Saturday, September 21, 2024
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शिवाजी एक धर्मनिरपेक्ष राजा थे |

राकेश बिहारी – बिहारशरीफ-बबुरबन्ना, स्थानीय बिहारशरीफ के बबुरबन्ना मोहल्ले में साहित्यिक मंडली “शंखनाद” नालंदा के तत्वावधान में सविता बिहारी निवास स्थित सभागार में भारतीय अस्मिता और संस्कृति के पुरोधा छत्रपति शिवाजी महाराज की 396 वीं जयंती मनाई गई।

जिसकी अध्यक्षता साहित्यिक मंडली “शंखनाद” के वरीय सदस्य समाजसेवी सरदार वीर सिंह ने तथा संचालन “शंखनाद” के मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने किया।
जयंती समारोह में विश्व गौरव वीर योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के तस्वीर पर समारोह के मुख्य अतिथि समाजसेवी किसान नेता चन्द्र उदय कुमार मुन्ना, महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने पुष्पांजलि अर्पित तथा दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

मौके पर साहित्यिक मंडली “शंखनाद” के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिवाजी महाराज भारतीय स्वाभिमान के प्रतीक हैं। उन्होंने हिंदू-मुस्लीम दोनों संप्रदायों के धार्मिक स्थलों की रक्षा ही नहीं की बल्कि धर्मान्तरित हो चुके मुसलमानों और ईसाईयों के लिए भयमुक्त माहौल भी तैयार किया था। शिवाजी एक धर्मनिरपेक्ष राजा थे और उनकी सेना में 1,50,000 मुस्लिम सैनिक थे।

शिवाजी के साम्राज्य में महिलाओं से जुड़े किसी भी अपराध को लेकर कड़े नियम थे। शिवाजी पर मुस्लिम विरोधी होने का दोषारोपण किया जाता रहा है, पर यह सत्य इसलिए नहीं कि उनकी सेना में तो अनेक मुस्लिम नायक एवं सेनानी थे ही, अनेक मुस्लिम सरदार और सूबेदारों जैसे लोग भी थे।

शिवाजी एक धर्मनिरपेक्ष राजा थे |

समारोह के मुख्य अतिथि समाजसेवी चन्द्र उदय कुमार मुन्ना ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज एक भारतीय कुशल एवं निर्भीक शासक थे, जिन्होंने मराठा साम्राज्य खड़ा किया था। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे बहादुर, बुद्धिमानी, शौर्यवीर और दयालु शासक थे। इसीलिए उन्हें एक अग्रगण्य वीर एवं अमर स्वतंत्रता-सेनानी के रूप में स्वीकार किया जाता है। शिवाजी महाराज बचपन से ही एक साहसी और वीर योद्धा थे। उन्होंने वाल्यकाल में ही स्वतंत्र सेना का संगठन कर कई दुर्गों पर अपना अधिकार जमा लिया था।

मौके पर मंच संचालन करते हुए राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर कविता सुनाया और कहा- भारतीय इतिहास में शिवाजी महाराज का नाम स्वर्णाक्षर में अंकित है। उनका भारतीय इतिहास में एक अलौकिक नाम है। कोई भारतीय शिवाजी महाराज को भूल नहीं सकता।

मौके पर अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी सरदार वीर सिंह ने छत्रपति वीर शिवाजी महाराज के जीवन से प्रेरणा लेने की अपील युवाओं से की। वीर शिवाजी की तरह ही देश के युवाओं को अपने देश की आन, बान, शान बनाए रखने के लिए जीना चाहिए। समय आने पर यदि देश की रक्षा के लिए जान न्यौछावर करनी पड़े तो भी पीछे नहीं हटना चाहिए।

पत्रकार अरुण कुमार मयंक ने कहा कि भारत देश वीर सपूतों की कर्मभूमि रहा है, पराक्रमी योद्धाओं के जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत है। छत्रपति शिवाजी महाराज अपने पराक्रम, शौर्य और कुशल युद्ध नीति के बल पर आततायी के छक्के छुड़ा दिए थे।
इस समारोह में समाजसेवी डॉ. हजारी साव, समाजसेवी धीरज कुमार, सविता बिहारी, आरती कुमारी, सलोनी कुमारी, नारायण रविदास, रामप्रसाद चौधरी, स्वाति कुमारी, अनिता देवी सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।

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