बिहारशरीफ के अंबेडकर चौक पचास मोड पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के तत्वधान में जननायक कर्पूरी ठाकुर का जयन्ती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।इस अवसर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान एवं प्रदेश अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने संयुक्त रूप से कहा कि कर्पूरी ठाकुर भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पिछड़े और दलितों के नेता लोकप्रियता के कारण उन्हें जननायक कहा जाता था। संघ के विरोध के कारण राजनीतिक भला बुरा कहा गया था। कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया में हुआ था। जिसे अब कर्पूरी ग्राम कहा जाता है। जननायक जी के पिताजी का नाम श्री गोकुल ठाकुर तथा माता जी का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था। इनके पिता गांव के सीमांत किसान थे तथा अपने पारंपरिक पेशा हल चलाने का काम करते थे। भारत छोड़ो आंदोलन के समय उन्होंने 26 महीने जेल में बिताए थे। उनका ख्याति पत्र नारा था 100 में 90 शोषित है शोषितों ने ललकार है धन धरती और राजपाट में 90 भाग हमारा है।
पटना के कदम कुआं स्थित चरखा भवन में जेपी नारायण का जयंती मनाया जा रहा था, जिसमें भारत के तमाम जनता दल के नेता जुटे थे। इन नेताओं में चंद्रशेखर, नानाजी, देशमुख शामिल थे। मुख्यमंत्री पद पर रहने के बावजूद फटा कुर्ता, टूटी चप्पल और बिखरे बाल कर्पूरी ठाकुर की पहचान थे। उनकी दशा देखकर एक नेता ने टिप्पणी की किसी मुख्यमंत्री के ठीक ढंग से गुजारे के लिए कितना वेतन मिलना चाहिए? सब निहितार्थ समझ गए,हंसे फिर चंद्रशेखर अपनी सीट से उठे उन्होंने अपने लंबे कुर्ते को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर सामने की ओर फैलाया वह बारी-बारी से वहां बैठे नेताओं के पास जाकर कहने लगे कि आप कर्पूरी जी के कुर्ता फ्रंट में दान कीजिए।
तुरंत कुछ ₹100 एकत्र हो गए उसे समेट कर चंद्रशेखर जी ने कर्पूरी जी को थमाया और कहा कि इसे अपना कुर्ता धोती ही खरीदिए कोई दूसरा काम मत कीजिएगा। चेहरे पर बिना कोई भाव लाये कर्पूरी ठाकुर ने कहा इसे में मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कर दूंगा। यानी तब समाजवादी आंदोलन के कपूरी ठाकुर को उनकी सादगी और ईमानदारी के लिए जाना जाता था, पर आज के कुछ समाजवादी नेताओं को कम कहना और अधिक समझना। इनकी मृत्यु 17 फरवरी 1988 को हो गई थी। वे 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे। 26 जनवरी 2024 को मरणोपरांत भारत सरकार द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। इस अवसर पर डॉ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के जिला महासचिव महेंद्र प्रसाद जिला सहसचिव मोहन चौधरी उमेश पंडित अवधेश पंडित उपेंद्र प्रसा शिव शंकर दास रजनीश कुमार आदि लोग उपस्थित थे।