चौधरी चरण सिंह एक व्यक्ति नहीं विचारधारा थे
● साहित्यिक मंडली शंखनाद ने मनाई चौधरी चरणसिंह की 34 वीं पुण्यतिथि
● जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे वो देश कभी तरक्की नहीं कर सकता
● चौधरी चरण सिंह प्रकांड विधिवेत्ता एवं अर्थशास्त्र के बड़े जानकार नेता थे
बिहारशरीफ,बबुरबन्ना-नालंदा 29 मई 2021 : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री धरती पुत्र स्व. चौधरी चरणसिंह की भर्चुअल तरीके से 34 वीं पुण्यतिथि कवियों, साहित्यकारों तथा समाजसेवियों ने साहित्यिक मंडली “शंखनाद” नालंदा के तत्वावधान में मनाई गई। कार्यक्रम कोरोनावायरस संक्रमण के चलते सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए अपने-अपने स्थान पर से ही भर्चुअल स्तर से किया गया। भर्चुअल कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यिक मंडली “शंखनाद” के अध्यक्ष साहित्यकार डा. लक्ष्मीकांत सिंह ने तथा कार्यक्रम का संचालन ‘शंखनाद’ के मीडिया प्रभारी नवनीत कृष्ण ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अपने अपने स्तर से पूर्व प्रधानमंत्री धरती पुत्र स्व. चौधरी चरणसिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। पूण्यतिथि के भर्चुअल कार्यक्रम में विषय प्रवेश कराते हुए साहित्यिक मंडली “शंखनाद” के सचिव साहित्यकार व साहित्यसेवी राकेश बिहारी शर्मा ने कहा है कि भारत के सातवें प्रधानमन्त्री धरती पुत्र स्व. चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को उत्तर प्रदेश मेरठ ज़िले के नूरपुर ग्राम में मध्य वर्गीय कृषक ‘जाट’ परिवार में पिता चौधरी मीर सिंह और माता नेत्रकौर के घर में हुआ था। वे कुछ समय के बाद माता-पिता के साथ मेरठ के भूपगढ़ी गांव आकर रहने लगे। वही वर्ष 1929 में मेरठ जिला पंचायत सदस्य व 1937 में प्रांतीय धारा सभा में चुने गए। 03 अप्रैल 1967 में मुख्यमंत्री, 1977 में सांसद तथा गृहमंत्री, 24 जनवरी 1979 में उप प्रधानमंत्री, 28 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने चौधरी चरण सिंह को श्रधांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्वर्गीय चरण सिंह कहते थे कि ‘देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों और खलिहानों से होकर गुजरता है। उनका कहना था कि भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है। जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे वो देश कभी तरक्की नहीं कर सकता।’ इसीलिये देश के लोगों का आज भी मानना है कि चौधरी चरण सिंह एक व्यक्ति नहीं विचारधारा थे। चौधरी चरण सिंह ने हमेशा यह साबित करने की कोशिश की थी कि किसानों को खुशहाल किए बिना देश का विकास नहीं हो सकता। उनकी नीति किसानों व गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने की थी। उन्होंने किसानों की खुशहाली के लिए खेती पर बल दिया था। किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिल सके इसके लिए भी वो बहुत गंभीर रहते थे। उनका कहना था कि भारत का सम्पूर्ण विकास तभी होगा जब किसान, मजदूर, गरीब सभी खुशहाल होंगे। चौधरी चरण सिंह जीवन पर्यन्त गांधी टोपी धारण कर महात्मा गांधी के सच्चे अनुयायी बने रहे। ईमानदारी उनकी पहचान रही। यही वजह है कि जिस दिन उनका निधन हुआ तब उनके खाते में सिर्फ 470 रुपये थे। चौधरी चरण सिंह ने अत्यंत साधारण जीवन व्यतीत किया और अपने खाली समय में वे पढ़ने और लिखने का काम करते थे। उन्होंने कई किताबें लिखी जिसमें ‘ज़मींदारी उन्मूलन’, ‘भारत की गरीबी और उसका समाधान’, ‘किसानों की भूसंपत्ति या किसानों के लिए भूमि, ‘प्रिवेंशन ऑफ़ डिवीज़न ऑफ़ होल्डिंग्स बिलो ए सर्टेन मिनिमम’, ‘को-ऑपरेटिव फार्मिंग एक्स-रयेद्’ आदि प्रमुख हैं।
