महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले जी का जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।
बिहारशरीफ के बारादरी दायरा पर डॉ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के तत्वाधान में ज्योतिराव फुले जी का चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित करते हुए जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई। इस अवसर पर डॉ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान एवं गांव बचाओ संघर्ष मोर्चा के चंद्रशेखर प्रसाद एवं डॉ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने संयुक्त रूप से कहा कि महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले एक भारतीय समाज सुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, सामाजिक कार्यकर्ता,दार्शनिक एवं क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें महात्मा फुले एवं ज्योतिराव फुले के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को हुआ था। सितंबर 1873 में इन्होंने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व पिछड़े एवं अछूतों के उत्थान के लिए उन्होंने अनेक कार्य किया। समाज के सभी वर्गों को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समर्थक थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुध्द थे।
इनका मूल्य उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है। फुले समाज की कुप्रथा और अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। अपना संपूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने में, स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत किया। 19वीं सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी। फुले महिलाओं को स्त्री-पुरुष भेदभाव से बचना चाहते थे। उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई थीं। स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दुखी होते थे इसीलिए उन्होंने दृढ निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर ही रहेंगे। उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की। सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थी।इस अवसर पर उपस्थित सभी ने एक स्वर से कहा कि ज्योतिराव फुले के बताए हुए रास्ते पर आधुनिक भारत में चलने की जरूरत है तभी भारत देश का विकास संभव है।इस अवसर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के प्रदेश प्रधान महासचिव सूरज प्रताप कोहली, जिला महासचिव महेंद्र प्रसाद, शाहनवाज,प्रोफेसर स्वधर्म, अवधेश पंडित, चंद्रमौली कुमार आदि लोग उपस्थित थे।