Sunday, July 6, 2025
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भीमा कोरेगांव की लड़ाई को याद करते हुए 207वां बहुजन विजय शौर्य दिवस मनाया गया।

बिहारशरीफ:-बिहारशरीफ के मोहल्ला पचासा एंव अस्पताल चौक पर अतिपिछड़ा/ दलित/अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के तत्वाधान में भीमा कोरेगांव की लड़ाई को याद करते हुए बाबा साहेब के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित करते हुए बहुजन विजय शौर्य दिवस मनाया गया।
इस मौके पर अति पिछड़ा/ दलित/ अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने कहा कि कोरेगांव भीमा की लड़ाई 1 जनवरी 1818 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से 500 महार (अछूत) सेना और मराठा साम्राज्य के ब्राह्मण (उच्च जाति) पेशवा गुट के बीच लड़ाई लड़ी गई थी। जिसमें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी महार रेजिमेंट की विजय हुई थी। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, महार रेजीमेंट के कैप्टन फ्रांसिस एफ0 स्टोंटन के नितृत्व में और मराठा साम्राज्य का ब्राह्मण पेशवा गुटके पेशवा बाजीराव द्वितीय, बापू गोखले, अप्पा देसाई, त्रिम्बक जी देंगले के नितृत्व में लड़ाई लड़ी गई थी। इस लड़ाई में मराठा साम्राज्य का ब्राह्मण पेशवा गुट की हार हुई थी। महार रेजीमेंट की ओर से 834 सैनिक शामिल थे। जिसमें लगभग 500 महार की पैदल सेना 300 के आसपास घुड़सवार और 24 तोपें 2 – 6 पाउडर तोपें शामिल थे।
मराठा साम्राज्य का ब्राह्मण पेशवा गुट के 20000 घुड़सवार और 8000 पैदल सेना (जिसमें 2000 ने भाग लिया) इस लड़ाई में शामिल थे।जिसमें 500 से 600 सैनिक की मृत्यु या घायल (ब्रिटिश अनुमान) हुए थे। आज भीमा कोरेगांव की लड़ाई में महारों के जीत को लेकर भारत में विजय शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कोरेगांव स्तंभ शिलालेख में लड़ाई में मारे गए 49 कंपनी सैनिकों के नाम शामिल हैं इन 22 नामों को प्रत्यय- एनसी के साथ समाप्त होता है,जो कि महार जाति के लोगों द्वारा विशेष रूप से उपयोग किया जाता था। भारतीय स्वतंत्रता तक यह ओबिलिस्क महार रेजीमेंट के शिखर पर चित्रित किया जाता रहा हालांकि यह ब्रिटिश द्वारा अपनी शक्ति के प्रतिक के रूप में बनाया गया था। आज यह महारों के स्मारक के रूप में कार्य करता है।
ऐतिहासिक रूप से उच्च जाति द्वारा महारों को अस्पृश्यता अस्पष्ट समुदाय माना जाता था हालांकि, वे अधिकतर अछूत समूहों के ऊपर सामाजिक आर्थिक रूप से अच्छी तरह से थे क्योंकि गांव प्रशासनिक व्यवस्था में उनके पारंपरिक भूमिका महत्वपूर्ण थी,उन्हें जरूरी हुआ कि वे कम से कम एक अल्पकापिक शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं और अवसर उन्हें ऊपरी जाति के संपर्क में लाते हैं।
इस अवसर पर अति पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष नंदलाल रविदास संरक्षक चंद्रशेखर प्रसाद अनिल पटेल जिला महासचिव उमेश पंडित जिला उपाध्यक्ष महेंद्र प्रसाद जिला उपाध्यक्ष राजेश ठाकुर जिला सचिव मुनचुन कुमार मोहम्मद अब्दुल्ला पवन कुमार सुशील कुमार दिलीप रविदास डेनर रविदास रामचंद्र रविदास विजय दास राजकुमार रविदास केदार रविदास जितेंद्र कुमार कारू दास हारो रविदास शर्मिला देवी आदि लोग उपस्थित थे।

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