Friday, December 20, 2024
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वर्षा के आभाव में बिचड़ा बचाना किसानों के लिए बनी चुनौती

वर्षा के आभाव में बिचड़ा बचाना किसानों के लिए बनी चुनौती, विभाग ने जारी किया एडवाईजरी बुलेटिन
नालंदा में बन रही सुखाड़ की स्थिति, 11 जुलाई तक 55 एमएम कम हुई बारिश मौसम की अांख मिचौली से किसान परेशान हो रहे हैं। मॉनसुन आने के बाद भी वर्षा का नहीं होना, जिले में सुखाड़ की दस्तक दे रहा है। बारिश नहीं होने के कारण किसानों को धान का बिचड़ा बचाना चुनौती बना है। जिन लोगों के पास अपना ट्यूबेल है वे किसी तरह बिचड़ा को बचा पा रहे हैं लेकिन दुसरों पर आश्रित किसानों से समक्ष विकट समस्या हो रही है। जैसे-जैसे बिचड़ा पिला हो रहा है वैसे-वैसे किसानों की उम्मीद भी टुटती जा रही है। हलांकि कुछ प्रखंडाें में धान की रोपनी भी शुरू हो गई है लेकिन जबतक पर्याप्त बारिश नहीं होती है तब तक फसल से उम्मीद करना किसानों के हित में नहीं है। सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए विभाग से एडवाईजरी बुलेटिन जारी किया है। डीएओ संजय कुमार ने बताया कि पौधा काा पीला होना बड़ी बात नहीं है। इसके कई कारण हो सकते हैं। इसलिए सुझाव के तौर पर एडवाईजरी बुलेटिन जारी किया है। अगर पौधा का उपरी भाग पीला है और नीचे का भाग हरा है तो अायरन की कमी के कारण यह स्थिति बन रही है। अगर पूरा भाग पीला है तो सिंचाई की जरूरत है। इसके अलावे पानी की कमी को दुर करने के लिए किसान कंपोस्ट का प्रयोग कर सकते हैं। कंपोस्ट इस्तेमाल से काफी हद तक पानी की कमी को दुर कर पाएगा। हलांकि अभी सुखाड़ की स्थिति नहीं बनी है लेकिन मौसम के बेरूखी इसी प्रकार बना रहा तो जिले में सुखाड़ की संभावना बन सकती है। मात्र 34.77 एमएम हुई बारिश मौसम की बेरूखी किसानो के लिए चिंता का विषय बना है। मानक के अनुसार जितनी बारिश होनी चाहिए, अभी तक नहीं हो पाया है। विभागीय आकलन के अनुसार 31 जुलाई तक 252.8 एमएम एवं 11 जुलाई तक कम से कम 89.70 एमएम बारिश होनी चाहिए। लेकिन इस माह अब तक मात्र 34.77 एमएम ही बारिश हो पाई है। यानी 63.93 एमएम कम बारिश हुई है। जिला परामर्शी कुमार किशोर नंदा ने बताया कि मॉनसुन बारिश की भूमिका बनाना चाह रही है लेकिन दिन व दिन पेड़ों व पहाड़ों का कटाव हो रहा है। इस कारण हवा का ठहराव नहीं होने के कारण बारिश नहीं हो पा रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में 21 एमएम कम हुई बारिश बारिश की स्थिति को देखा जाय तो पिछले वर्ष भी हालात ठीक नहीं था। लेकिन इस वर्ष से बेहतर था। 2021 में 31 जुलाई तक 252.8 एमएम की जगह 182.16 एम एम ही बारिश हो पाया था। वहीं 11 जुलाई तक 89.70 एम एम की जगह 55.39 एम एम बारिश हो पाया था। लेकिन 2022 में 11 जुलाई तक मात्र 34.77 एम एम ही बारिश हो पाया है। यानी 21 एम एम कम बारिश हुई है।
86 प्रतिशत बुआई तो .13 प्रतिशत हुई रोपनी समय पर बारिश नहीं होने के कारण बिचड़ा बुआई के साथ-साथ रोपनी भी प्रभावित हो रहा है। लक्ष्य के मुताबिक 86.10 प्रतिशत बिचड़ा की बुआई हुआ है। इस वर्ष 13275.9 हेक्टेयर में बिचड़ा लगाने का लक्ष्य रखा गया था जिसमें 11430.37 हेक्टेयर में बुआई का काम हुआ है। वहीं कुछ प्रखंडों में धान रोपनी भी शुरू हो गया है। चंडी, करायपरसुराय एवं रहुई में रोपा शुरू हा गया है। लेकिन बारिश नहीं होने के कारण रोपनी का काम भी रफ्तार नहीं पकड़ रहा है। इस वर्ष 132754 हेक्टेयर में धान अच्छादन का लक्ष्य रखा गया है जिसमें अभी तक मात्र 165.75 हेक्टेयर में ही रोपा हो पाया है।

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