अध्यक्षता करते हुए शंखनाद के अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि चौधरी चरण सिंह का प्रभाव किसानों से लेकर राजनीति के ऊंचे स्तर तक रहा करता था। उनके प्रभाव की सबसे बड़ी मिसाल यही है कि उन्हें आज भी किसानों को मसीहा माना जाता है। अंग्रेजों से कर्ज माफी का बिल पास करवाना, किसानों के खेतों की नीलामी रुकवाना, गावों के विद्युतिकरण, भूमि कानून सुधारों के लिए संघर्ष जैसे कई काम किए। उन्होंने किसानों के खातिर पुरानी पार्टी छोड़ी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार तक बनाने के काम क लिए, लेकिन उनकी लोकप्रियता में कभी कमी नहीं आई। वे अर्थशास्त्र के बड़े जानकार थे। वह देश के सबसे गरीब आदमी को ध्यान में रखकर राजनीति करते रहे और उसकी चिंता करते रहे।किसान नेता समाजसेवी चन्द्रउदय कुमार मुन्ना ने कहा कि धरतीपुत्र स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह गरीब घर में जन्म लेकर गांव की मिट्टी में पलते-बढ़ते प्रधानमंत्री तक का सफर तय करने वाले स्व. चौधरी चरण सिंह आज भी किसानों के दिलों पर राज करते हैं। वह ऐसा नेता रहे जिन्होंने आत्मविश्वास पैदा कर गांव-गरीब और किसानों को सम्मान से जीना सिखाया। चौधरी चरण सिंह के ऊपर किसान आंख बंद करके भरोसा करते थे। इस समय देश में काफी समय से किसान आंदोलन चल रहा है। इस बात पर अभी तक बहस चल रही है कि कोरोना काल में भी इसके जारी रहने का क्या औचित्य है। जब भी देश में किसानों को लेकर कोई आवाज उठती है तो उसके आंदोलन का रूप लेने से पहले ही चौधरी चरण सिंह का नाम आता है। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय चरण सिंह के पद चिह्नों पर चलने की इस दिन शपथ लेनी चाहिए। वर्तमान में जो किसानों के साथ हो रहा है, वह गलत हो रहा है। यदि चौधरी चरण सिंह होते तो वह सरकार की जड़ों को हिलाकर रख देते। इंजी. वैज्ञानिक साहित्यकार आनंद वर्द्धन ने कहा कि किसान इस देश का मालिक है, परन्तु वर्तमान समय में वह अपनी ताकत को भूल बैठा है। चौधरी चरण सिंह का निधन आज ही 29 मई 1987 को हुआ। दिल्ली में यमुना नदी के किनारे उनकी समाधि है जिसे किसान घाट के नाम से जाना जाता है। देश प्रेम चरण सिंह के स्वभाव में रग-रग में व्याप्त था। चौधरी चरण सिंह किसानों के मसीहा थे। वह देश के प्रधानमंत्री के साथ साथ कई बार मंत्री भी रहे।शंखनाद के मीडिया प्रभारी नवनीत कृष्ण ने कहा कि 1951 में वे उत्तर प्रदेश कैबिनेट में न्याय एवं सूचना मंत्री बने। इसके बाद वे 1967 तक राज्य कांग्रेस के अग्रिम पंक्ति के तीन प्रमुख नेताओं में गिने जाते रहे। और भूमि सुधार कानूनों के लिए काम करते रहे। किसानों के लिए उन्होंने 1959 के नागपुर कांग्रेस अधिवेशन में पंडित नेहरू तक का विरोध करने से गुरेज नहीं किया था।इस दौरान सरदार वीर सिंह, समाजसेवी अरुण बिहारी शरण, समाजसेवी धीरज कुमार, राजदेव पासवान, स्वाति कुमारी, अनीता देवी आदि लोग मौजूद थे।