हिलसा ( नालंदा ) इलाक़े के प्रसिद्ध रंगकर्मी और जाने माने शिक्षाविद सुरेश प्रसाद सिन्हा के निधन की ख़बर मिलते ही गणमान्य नागरिकों , समाजसेवियों एवं साहित्यकारों में शोक की लहर दौड़ पड़ी . 85 वर्षीय स्व. सिन्हा के निधन से आहत लोगों का हुजूम शहर के काली स्थान हिलसा नाट्य परिषद के पुराने रंगमंच के पास पहुँचा तथा उनके कृत्यों को याद किया . इसी क्रम में उनकी याद में पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उन्हें भाव भीनी श्रद्धांजलि भी दी गई . आयोजित शोक सभा की अध्यक्षता वरीय रंगकर्मी अर्जुन विश्वकर्मा एवं संचालन रंज़ीत कुमार रावत ने किया . इस मौक़े पर समाजसेवी सह ज़िला आइकॉन डा. आशुतोष कुमार मानव ने कहा कि सुरेश बाबू के निधन से रंगमंच से जुड़े कार्यक्रमों, नाटक के माध्यम से समाज में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले महान व्यक्ति की कमी हो गई जिसकी भरपाई सम्भव नहीं है .
श्री विश्वकर्मा एवं ओम् प्रकाश राही ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सुरेश बाबू के निर्देशन में दर्जनों सामाजिक नाटकों का मंचन किया गया था . उनके भाई कुमकुम बाबू ( ब्रजराज कृष्ण ) भी इन्ही की राह पर चलते हुए साहित्य की सेवा की तथा रंग मंच को इसका माध्यम बनाया . कालांतर में जगदंबा नाट्य परिषद दुर्गा स्थान की स्थापना भी इन्ही के प्रयासों से हुई थी . श्री राही एवं रावत ने बताया कि सेवा , त्याग एवं समर्पण की प्रतिमूर्ति थे सुरेश बाबू . आज वे हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका विचार सदा हिलसावासियों को प्रेरणा देता रहेगा . साहित्य समाज की सेवा के लिए दिया गया उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता . इस शोक सभा में मुन्ना प्रसाद , रामाधीन प्रसाद , रामविलास , अनुज कुमार , हरेंद्र पांडेय , शैलेंद्र पांडेय समेत कई लोग शामिल हुए .