Friday, September 20, 2024
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डॉ बिधान चंद्र राय की 142 वीं जयंती पर विशेष

डॉ बिधान चंद्र राय की 142 वीं जयंती पर विशेष : निष्काम कर्मयोगी डॉ. बिधान चन्द्र राय- डॉ.बिधान चंद्र राय बहुमुखी प्रतिभा के धनी, एक निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी

राकेश बिहारी शर्मा-डॉ. बिधान चंद्र राय को बहुमुखी प्रतिभा के धनी एक वरिष्ठ चिकित्सक, विद्वान् शिक्षाविद, निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी, कुशल राजनीतिज्ञ और प्रसिद्ध समाज सेवक के साथ-साथ आधुनिक भारत के राष्ट्र निर्माता के रूप में भी बड़ी श्रद्धा व सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है।
एक इंसान के जीवन की शुरुआत से लेकर उसकी सुरक्षा के लिए हर पड़ाव पर एक डॉक्टर उसके साथ होता है। बच्चा जब जन्म लेता है तो डॉक्टर ही हैं जो मां के गर्भ से शिशु को दुनिया में लाते हैं। उसके बाद शिशु को रोगों से बचाने और सेहतमंद रखने के लिए जरूरी सभी जानकारी और वैक्सीनेशन आदि भी डॉक्टर की जिम्मेदारी होती है। जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसके शरीर में बदलाव शुरू होते हैं। इन सब बदलावों, समाज व लाइफस्टाइल का असर इंसान के स्वास्थ्य पर पड़ता है। एक डॉक्टर ही शारीरिक, मानसिक तकलीफ से ग्रसित इंसान के सभी दर्द और रोगों का निवारण करता है। इसलिए भारत में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है। डॉक्टरों के इसी सेवा भाव, जीवन रक्षा के लिए किए जा रहे प्रयत्नों और उनके काम को सम्मान देने के लिए हर साल जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है।

डॉ. बिधान चन्द्र राय का जन्म, शिक्षा एवं पारिवारिक जीवन :

कहा जाता है कि बिधान चंद्र के पूर्वज बंगाल के राजघराने से सम्बंधित थे और उन्होंने मुगलों का जमकर मुकाबला किया था। यद्यपि कालांतर में राजशाही का वह प्रभाव जाता रहा तथा सरकारी नौकरी होते हुए भी प्रकाश चंद्र राय की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। डॉ. बिधान चंद्र राय का जन्म 1 जुलाई 1882 को पटना (बिहार) जिले के पटना के बांकीपुर मोहल्ले में हुआ था। इनके पिता का नाम प्रकाशचंद्र राय था। उनके पिता प्रकाश चंद्र राय आबकारी विभाग में निरीक्षक थे, जबकि मां अघोरे कामिनी देवी सामाजिक कार्यकर्ता थीं। माता-पिता दोनों ब्रह्मसमाजी थे। डॉ. बिधान चंद्र राय पर भी ब्रह्मसमाज का बाल्यावस्था से ही अमिट प्रभाव पड़ा था। बिधान चंद्र राय अपने पांचों भाई-बहनों सबसे छोटे थे। वे पेशे से एक वरिष्ठ चिकित्सक तथा समाज सेवी और स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कोलकाता मेडिकल कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। वे 1922 में कलकत्ता (कोलकाता) मेडिकल जनरल के संपादक और बोर्ड के सदस्य बने। वे भारतीय स्वतंत्रता सेनानी तथा राष्ट्रीय कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता एवं गांधीवादी थे। डॉ. बिधान चन्द्र रॉय ने 1926 को अपना पहला राजनीतिक भाषण दिया तथा 1928 में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य चुने गए। कहा जाता है कि बिधान चंद्र के पूर्वज बंगाल के राजघराने से सम्बंधित थे और उन्होंने मुगलों का जमकर मुकाबला किया था। यद्यपि कालांतर में राजशाही का वह प्रभाव जाता रहा तथा सरकारी नौकरी होते हुए भी प्रकाश चंद्र राय की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। डॉ. बिधान चंद्र राय बहुमुखी प्रतिभा के धनी एक वरिष्ठ चिकित्सक, विद्वान् शिक्षाविद, निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी, कुशल राजनीतिज्ञ और प्रसिद्ध समाज सेवक के साथ साथ आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में भी बड़ी श्रद्धा व सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। विशेषकर बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में उनके द्वारा किए गये उल्लेखनीय कार्यों के संदर्भ में उन्हें ‘बंगाल का मसीहा’ भी कहा जाता है। डॉ॰ बिधान चंद्र राय ने भारत की आजादी के बाद अपना पूरा जीवन चिकित्सा सेवा को समर्पित कर दिया। वे 1948 से पश्चिम बंगाल के द्वितीय मुख्यमंत्री के रूप में चौदह वर्षों तक उसी पद पर रहे। डॉ. बिधान चंद्र राय आजीवन अविवाहित रहे। उनमें कार्य करने की अद्भुत क्षमता, उत्साह और शक्ति थी। वे निष्काम कर्मयोगी थे।

पत्रकार के रूप में डॉ. बिधान चंद्र राय :

