युवा गायिका खुशबू ने गीतों के माध्यम से किया जागरूक राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर सद्भावना मंच (भारत) के तत्वावधान में बिहार शरीफ स्थित श्री हिंदी पुस्तकालय में बालिका दिवस पर जागरूकता संगोष्ठी आयोजित की गई ।
इस संगोष्ठी की अध्यक्षता साधना जी ने की ।संगोष्ठी का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। प्रारंभ में युवा नवोदित गायिका मानसी शर्मा ने
नारी शोषण, भ्रूण हत्या
सुनकर दहेज मैं रोती हूं,
बंद करो अपमान हमारा
मैं भी तेरी बेटी हूं ।
नामक गीत की प्रस्तुति कर फोन के माध्यम से लोगो को बालिकाओं के मुख्य दर्द को सामने रखा ।
सद्भावना मंच ( भारत) के संस्थापक तथा जाने माने समाजसेवी दीपक कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस का मुख्य उद्देश्य है कि समाज में बालिकाओ को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना एवम उन्हे सशक्त करना । इसकी शुरुआत महिला एवं बाल विकास, मंत्रालय भारत सरकार ने 2008 में की थी। उन्होंने सेव द गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड सेक्स रेशियो, और बालिकाओ के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित अन्य सामाजिक मुद्दे पर विस्तारपूर्वक अपनी बाते रखी ।जिला स्तरीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में केयर इंडिया की प्रतिनिधि वीणा कुमारी ने उपस्थित बालिकाओं एवम लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि
हम सभी को यह प्रयत्न करना चाहिए कि बेटियां अधिक से अधिक सशक्त हो।वे शोषण के शिकार न हो । उनके उचित शिक्षा एवम स्वास्थ्य पर शुरू से ही ध्यान देने की जरूरत है ।
बालिकाओं को भी सम्मान पूर्वक जीवन जीने हक है। हमें बेटियों को बैड टच व गुड टच के बारे में संवेदनशील बनाना होगा। बदलते दौर में यह बहुत ही आवश्यक हो गया है ।आपात स्थितियों से बचने के लिए 112 जैसे नंबरों की जानकारी देनी होगी ।साथ ही घर के कुछ सदस्यों का नंबर भी अपने पास रखें।उन्होंने बालिकाओं के प्रति यौन हिंसा , सामाजिक सुरक्षा, बैड टच एवं गुड टच ,प्रताड़ना आदि गंभीर मुद्दे पर अपनी बाते खुलकर बताई ।
मौके पर उपस्थित युवा गायिका खुशबू कुमारी ने बेटो की तरह बेटियां भी नाम रौशन करती है ।
नामक गीत गाकर बालिकाओं के महत्व पर प्रकाश डाला।उनके गीतो की शानदार प्रस्तुति को लोगो ने खूब सराहा ।
संगोष्ठी में उपस्थित साहित्यिक मंडली शंखनाद के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस पहली बार भारत में 24 जनवरी 2008 को मनाया गया था। इंदिरा गांधी ने 24 जनवरी 1966 को भारत की पहली महिला प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली थी।
उन्होंने विस्तारपूर्वक बालिकाओं को शिक्षा के प्रति प्रेरित किया और सामाजिक क्रांति की अग्रदूत महिला नेत्री सावित्री बाई फुले की जीवनी भी बताया ।शंखनाद के वरीय सदस्य साहित्यसेवी सरदार वीर सिंह ने कहा कि इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लड़कियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना है।संगोष्ठी में युवा समाजसेविका पल्लवी भारती ने कहा कि बेटियो को पढ़ लिखकर सशक्त होने की जरूरत है ।उन्होंने स्त्री, पुरूष भेदभाव को खत्म करने की अपील की ।
युवा छात्र लालेंद्र कुमार ने संगोष्ठी में अपने महत्वपूर्ण विचारो के माध्यम से लोगो को बालिकाओं के हक हकूक की विस्तारपूर्वक जानकारी दी ।
कार्यक्रम में हेमलता ,अशोक कुमार , अवध शर्मा ,दीनानाथ शर्मा ,सहित समाजसेवी ,बुद्धिजीवी आदि लोग मौजूद रहे।