Monday, December 23, 2024
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अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस पर विशेष

राकेश बिहारी शर्मा — प्रतिवर्ष 26 जून को पूरी दुनिया में नशा मुक्ति दिवस मनाया जाता है। लोगों को नशा त्यागने के संकल्प दिलाए जाते हैं, लोगों को जागरूक किया जाता है और नशा छोड़ने की सलाह दी जाती है। वर्तमान समय में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक लगभग 70 फीसदी लोग नशे की गिरफ्त में हैं। नशा कुछ लोगों के लिए स्टेटस सिंबल भी बन चुका है। कुछ नशे के आदी ऐसे भी होते हैं जो अपनी जमीन, जायदाद समेत तमाम संपत्तियां बेच देते हैं।
इसीलिए सरकार द्वारा लोगों को नशे से बचाने के लिए नशा मुक्त भारत अभियान को चालू किया गया है, जिसके अंतर्गत सरकार लोगों को नशे से छुटकारा दिलाने के लिए काफी प्रयास कर रही है, परंतु सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि हमें भी इसमें सहयोगी बनना होगा।

अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध (मुक्ति) दिवस का इतिहास

वर्तमान समय में बहुत बड़ी संख्या में बुजुर्ग और बच्चे नशा करते हैं। आसान शब्दों में कहें तो बच्चों एवं युवाओं में नशा की लत बढ़ी है। इसके लिए युवा और बच्चे सभी प्रकार की नशा का सहारा ले रहे हैं। अज्ञानता के अभाव के चलते उस दलदल में फंसते जा रहे हैं। इससे उनकी सेहत और करियर पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। खपत अधिक होने से अवैध तस्करी भी जमकर हो रही है। इस मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र ने 7 सिंतबर, 1987 को समाज को नशा मुक्त करने हेतु एक प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव में 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाने की बात की गई थी, जिसे सभी देशों के प्रतिनिधियों की सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। इसके बाद 26 जून, 1989 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति (निषेध) दिवस मनाया गया। उस समय से यह हर साल 26 जून को मनाया जाता है।

नशा मुक्ति अभियान का उद्देश्य

केंद्र सरकार के द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, ताकि उन्हें नशा करने के नुकसान के बारे में जानकारी दी जा सके, ताकि वह इससे बचे रहें और इस दलदल में ना फंसे। दरअसल दारु, शराब, बीड़ी, बियर, तंबाकू, गुटखा, सिगरेट यह कुछ ऐसे नशे है जिनका सेवन आज भारत में काफी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। हालांकि यह चिंता और भी ज्यादा अब इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि अब भारत की युवा पीढ़ी भी धीरे-धीरे नशे का सेवन करने लगी है।

नशा मुक्ति अभियान के तहत सरकार के प्रयास

सरकार काफी बड़े पैमाने पर नशा मुक्त भारत अभियान को अनुदान दे रही है। इसके अलावा वह समय-समय पर बड़े-बड़े स्कूल, कॉलेज और शैक्षिक संस्थान में नशा मुक्त भारत अभियान से संबंधित सेमिनार भी आयोजित करवाती है और उसके जरिए लोगों को जागरूक करने का काम करती है ताकि लोग नशे से दूरी बनाकर रखें। इस अभियान के लिए सरकार का प्रयास सिर्फ यही तक ही सीमित नहीं है। सरकार के द्वारा सामान्य लोगों को नशे से बचाने के लिए प्रखंड स्तर और जिला स्तर पर भी विभिन्न प्रकार के सरकारी कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करवाए जाते हैं और इसके साथ ही संगोष्ठी तथा सेमिनार का भी आयोजन करवाया जाता है।
सरकार ने इस अभियान के अंतर्गत कुछ सरकारी एनजीओ और प्राइवेट एनजीओ के साथ भी साझेदारी की है और इस प्रकार यह सभी मिलकर के लोगों को नशे से बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं और लोगों को नशे के प्रति जागरुक कर रहे हैं।

