10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष :-योग मजहबी परम्परा नहीं, योग एक वैज्ञानिक जीवन पद्धति है,योग हमारी प्राचीन भारतीय परंपरा का एक अमूल्य उपहार है.स्वस्थ जीवन की कुंजी है योग
राकेश बिहारी शर्मा-योग धर्म नहीं, एक विज्ञान है, यह कल्याण का विज्ञान, यौवन का विज्ञान, शरीर, मन और आत्मा को जोड़ने का विज्ञान है। स्वयं को बदलो तो यह जग बदलेगा, योग से सुखमय हर दिन निकलेगा। योग का मतलब है जोड़ना, खुद में ऊर्जा को समाहित करना, शरीर, मन और आत्मा को मजबूत और खूबसूरत बनाना। आज भारत के योग विज्ञान को दुनियाँ के 200 देशों ने स्वीकार किया है। 21 जून 2024 के दिन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की 10 वीं वर्षगांठ है। योग सिर्फ कई तरह के आसन का नाम नहीं है। इसका अर्थ होता है जुड़ना। माने, मन को वश में करना और वृत्तियों से मुक्त होना ही योग है! योग इंसान को निरोग रखने में सबसे अहम भूमिका निभाता है। दुनिया भर में 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ मनाया जाता है, और इस बार, 21 जून शुक्रवार को पड़ता है। पहला ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’, 21 जून 2015 को मनाया गया था। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस योग के अनेक लाभों के बारे में दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह उस प्राचीन भारतीय प्रथा को मान्यता देने का दिन है, जो मानसिक और शारीरिक कल्याण पर केंद्रित है। आज प्रमाणित हो चुका है कि योग-प्राणायाम को नियमित रूप से करने वाले का जीवन रूपांतरित हो जाता है। शारीरिक एवं मानसिक रोगों का जड़-मूल से निवारण हो जाता है। बी.पी. (उच्च रक्तचाप), डायबिटीज (मधुमेह), हृदय रोग, गैस, कब्ज, मोटापा, सिरदर्द, जोड़ों का दर्द (ऑर्थराइटि स), कमर दर्द से लेकर लकवा, तनाव-डिप्रेशन, माइग्रेन व दौरे इत्यादि से पीड़ित रोगियों में अतीव लाभकारी योग-विद्या है। हर व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन होता है, जिसे हमेशा संजोकर रखना बहुत जरूरी है। स्वस्थ शरीर से ही व्यक्ति को हर कार्य करने में मन लगता है। योगा एक ऐसी कला है, जिससे व्यक्ति अपने आपको स्वस्थ रख सकता है। यहां तक कि योगा से व्यक्ति कई प्रकार के शारीरिक बीमारियों से उभर सकता है। योग कला हमारे प्राचीन संस्कृति की देन है, हमारे पूर्वज योग किया करते थे। यही कारण है कि वे स्वस्थ रहा करते थे।
योग विद्या के जनक नागवंशी बौद्ध एवं पतंजलि
भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है। बाद में कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। अनादिकाल में योग विद्या के जनक नागवंशी बौद्ध थे। महर्षि पतंजलि अंतिम मौर्य सम्राट तथा सम्राट अशोक के पोते बृहद्र्थ के सेनापति पुष्यमित्र शुंग के गुरु थे, तथा पुष्यमित्र ने धोखे से सम्राट बृहद्रथ की हत्या की और बुद्ध धम्म की उन्होंने बड़े पैमाने में क्षति की, लाखो बुद्ध भिक्खु एवं अनुयायियो की निर्मम हत्या की। और धम्म ग्रन्थों को नष्ट कर बौद्धकाल की गौरवशाली कला, साहित्य और संस्कृति को विकृत किया। योग शब्द वेदों, उपनिषदों, गीता एवं पुराणों आदि में अति पुरातन काल से व्यवहृत होता आया है। भारतीय दर्शन में योग एक अति महत्त्वपूर्ण शब्द है। आत्मदर्शन एवं समाधि से लेकर कर्मक्षेत्र तक योग का व्यापक व्यवहार हमारे शास्त्रों में हुआ है। रोगमुक्त तनावमुक्त व्यसनमुक्त बुरे अभ्यासों से मुक्त स्वस्थ, सुखी, समृद्ध व पूर्ण शान्तिमय जीवन जीने का मार्ग है योग।
योग कोई मजहबी परम्परा या अभ्यास नहीं है, अपितु योग एक वैज्ञानिक, सार्वभौमिक व पंथनिरपेक्ष जीवन पद्धति है। रोगियों के लिए योग एक सम्पूर्ण चिकित्सा (पद्धति) तथा योगियों के लिए एक साधना पद्धति, मुक्ति का मार्ग और जीवन में पूर्णता प्राप्त करने का साधन है। योग की जड़े भारतीय संस्कृति के साथ पौराणिक काल से जुड़ी है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि योग कला को जन्म देने वाले भगवान शिव थे। योग एक प्रकार की ऊर्जा है, जो साधक को पूरी उम्र बीमारियों से बचाती है। योग में ध्यान के बिना लक्ष्य की प्राप्ति ही असंभव है। भगवान बुद्ध के अनुसार, एकांत में ध्यान करना ही आध्यात्मिक शांति एवं अनासक्ति प्राप्त करने का एकमात्र साधन है। इसके अतिरिक्त बुद्ध धर्म में समाधि की भी चर्चा की गई है। बौद्ध धर्म के अनुसार, समाधि से चित्त एकाग्र हो जाने पर प्रज्ञा की प्राप्ति होती है। गौतम बुद्ध की खोज विपस्सना ध्यान योग विद्या है।
योग दिवस मनाने के कारण :- योग की प्राचीन परंपरा: योग एक ऐसी प्रथा है, जिसकी उत्पत्ति हजारों वर्ष पहले भारत में हुई थी। इसे मनाने से इसके ऐतिहासिक महत्त्व को स्वीकार किया जाता है।
