गुरुवार से स्थानीय नालंदा कॉलेज मे भूगोल विभाग और गौरैया विहग फाउन्डेशन के संयुक्त तत्वावधान मे पर्यावरण संरक्षण जागरूकता विषय पर सात दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत हुई। कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया. अपने उद्घाटन संबोधन मे कॉलेज के प्राचार्य डॉ रामकृष्ण परमहंस ने कहा कि मानव का इतिहास संघर्षों का इतिहास है.कभी खुद से तो कभी प्रकृति से.आदि काल मे मानव का क्रियाकलाप प्रकृति के अनुकूल था,दोनों मे तादात्म्य स्थापित कर विकास को अंजाम दिया जाता था.लेकिन औद्योगिक क्रांति के उपरांत विकास के कार्यों ने प्रकृति को अनदेखा कर दिया जिसके फलस्वरूप पर्यावरण मे असंतुलन उत्पन्न हो गया जो वर्तमान मे विश्व के सामने सबसे बड़ी चुनौती बँकर उभरी है.इस कार्यशाला के माध्यम से इस समस्या का हल खोजेंगे.
कार्यक्रम के समन्वयक भूगोल विभाग की अध्यक्षा डॉ भावना ने कहा कि अर्जित ज्ञान की सार्थकता तभी है जब उसे दैनिक जीवन और जमीनी स्तर पर उतारा जाए. इस कार्यशाला के उपरांत सच्चे प्रकृति सेवक निकलेंगे जो लोगों मे पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का अवसर मिलेगा. इसके लिए आभार प्रकट करती हूँ राजीव रंजन पांडेय का जिन्होंने अपनी संस्था के माध्यम से पर्यावरण के प्रति लोगों को सचेत करने का जिम्मा उठाया है.
इतिहास विभाग के डॉ रतनेश अमन ने कहा कि नालंदा कॉलेज हमेशा से सामाजिक दायित्वों को प्रथमिकता दी है.जिसमें पर्यावरण सर्वोपरि है.भविष्य मे भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जायेगे ताकि बच्चे सीधे पर्यावरण से जुड़कर समाज और राष्ट्र हित मे कार्य कर कालेज का नाम रौशन कर सकें. कार्यशाला में 30 बच्चों का चयन किया जायेगा जो प्रत्येक दिन 2 घंटे के विशेष सत्र में विभिन्न विषयों पर चर्चा करेंगे। कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों को फील्ड ट्रिप के लिए राजगीर ले जाया जायेगा जहाँ उन्हें वस्तविकता से रुबरु कराया जायेगा। इस अवसर पर वनस्पति विभाग के डॉ सुमित कुमार,रूबी कुमारी, अर्पिता कुमारी,धीरज कुमार,सुनील कुमार,सोनम कुमारी नितु कुमारी के अलावे अन्य छात्र मौजूद थे.
पर्यावरण संरक्षण जागरूकता विषय पर सात दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत
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