मोगलकुआँ संगत में श्रीगुरु ग्रंथ साहिब जी का 420 वां प्रकाश पर्व मनाया गया ●मोगलकुआँ संगत में धूमधाम से मनाया गया गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश पर्व ● अज्ञानता के अंधकार से छुटकारे का मार्ग दिखाती है गुरवाणी ● श्रीगुरु ग्रंथ साहिब केवल सिख ही नहीं बल्कि समूची मानवता के लिए आदर्श व पथ प्रदर्शक हैं
बिहारशरीफ : 4 सितम्बर 2024 दिन बुधवार को देरशाम श्री गुरुनानक देव जी शाही संगत मोगलकुआँ बिहारशरीफ में समूचे जगत की मानवता को एक सूत्र में पिरोने वाले साहिब श्रीगुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश पर्व का 420 वां दिवस बड़े ही श्रद्धा के साथ भाई रवि सिंह ग्रंथी जी के देख-रेख में मनाया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्री गुरुग्रंथ साहिब जी का प्रकाश द्वारा किया गया। इसके उपरांत पंच बाणी, सुखमनी साहिब का पाठ तथा विशेष दीवान में शबद कीर्तन शाही संगत के भाई रवि सिंह ग्रंथी व साथियों ने सुमधुर शबद कीर्तन व गुरुवाणी पाठ से किया।
मौके पर गुरु नानक मिशनरी सेन्टर, राजगीर के संयुक्त सचिव सरदार त्रिलोक सिंह निषाद ने बताया कि गुरु ग्रंथ साहिब का संपादन सिख समुदाय के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी ने किया। गुरु ग्रन्थ साहिब जी का पहला प्रकाश 30 अगस्त 1604 को हरमंदिर साहिब अमृतसर में हुआ था। 1705 में दमदमा साहिब में दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु तेगबहादुर जी के 116 शब्द जोड़कर इसको पूर्ण किया, इनमे कुल 1430 पृष्ठ है। उन्होंने बताया कि गुरु ग्रंथ साहिब में कुल 36 महापुरुषों की वाणी संकलित है। सिख समुदाय के दसवें गुरु गोविंद जी के अनुसार- ‘आज्ञा पई अकाल दी, तबे चलायो पंथ, सब सिखन को हुक्म है, गुरु मानयो ग्रंथ अर्थात आज से गुरुग्रंथ साहिब जी हमारे गुरु हैं।
महोत्सव में उपस्थित लोगों के बीच शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि सिखों में जीवंत गुरु के रूप में मान्य श्री गुरु ग्रंथ साहिब केवल सिख कौम ही नहीं बल्कि समूची मानवता के लिए आदर्श व पथ प्रदर्शक हैं। दुनिया में यह इकलौते ऐसे पावन ग्रंथ हैं जो तमाम तरह के भेदभाव से ऊपर उठकर आपसी सद्भाव, भाईचारे, मानवता व समरसता का संदेश देते हैं। आज के माहौल में अगर इनकी बाणियों में छिपे संदेश, उद्देश्य व आदेश को माना जाए तो समूची धरती स्वर्ग बन जाए। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज वाणी की विशेषता है कि इसमें समूची मानवता को एक लड़ी में पिरोने का संदेश दिया गया है। गुरुवाणी के इस अनमोल खजाने का संपादन गुरु अर्जन देव ने करवाया।
मौके पर शाही संगत में सक्रिय भूमिका निभाने वाले समाजसेवी भाई सरदार वीर सिंह ने लोगों के बीच अपने उद्गार में कहा कि श्रीगुरु ग्रंथ साहिब में 6 गुरूओं, 15 ऋषियों, 11 भाटो की वाणी है, जिसमें संत कबीर, शेख फरीद, नाम देव, संत रविदास, सूरदास और रामानन्दी जैसे महान ऋषियों की वाणी है। गुरु वाणी भेद-भाव, उंच-नीच और आपसी नफरत को मिटाकर आपस में मिल-जुल कर रहने का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब में सिर्फ सिख गुरुओं के उपदेश नहीं हैं, बल्कि 30 दूसरे हिन्दू, मुस्लिम विचारकों की बातें भी हैं।
इस पावन अवसर पर भाई युवराज सिंह के द्वारा गुरूवाणी का पाठ करने के बाद सामूहिक अरदास की गई, एवं उपस्थित लोगों के बीच खीर और कड़ा प्रसाद का वितरण किया गया।
इस दौरान राष्ट्रीय शायर भाई नवनीत कृष्ण, भाई दीप सिंह, सतनाम सिंह, रघुवंश सिंह, महेंद्र सिंह, विजय कुमार, धीरज कुमार सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहकर इंसानियत और परोपकार की शिक्षा ली एवं गुरूवाणी के अनमोल संदेशों का आत्मसात किया।