योग समग्र स्वास्थ्य के लिए :- योग शारीरिक व्यायाम से कहीं आगे जाता है। इसमें मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं को सम्मिलित किया गया है, तथा समग्र कल्याण की भावना को बढ़ावा दिया गया है।
योग की वैश्विक लोकप्रियता :- इस समय योग की लोकप्रियता दुनिया भर में काफी बढ़ गई है। यह दिन इसकी सार्वभौमिक स्वीकृति का जश्न मनाता है। सितंबर 2014 को भारत से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया था, तथा योग के कल्याणकारी लाभों एवं स्वास्थ्य के प्रति इसके समग्र दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस उत्सव के लिए 21 जून को आदर्श तिथि बताया, क्योंकि यह कई संस्कृतियों में महत्व रखती है और उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म संक्रांति का दिन है। इस प्रस्ताव ने गति पकड़ी और संयुक्त राष्ट्र ने दिसंबर 2014 में एक प्रस्ताव पारित कर आधिकारिक तौर पर 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित कर दिया। वहीं, रिकार्ड तोड़ 175 सदस्य देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया था।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना के लिए मसौदा प्रस्ताव भारत द्वारा प्रस्तावित किया गया था और दुनिया के 175 देशों के सदस्यों द्वारा इसका समर्थन किया गया था। “योग हमारी प्राचीन भारतीय परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। योग मन और शरीर, विचार और क्रिया की एकता का प्रतीक है। एक समग्र दृष्टिकोण, जो हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए मूल्यवान है। योग केवल व्यायाम नहीं है; यह स्वयं के साथ, विश्व के साथ और प्रकृति के साथ एकता की भावना की खोज करने का एक तरीका है।
इस वर्ष 2024 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का विषय : अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का विषय प्रत्येक वर्ष बदलता रहता है, जो योग के किसी विशिष्ट पहलू एवं उसके लाभों को प्रकाशित करता है। इस वर्ष 2024 का अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आधिकारिक विषय “महिला सशक्तिकरण के लिए योग” घोषित किया गया है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए योग को संभावित साधन के रूप में उपयोग करने का लक्ष्य रखते हुए, इस विषय का बहुआयामी महत्त्व है।
योग से महिलाओं का कल्याण: इसका लक्ष्य योग को एक उपकरण के रूप में उपयोग करके महिलाओं के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देना है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि महिलाएं स्वस्थ और आत्मविश्वास से भरपूर हों और समाज में अग्रणी भूमिका निभा रहीं है।
योग से महिलाओं के स्वास्थ्य का प्रबंधन: महिलाओं को प्रभावित करने वाली विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों, मासिक धर्म की परेशानी, रजोनिवृत्ति के लक्षण और प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर शोध करने की योजना है। इससे महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
योग से महिलाओं का आत्मविश्वास: योग आत्म-जागरूकता और आत्म-स्वीकृति को बढ़ावा देता है, जो महिलाओं में आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान बढ़ा सकता है, जिससे महिलाओं को अपने लक्ष्यों और आकांक्षाओं को पूरा करने की शक्ति मिलती है। यह दिवस प्राचीन अभ्यास के सार को पूरी तरह से दर्शाता है। योग केवल व्यक्तिगत कल्याण के बारे में नहीं है; यह आंतरिक आत्म और बाहरी दुनिया के बीच संबंध को बढ़ावा देता है। भारत में आयुष मंत्रालय की स्थापना पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों और योग को बढ़ावा देने के लिए की गई है। यह मंत्रालय अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन और प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस सिर्फ एक शारीरिक अभ्यास का उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक कालातीत परंपरा के लिए श्रद्धांजलि है जो मानव जाति को प्रेरित और लाभान्वित करना जारी रखती है।
स्वामी विवेकानंद ने योग के बारे में कहा- “एक आदर्श व्यक्ति वो है जो नितांत निर्जन में भी क्रियाशील रहता है और अत्यधिक गतिशीलता में भी सम्पूर्ण शांति का अनुभव करता है।” किसी भी व्यक्ति के लिए ये एक बहुत बड़ी क्षमता होती है। योग का साधक कभी संकट में धैर्य नहीं खोता है. योग का अर्थ ही है- ‘समत्वम् योग उच्यते’ अर्थात, अनुकूलता-प्रतिकूलता, सफलता-विफलता, सुख-संकट, हर परिस्थिति में समान रहने, अडिग रहने का नाम ही योग है। योग मन, शरीर और आत्मा का पोषण करता है। रोगमुक्त जीवन जीने की हो चाहत, तो नियमित योगाभ्यास की डालो आदत।