Monday, December 23, 2024
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बुद्धिजीवियों की सामाजिक समरसता पर हुई विचार गोष्ठी

सोहसराय क्षेत्र के साहित्यिक भूमि बबुरबन्ना मोहल्ले में सविता बिहारी निवास स्थित सभागार में शंखनाद साहित्यिक मंडली के तत्वावधान में हरनौत एवं तेलमर पंचायत के समाजसेवियों व बुद्धिजीवियों की एक विचार गोष्ठी आयोजित हुई। विचार गोष्ठी का विषय था “वर्तमान पंचायती राज व्यवस्था में बुद्धिजीवियों की भूमिका एवं सामाजिक समरसता”। गोष्ठी की अध्यक्षता तेलमर पंचायत के पूर्व सरपंच कृष्ण कुमार ने की। तथा संचालन हरनौत विधान सभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी एवं कर्मठ सामाजिक कार्यकर्ता चंद्र उदय कुमार ने किया। मौके पर गोष्ठी का संचालन करते हुए समाजसेवी चंद्र उदय कुमार ने कहा कि भारतीय परंपरा सभी को सुखी व स्वस्थ देखने की है। यह तभी संभव होगा जब हम सभी मिलजुल कर रहें। जात-पात देश के लिए सबसे ज्यादा घातक है। सारा विश्व ही एक परिवार है। एक षड्यंत्र के तहत देश की समरसता में जहर घोलने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि आपसी सद्भाव बनाए रखने से ही समरस समाज का निर्माण होगा। समाज में समरसता का भाव लाने का बीड़ा हमेशा बुद्धिजीवियों ने ही उठाया है। किसी भी वर्ग या समाज के पृथक हो जाने से राष्ट्र का उत्थान नहीं हो सकता।बुद्धिजीवियों की सामाजिक समरसता पर हुई विचार गोष्ठी

मौके पर अध्यक्षता करते हुए तेलमर पंचायत के पूर्व सरपंच कृष्ण कुमार ने विचार गोष्ठी के दौरान सामाजिक समरसता, राजनीतिक मजबूतीकरण के लिए समाज में शिक्षा को बढ़ावा देना और एकजुट रहना अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज किसी भी समाज को एकजुट रहने सामाजिक असमानता को खत्म करने राजनीतिक इच्छा शक्ति बढ़ाने समाज का आर्थिक सुदृढ़ीकरण करने के लिए शिक्षा के प्रचार-प्रसार एवं आपसी प्रेम की भावना जागृत करना होगा। और बिना शिक्षा के किसी भी समाज का विकास नहीं हो सकता है। इस कार्यक्रम में शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव समाजसेवी राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि भारतीय साहित्य में अहिंसा परमोधर्मः एवं वसुधैव कुटुम्बकम से अहिंसा एवं सामाजिक समरसता की बातें स्पष्ट होती है। भारतीय संस्कृति में नैतिक मूल्य व जीवन मूल्य समाहित हैं। हमारी संस्कृति का आधार ही त्याग, ममता तथा जियो और जीने दो की भावनाएं हैं। सद्भाव, सहनशीलता व त्याग समरसता के आधार है। आज विश्व भर में अहिंसा का प्रदूषण फैला हुआ है, इसके लिये समाज में परिवर्तन की आवश्यकता है, जो कानून से या राजनीतिक परिवर्तन से नहीं हो सकता, बल्कि खुद को बदलने से ही सामाजिक समरसता आ सकती है।बुद्धिजीवियों की सामाजिक समरसता पर हुई विचार गोष्ठी

गोष्ठी में नरसंडा के सामाजिक कार्यकर्ता लालबाबू सिंह ने अहिंसा व सामाजिक समरसता को अलग-अलग नहीं बताकर उनके मूल में एक ही भावना बंधुता को बताया तथा कहा कि बंधुता आने पर समता आयेगी और समता से समरसता आयेगी। उन्होंने कहा- वर्षों पहले प्रत्येक गांव में प्रेम, त्याग, एकता, सद्भाव और सद्चरित्र का पाठ बुजुर्ग लोग अपने-अपने बच्चों को पढ़ाते थे। लोग अपने छोटे-छोटे अहंकार को त्यागकर अपनी कर्मभूमि के हित की बात करते थे, जो अब देखने को नहीं मिलता है। इस विचार गोष्ठी में हरनौत पंचायत समिति सदस्य रौशन कुमार, विक्की कुमार, छोटे बिंद, रोहित कुमार, निरंजन रविदास, रंजन कुमार, अजय रविदास, श्याम रविदास, सरदार वीर सिंह ने मुख्य भूमिका निभाई।

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