राकेश बिहारी शर्मा – गणित के ‘जादूगर’ महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती और गणित के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद रखने के लिए हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। जैसा कि हम जानते हैं कि प्राचीन काल से विभिन्न विद्वानों ने गणित में आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त, महावीर, भास्कर द्वितीय, श्रीनिवास रामानुजन, आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बहुत ही कम उम्र में, श्रीनिवास रामानुजन ने एक विशिष्ट प्रतिभा को दर्शाया है। उन्होंने कई उदाहरण निर्धारित किए हैं जैसे अनंत श्रृंखला, संख्या सिद्धांत, गणितीय विश्लेषण आदि।
राष्ट्रीय गणित दिवस का महत्वपूर्ण इतिहास
26 फरवरी 2012 को भारत के 14 वें और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मद्रास विश्वविद्यालय में भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की 125 वीं जयंती समारोह में यह घोषित किया कि 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाएगा। इसी अवसर पर मनमोहन सिंह ने यह भी घोषित किया है कि 2012 को राष्ट्रीय गणित वर्ष के रूप में मनाया जायेगा। 2012 से हर वर्ष 22 दिसंबर को स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में शैक्षिक कार्यक्रमों के साथ राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जा रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर गणित दिवस का महत्व और मनाने की प्रक्रिया
राष्ट्रीय गणित दिवस का महत्व हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है, इस दिवस को मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य लोगों में मानवता के विकास के लिए गणित के महत्व के बारे में जागरूकता को बढ़ाना है। इस दिन, गणित शिक्षकों और छात्रों को शिविरों के माध्यम से प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है और संबंधित क्षेत्रों में गणित और अनुसंधान के लिए शिक्षण-शिक्षण सामग्री के बारे में विस्तार से चर्चा की जाती है।
भारत में विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। लोग अपनी प्रतिभा को सबके सामने दर्शाते हैं। गणित के ज्ञान को सीखने समझने के लिए यूनेस्को और भारत ने एक साथ काम किया। इसके साथ ही, छात्रों को गणित में शिक्षित करने और दुनिया भर में छात्रों और शिक्षार्थियों के लिए ज्ञान फैलाने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं।
द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस इंडिया, एनएएसआई इलाहाबाद में स्थित सबसे पुरानी विज्ञान अकादमी है। यहां हर साल राष्ट्रीय गणित दिवस मनाने के लिए कार्यशाला आयोजित की जाती है। देशभर के विद्वान यहां आते हैं और गणित और श्रीनिवास रामानुजन के गणित में योगदान पर चर्चा करते हैं। कार्यशाला का विषय वैदिक काल से लेकर मध्यकाल तक भारतीय गणितज्ञों के योगदान पर गहन चर्चा के बाद महत्वपूर्ण वार्ता / प्रस्तुतियां होती हैं।
भारत के सभी राज्य अलग-अलग तरीकों से राष्ट्रीय गणित दिवस मनाते हैं। स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न प्रतियोगिताओं और गणितीय क्विज़ आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों और कार्यशालाओं में गणित की प्रतिभा और पूरे भारत के छात्र भाग लेते हैं।
गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म और शिक्षा
गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म मद्रास से करीब चार सौ किलोमीटर दूर तमिलनाडु के ईरोड शहर में 22 दिसंबर 1887 को हुआ था। श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का बचपन कठिनाइयों और निर्धनता के दौर में बीता था। तीन वर्ष की आयु तक वह बोलना भी नहीं सीख पाए थे और तब परिवार के लोगों को चिंता होने लगी थी कि कहीं वह गूंगे न हों लेकिन कौन जानता था कि यही बालक गणित के क्षेत्र में इतना महान कार्य करेगा कि सदियों तक दुनिया उन्हें आदर-सम्मान के साथ याद रखेगी। उन्हें गणित में इतनी दिलचस्पी थी कि गणित में उन्हें प्रायः सौ फीसदी अंक मिलते थे लेकिन बाकी विषयों में बामुश्किल ही परीक्षा उत्तीर्ण कर पाते थे क्योंकि गणित के अलावा उनका मन दूसरे विषयों में नहीं लगता था। उन्होंने कभी गणित में किसी तरह का प्रशिक्षण नहीं लिया था। श्रीनिवास रामानुजन का निधन कुंभनम में 26 अप्रैल 1920 को हुआ था। वह ब्राह्मण परिवार से थे। 12 साल की उम्र में, उन्होंने ट्रिगनोमेट्री में ज्ञान प्राप्त किया था और बिना किसी की सहायता के उन्होंने अपने विचारों को विकसित किया था। केवल 15 साल की उम्र में उन्होंने एप्लाइड मैथ में जॉर्ज शोब्रिज कैर के सिनोप्सिस ऑफ एलिमेंटरी रिजल्ट की एक प्रति प्राप्त की थी।
गणित को खेल मानकर विद्यालय या जहाँ पर भी रहते खेलते रहेते थे। रामानुज जी इंग्लैंड में रहते हुए भी खान-पान, आचार-विचार और व्यवहार में पूर्णत: भारतीय बने रहे। रामानुजन ने कम उम्र में ही गणित के क्षेत्र में जो योगदान दिया वह अभूतपूर्व है। उन्होंने अपने प्रतिभा और लगन के बल पर केवल गणित के क्षेत्र में अद्भुत् अविष्कार किए वरन भारत को अतुलनीय गौरव भी प्रदान किया। ये बचपन से ही विलक्षण प्रतिभावान थे। रामानुजन का जीवन हमे यह सीख देता है कि कभी भी जीवन में हार मत मानो और लगातार अपने काम में जुटे रहो। एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। विशुद्ध गणित में रामानुजन की गहरी रुचि थी। उनका मानना था कि गणित में कोई खोज करना ईश्वर की खोज करने जैसा है। उन्हें विश्वास था कि गणित से ही ईश्वर का सही स्वरूप स्पष्ट हो सकता है। वे रात दिन संख्याओं के गुणधर्मों के बारे में सोचते और अक्सर सुबह उठकर कागज पर सूत्र लिख लिया करते। उनकी स्मृति और गणना शक्ति असाधारण थी।
श्रीनिवास रामानुजन का देश और गणित के प्रति योगदान
श्रीनिवास रामानुजन का बचपन गरीबी में गुजरा, वह स्कूल पढ़ने के लिए दोस्तों से किताबें उधार लेते थे। श्रीनिवास रामानुजन ने घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए क्लर्क की नौकरी की और देर रात तक समय मिलने पर गणित के सवालों को हल करते थे। एक बार एक अंग्रेज ने उनके द्वारा लिखे पत्रों को देखा तो वह उनसे काफी प्रभावित हुए और श्रीनिवास रामानुजन को पढ़ने के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के पास भेजा। फिर उन्होंने अपने अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाना और उसके बाद उन्हें दुनिया भर में प्रसिद्धि मिली।
रामानुजन के शोधपत्र 1911 में जर्नल ऑफ़ द इंडियन मैथमैटिकल सोसाइटी में प्रकाशित हुए थे। उन्होंने बिना किसी की सहायता के लगभग 3900 परिणामों को मुख्य रूप से पहचान और समीकरणों के साथ संकलित किया था। उनमें से कई परिणाम मूल और उपन्यास हैं जैसे रामानुजन प्राइम, द रामानुजन थीटा फ़ंक्शन, पार्टीशन फ़ार्मुलों और मॉक थीटा फ़ंक्शंस। इन परिणामों ने आगे कई अन्य शोधों को प्रेरित किया। उन्होंने डिवर्जेंट सीरीज़ के अपने सिद्धांत की खोज की और जेटा फ़ंक्शन के कार्यात्मक समीकरणों पर काम किया।
आपको बता दें कि 1729 नंबर को हार्डी-रामानुजन नंबर के रूप में जाना जाता है। राष्ट्रीय गणित दिवस रामानुजन की महान उपलब्धियों से हम हमेशा सराबोर रहेंगे। भारतीय गणित की महान परम्परा के वाहक श्रीनिवास रामानुजन को ‘गणितज्ञों का गणितज्ञ’ और संख्या सिद्धांत पर अद्भुत कार्य के लिए संख्याओं का जादूगर भी कहा जाता है। वे ऐसे विश्वविख्यात गणितज्ञ थे, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों और विषय गणित की शाखाओं में अविस्मरणीय योगदान दिया और जिनके प्रयासों तथा योगदान ने गणित को एक नया अर्थ दिया।