Monday, December 23, 2024
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डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का 134 वां जयंती मनाई गई।

देशरत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का 134 वां जयंती समारोह एवं माता वीरांगना ऊदा देवी की जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई।

बिहारशरीफ:- बिहारशरीफ के रहुई प्रखंड के भगनबिगहा चौक स्थित लालजी होटल में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की चित्र पर 134 वाॅ जयन्ति माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित करते हुए हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।साथ में ऊदा देवी की चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित कर हर्षोल्लास साथ जयन्ति मनाई गई। बिहार शरीफ के पचासा चौक स्थित डॉक्टर अंबेडकर की प्रतिमा पर डॉ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच की ओर से माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किया गया। इस जयन्ति समारोह का अध्यक्षता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान ने की। इस अवसर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान एंव सं.अ.भा. पा.के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूर्योदय पासवान,तथा संयोजक मुन्ना कुमार और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के प्रदेश महासचिव बलराम साहेब, प्रधान सचिव सुरज प्रताप कोहली ने संयुक्त रूप से कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेता,अर्थशास्त्री राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों किसानो और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।

डॉ आंबेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दोनों विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्री में डायरेक्टर का उपाधि प्राप्त कर तथा विधि अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में शोध कार्य भी किए थे व्यवसायिक जीवन के आरंभिक भाग में ये अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत भी की तथा बाद का जीवन राजनीतिज्ञ गतिविधियों में अधिक बीता। उसके बाद अंबेडकर भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में शामिल हो गए और प्रत्रिकारों को प्रकाशित करने राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत की और भारत के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
हिंदू पंथ में व्याप्त कुरुतियों और छुआछूत की प्रथा से तंग आकर सन 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। सन 1990 में उन्हें भारत रत्न भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। 14 अप्रैल को उनका जन्म दिवस अंबेडकर जयंती के तौर पर भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है।डॉ अंबेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल है।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का 134 वां जयंती मनाई गई।
भारतीय संविधान के शिल्पकार आधुनिक भारतीय चिंतक समाज सुधारक एवं भारत रत्न से सम्मानित बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ डॉ भीमराव अंबेडकर के योगदान एवं उनकी उपलब्धियां को याद करने के लिए प्रत्येक साल 6 दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है। डाॅ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने कहा कि ऊदा देवी पासी का जन्म लखनऊ के उर्जारराव गांव में हुआ था। ऊदा देवी को शौर्य और बलिदान की प्रेरणा अपने पति मक्का पासी की शहादत से मिली यह वह समय था जब 10 मई 1857 को मेरठ के सिपाहियों द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध छेड़ा गया संघर्ष तेजी से पूरे उत्तर भारत में फैलने लगा था। 10 जून 1857 को लखनऊ के करबा चिनहट के पास इस्माइल गंज में हेनरी लॉरेंस के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज थी। मौलवी अहमदुल्लाह शाह की अगुवाई वाली विद्रोही सेवा के बीच लड़ाई लड़ी गई थी। 2000 विद्रोही सैनिकों ने लखनऊ के सिकंदरा बाग में शरण ले रखी थी। 16 नवंबर 1857 को कॉलिंग कैंपल के नेतृत्व में अंग्रेजी सैनिकों ने एक सोची समझी राजनीति के तहत सिकंदराबाद की उस समय घेराबंदी की जिस समय सैनिक सो रहे थे। ऊदा देवी के नेतृत्व में वारिस शाह की स्त्री सेना भी इसी बाग में सो रही थी।आसावधान सैनिकों की बेरहमी से हत्या करते हुए अंग्रेजी सेना तेजी से आगे बढ़ रही थी। पराजय देख ऊदा देवी पुरुष की वर्दी पहनकर हाथों में बंदूक एवं कंधों पर गोला बारूद लेकर एक ऊंचे पीपल के पेड़ पर चढ़ गई और 36 अंग्रेजी सैनिकों को मौत के घाट उतार दी। इस अवसर पर उपस्थित सभी ने एक स्वर से कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बताओ रास्ते पर चलने का चलने की जरूरत है। इस अवसर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के अनुज पासवान लालति देवी गुंजन कुमारी उमेश पंडित श्रीकांत पासवान कन्हैया कुमार मुकेश कुमार डॉक्टर जयप्रकाश जी दिलीप कुमार निराला डॉ प्रभात कुमार निराला अविनाश कुमार मुखिया नगीना पासवान आदि लोगों उपस्थित थे ।

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