डॉ. बिधान चंद्र राय एक प्रसिद्ध पत्रकार भी थे। उन्होंने चितरंजन दास द्वारा स्थापित ‘आत्मशक्ति’ पत्रिका तथा ‘फॉरवर्ड’, ‘बंगबासी’, लिबर्टी’ जैसी पत्रिकाओं का संपादन भी किया। वह यूनाइटेड प्रेस ऑफ इंडिया के संस्थापक अध्यक्ष थे।

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस कब, क्यों और विषय (थीम) :

प्रत्येक साल एक जुलाई राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग, जिनका जीवन किसी न किसी डॉक्टर से जुड़ा हो, वह चिकित्सक को धन्यवाद करते हैं। एक शिशु के तौर पर उन्हें इस दुनिया में लाने के लिए और उन्हें सेहतमंद रखने के लिए डॉक्टर के प्रयासों के लिए उनका आभार जताया जाता है। इस वर्ष राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस 2024 का विषय है “उपचार करने वाले हाथ, देखभाल करने वाले दिल” है।

विश्व में कैसे हुई चिकित्सक दिवस की शुरुआत? :

विश्व में सबसे पहले चिकित्सक दिवस की शुरुआत 30 मार्च 1933 को अमेरिका के जॉर्जिया से हुई थी। फिजिशियन के सम्मान में इस दिन को तय करने का आइडिया यूडोरा ब्राउन एलमंड ने दिया, जो डॉक्टर चार्ल्स बी एलमेंड की पत्नी थी। 30 मार्च 1958 में यूएस के प्रतिनिधि सभा और डॉक्टरों का संकल्प ने चिकित्सक दिवस को अपनाया।

भारत में कब हुई चिकित्सक दिवस की शुरुआत? :

भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पहली बार 1 जुलाई 1991 को डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में, स्वास्थ्य क्षेत्र में उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया गया था। उन्होंने लोगों के लिए अपने जीवन का योगदान दिया, कई लोगों का इलाज किया और लाखों लोगों को प्रेरित किया।

एक जुलाई को ही क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस ? :

एक जुलाई को ही डॉक्टर दिवस मनाने की एक खास वजह भी है। महान चिकित्सक डॉ बिधान चंद्र रॉय का जन्मदिन 1 जुलाई 1882 को हुआ था। इतना ही नहीं एक जुलाई 1962 को ही डॉ बिधान का निधन हुआ था। इसी वजह से उनके जन्मदिन और पुण्यतिथि के दिन पर ही उनकी याद में हर चिकित्सक को सम्मान देने के लिए एक जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाने की घोषणा की गई।

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का महत्व :

‘राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस’ चिकित्सक को उनके काम के लिए धन्यवाद व सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। बच्चे के जन्म से लेकर स्वस्थ्य जीवन जीने तक में चिकित्सक की भूमिका बहुत ही खास होती है। जो लोगों को इसी बात से वाकिफ कराने के लिए चिकित्सक दिवस महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

डॉ. बिधान चंद्र राय को भारत रत्न से सम्मानित :

डॉ. बिधान चंद्र राय एक कुशल चिकित्सक भी थे, जिनका चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान था। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने बंगाल में स्वास्थ्य संबंधी आधारभूत संरचना को तेजी से उन्नत किया। जादवपुर टी.बी. हास्पिटल, चित्तरंजन सेवा सदन, कमला नेहरु मेमोरियल हॉस्पिटल विक्टोरिया इंस्टीट्यूशन (कॉलेज) और चित्तरंजन कैंसर हॉस्पिटल उन्हीं की देन हैं। वे पहले ऐसे डॉक्टर थे, जिन्होंने लंदन में एमआरसीपी और एफआरसीएस दोनों एक साथ किया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्थापना में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। वह भारत के उपमहाद्वीप में पहले चिकित्सा सलाहकार के तौर पर प्रसिद्ध हुए। 4 फरवरी, 1961 को डॉ बिधान चंद्र राय को भारत रत्न के सम्मान से भी सम्मानित किये गये। उन्होंने मानवता की सेवा में अभूतपूर्व योगदान को मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस को मनाने की शुरुआत की।

डॉ॰ बिधान चंद्र राय का निधन :

बिधान चंद्र राय जैसा डॉक्टर उस जमाने में कोलकाता तो क्या, देश में कहीं नहीं था। उस समय आज जैसे उन्नत डायग्नोस्टिक सेंटर नहीं थे। डॉ॰ बिधान चंद्र राय मरीज को देखकर उसकी बीमारी समझ लेते थे और उसका जड़ से इलाज करते थे। उन्होंने अपना सारा जीवन मरीजों की सेवा में समर्पित कर दिया और 80 वर्ष की उम्र में 1 जुलाई 1962 को ह्रदयघात से निधन हो गया। निधन के दिन तक उन्होंने मरीजों का इलाज किया था। सन् 1967 में दिल्ली में उनके सम्मान में डॉ. बीसी राय स्मारक पुस्तकालय की स्थापना भी की गई। एक जुलाई को उनका जन्मदिन और पुण्यतिथि दोनों ही हैं।

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