नशा करने के नुकसान

अगर कोई व्यक्ति यह सोचता है कि नशा करने से सिर्फ उसकी बॉडी को ही नुकसान होता है तो ऐसा नहीं है। नशा करने से व्यक्ति अपनी जिंदगी तो तबाह करता ही है, साथ ही वह अपने साथ जुड़े हुए अन्य लोगों की भी जिंदगी तबाह करता है। नशा करने वाले व्यक्ति के घर में हमेशा लड़ाई झगड़े होते रहते हैं जिसके कारण उसका घर टूटने की कगार पर पहुंच जाता है, क्योंकि लड़ाई झगड़ा होने के कारण घर के लोगों में आपसी मनमुटाव अपने चरम सीमा पर पहुंच जाता है। इसके अलावा जो व्यक्ति नशा करता है, उसकी पत्नी भी उसे छोड़कर चली जाती है क्योंकि कोई भी महिला किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ नहीं रह पाएगी, जो नशे का सेवन करता है, क्योंकि नशे का सेवन करने के बाद व्यक्ति को यह पता ही नहीं होता है कि वह क्या कर रहा है, वह नशे में अपने परिवार वालों के साथ मारपीट करता है। साथ ही साथ गाली गलौज भी करता है। यहां तक कि कई लोग तो हिंसक मारपीट भी करने लगते हैं।
नशा करने पर आदमी की बॉडी धीरे-धीरे खराब होने लगती है और उसे अनेक प्रकार की बीमारियां अपनी गिरफ्त में ले लेती है। इस प्रकार बीमारियों का इलाज करवाने में उसे पैसे खर्च करने पड़ते हैं। इस प्रकार अगर उसकी आर्थिक स्थिति खराब है तो उस पर आर्थिक बोझ भी धीरे-धीरे बढ़ता जाता है और वह कर्ज के दलदल में फंस जाता है।
नशा करने पर आदमी को सामाजिक बेज्जती भी सहनी पड़ती है। लोग उसे इज्जत की निगाहों से नहीं देखते हैं। इस प्रकार समाज में उसकी इज्जत भी कम हो जाती है। नशा करने के कारण व्यक्ति की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाती है और हमेशा नशे में डूबे रहने के कारण उसे अपने काम धंधे से भी हाथ धोना पड़ता है।
क्योंकि कोई भी व्यक्ति ऐसे आदमी को काम पर नहीं रखता है जिसे होश ही नहीं होता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो नशा करने वाले व्यक्ति को लोग हीकारत भरी नजरों से देखते हैं और उसे हमेशा अपने आप से दूर ही भगाते रहते हैं, क्योंकि ऐसे व्यक्ति की समाज में कोई भी इज्जत नहीं होती है।
नशा एक ऐसा अभिशाप है जिससे समूल जीवन नष्ट हो जाता है। आज के आधुनिक समय में युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे से पीड़ित है। सरकार इन पीड़ितों को नशे से छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति अभियान चलाती है । नशे के रूप में लोग शराब, गांजा,स्मैक आदि मादक द्रव्य से अपना स्वास्थ्य तो खराब करते ही हैं साथ ही सामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से भी अपनी हानि करते हैं। हमारे समाज में नशे को सदा ही बुराइयों का प्रतीक माना जाता है। युवाओं में नशे के बढ़ते आचरण के पीछे बदलती जीवन शैली, परिवार का दबाव, परिवार के झगड़े, इंटरनेट का अत्यधिक उपयोग, एकांकी जीवन, परिवार से दूर रहना, परिवारिक कलेश जैसे अनेक कारण हो सकते हैं। मादक पदार्थों के कारण व्यक्ति अपनी अनुभूतियों संवेदना तथा भावनाओं के साथ साथ सामान्य समझ बूझ और सोचने विचारने व शरीरिक क्षमता भी खो देता है और आसपास की दुनिया से अलग-थलग हो जाता है।

नशा करने से बचाव

नशा करने की शुरुआत सिर्फ शौकिया तौर पर होती है। इसीलिए अगर आपको कभी शौकिया तौर पर भी किसी भी प्रकार का नशा करने के लिए कहा जाए तो आपको साफ तौर पर उसके लिए मना कर देना चाहिए।
क्योंकि अगर आपको एक बार नशे की लत लग जाएगी तो आपको इससे निकलने में काफी टाइम लग जाएगा और हो सकता है कि आप नशे के इस प्रकार आदी हो जाएं कि आप अपना सारा काम धंधा भूल करके हमेशा नशे में ही डूबे रहे।
नशा करने से बचने के लिए आपको ऐसे लोगों के साथ किसी भी प्रकार का मेल मिलाप नहीं रखना चाहिए जो किसी भी प्रकार का नशा करते हैं क्योंकि नशे की स्टार्टिंग संगत से ही होती है। अगर आपकी संगत खराब है तो आप जल्दी नशे की गिरफ्त में आ जाएंगे। इसलिए आपको ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए जो नशे का सेवन करते हैं।
आपको ना तो कभी शौकिया तौर पर नशे का सेवन करना चालू करना चाहिए, ना ही कभी-कबार। आपको अपने मन में यह निश्चय लेना चाहिए कि आप कभी भी अपने जीवन में नशे का सेवन नहीं करेंगे, साथ ही अन्य लोगों को नशे से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने का काम करेंगे और एक जिम्मेदार नागरिक होने का फर्ज निभाएंगे।
नशा मुक्त होने के लिए नशे से दूर रहें और ऐसे लोगों की संगत से भी दूर रहे जो नशे का सेवन करते हैं। इसके अलावा जब कभी नशा करने का मन करे तो अंगूर का जूस पी ले या फिर सेब खा ले।
हम सभी देश का भविष्य हैं। हमें नशे जैसी चीज़ को एक शौक के रूप में भी प्रयोग नही करना चाहिए। हमें जितना हो सके इससे दूर ही रहना चाहिए और ज्यादातर युवाओं को जागरूक करना चाहिए। अगर हमें एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करना है, तो हमे नशे जैसी चीज को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए।

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