आषाढ़ खत्म हो गया 6 दिन सावन भी बीत गए हैं मौसम का मिजाज बदलने का नाम नहीं ले रहा है। बरसा ना होने के कारण रहुई में सूखे की स्थिति बनती जा रही है। अब तक महज 5% खेतों में धान रोपनी हो सकी है। हद तो यह है कि मानसून की बेरुखी के कारण 90% बिछड़े तैयार हो सके हैं। उसमें भी रोहिणी में लगाए गए 100 तो मिरगिसरा नक्षत्र में लगे 50 फीसद बिजड़े बूढ़े हो चुके हैं। रहुई कृषि पदाधिकारी श्रवण कुमार ने बताया कि किसानों के समक्ष मुसीबत यह है कि बूढ़े हो चुके बिचड़े की खेतों में लगाते भी हैं तो 15 से 20 फीसद उपज प्रभावित होने का आशंका रहता है। किसान मोटर या डीजल इंजन के सहारे खेत में धान की रोपाई करने पर मजबूर हैं। प्रखंड में कम बारिश से सूखे के हालात। किसान बारिश का कर रहे हैं बेसब्री से इंतजार बारिश की कमी से रहुई प्रखंड क्षेत्र के इलाके में खेती-किसानी का संकट दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। हर दिन औषध के बीच में 1 से 2% की बढ़ोतरी हो रही है किसान टकटकी लगाकर बादलों के बरसने के इंतजार में हैं।
सूखे की चपेट में रहुई प्रखंड अब तक महज 5 फीसद खेतों में हुई धन रोपनी।
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