शंखनाद के तत्वावधान में बिहार शरीफ के भैसासुर मोहल्ले में साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह के आवास स्थित सभागार में शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह की अध्यक्षता तथा शंखनाद के मीडिया प्रभारी नवनीत कृष्ण के संचालन में मो. जाहिद हुसैन की पुस्तक “द कंसेप्ट ऑफ इंडियन टीचिंग टेक्निक्स” का लोकार्पण किया गया। आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, महासचिव राकेश बिहारी शर्मा, साहित्कार नारायण प्रसाद ने दीप प्रज्जवलन कर किया।
पुस्तक लोकार्पण के मौके पर विषय प्रवेश कराते हुए शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने लोकार्पित पुस्तक और शंखनाद के उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा कि शंखनाद नालन्दा में अपने स्थापना काल से साहित्यिक कृतियों के सृजन के क्षेत्र में निरंतर अग्रसर है। इससे जुड़े रचनाकारों की अनेक पुस्तकें विगत 2020 से लगातार प्रकाशित हो रही हैं। इस कड़ी में आज मो. जाहिद हुसैन की पुस्तक “द कंसेप्ट ऑफ इंडियन टीचिंग टेक्निक्स” का विमोचन शंखनाद साहित्यिक मंडली द्वारा किया गया।
वर्ष 2023 के मार्च महीने में यह तीसरी पुस्तक लोकार्पण समारोह है, जो शंखनाद के सदस्यों द्वारा रचित है। विगत 05 मार्च को नारायण प्रसाद की मगही रचना ‘कप्तान के बिटिया’ तथा 12 मार्च को “हिंदी भाषा और साहित्य का दार्शनिक इतिहास” का विमोचन उदंतपुरी के पर्वत शिखर पर शंखनाद के बेनर तले किया गया था। उन्होंने मो. जाहिद हुसैन द्वारा लिखित पुस्तक की सराहना करते हुए कहा- यह पुस्तक शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के साहित्यिक दृष्टिकोण तथा शिक्षण तकनीक को विकसित करने में सहायक होगी। शिक्षण का तरीका विकसित करने के लिए विद्यार्थियों और शिक्षकों को जिस मूल्यपरक पुस्तक की आवश्यकता होती है। उसके सभी गुण इस पुस्तक में विद्यमान हैं।
साहित्यकार नारायण प्रसाद ने कहा कि यह पुस्तक उच्च शिक्षा में उन बदलावों को दर्शाती है, जिनका भारत ने प्राचीन काल से सामना किया है। ये पुस्तक बौद्धिक उपचार के साथ दिलचस्प पढ़ने को उजागर करती है और इसे सभी आयु के लोगों के लिए पठनीय है। यह पुस्तक समीचीन होते हुए सभी शिक्षकों के लिए अति उपयोगी तथा एक प्रेरणास्रोत है।
समारोह में लोकार्पित पुस्तक के बारे में लेखक मो.जाहिद हुसैन ने बताया कि बच्चे आनंदमय वातावरण में अपनी जिज्ञासा और क्षमता व्यक्त करते हैं। ऐसी गतिविधियों से बच्चों में ज्ञान की प्यास बढ़ती है और वे अपने आप ज्ञान पैदा करने में सक्षम हो जाते हैं, लेकिन प्यास नहीं बुझनी चाहिए, अन्यथा सर्वांगीण विकास रुक जाएगा। यह पुस्तक बच्चों के ज्ञान को महत्व देती है और रचनावाद पर जोर देती है। एक बच्चा मोम का पुतला नहीं है।
इसमें अनंत संभावनाएं हैं।”द कॉन्सेप्ट्स ऑफ इंडियन टीचिंग टेक्नीक्स” इन अवधारणाओं को एक आकर्षक भाषा में और दिलचस्प तरीके से तत्काल पर्यावरण और व्यावहारिक प्रयोगों से उदाहरणों के साथ समझाने की कोशिश करता है। यह इतना शक्तिशाली शिक्षण और प्रभावी शिक्षण ढांचा है कि इससे असंख्य तकनीकों का विकास किया जा सकता है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि तकनीकों को किसने बनाया क्योंकि एक मेहनती शिक्षक के अनुभव से परीक्षण की गई गुमनाम तकनीकें बच्चे को ज्ञान, व्यवहार और कौशल से भर देती हैं। पुस्तक शिक्षण-अधिगम में नवीनता और रचनावाद के साथ शून्य निवेश विचारों की खोज करने का प्रयास करती है।
इस अवसर पर साहित्यकार प्रिया रत्नम् ने कहा शिक्षण एक कला है जो एक रूढ़ व्यक्ति को देवता के तुल्य बनाती है। शिक्षक, उस मूर्तिकार का नाम है जो पत्थर के बेतरतीब टुकड़े को एक सुंदर मूर्ति में ढालता है जो मंदिर या संग्रहालय की शोभा बनता है। उसी शिल्पकला को ‘शिक्षण तकनीक’ कहा जाता है। हीरा, दुनिया के सबसे कीमती रत्नों में से एक है। लेकिन इसे कीमती बनाने में संगतराश की अहम भूमिका होती है। अनगढ़ हीरा न तो किसी ताज की शोभा बढ़ा पाता है और न ही किसी की अंगूठी की नगीना बन सकता है। किसी वस्तु या व्यक्ति को सुंदर बनाने की तकनीक वास्तविक शिक्षण कला है। मोहम्मद जाहिद हुसैन की रचना ‘द कंसेप्ट ऑफ इंडियन टीचिंग टेक्निक्स’, इस क्षेत्र की अग्रणी एवं एक अभिनव कृति है।
मौके पर अध्यक्षता करते हुए शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. (प्रो.) लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि “द कंसेप्ट ऑफ इंडियन टीचिंग टेक्निक्स”, पुस्तक शिक्षण तकनीक की गूढतम ज्ञान बारीकियों को सरल ढ़ंग से वर्णन करती है। यह छात्र,शिक्षक और अभिभावकों सभी के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय रचना है। इस किताब में शिक्षण से जुड़े कुल 52 आलेख है जो पाँच भागों में अलग-अलग नाम से विभक्त हैं। कुल 360 पृष्ठ की इस किताब को “रेडसाईन पब्लिकेशन यूके (इंग्लैंड)” ने प्रकाशित किया है और शिक्षण तकनीक क्षेत्र में नालंदा के किसी लेखक की य पहली पुस्तक है।
इस अवसर पर साहित्यकार व अभियंता मिथिलेश कुमार चौहान, साहित्यसेवी सरदार वीर सिंह, संजय कुमार शर्मा, धीरज कुमार, अर्चना कुमारी, रंजना कुमारी, विजय कुमार पासवान, सुरेन्द्र प्रसाद शर्मा, शोधार्थी आकाश कुमार सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।