Monday, December 23, 2024
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संत शिरोमणि रविदास की श्रद्धा पूर्वक जयंती मनाई गई

बिहारशरीफ 24 फरवरी 2024 :- 24 फरवरी दिन शनिवार की देरशाम दलित विकास कमेटी नालंदा के द्वारा नगर निगम परिसर में देश के सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, जन कवि संत शिरोमणि रविदास की जयंती कर्यक्रम के संयोजक सह अध्यक्ष अनिल दास की अध्यक्षता में समारोहपूर्वक मनाई गई। मौके पर संत शिरोमणि रविदासजी के प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। समारोह संचालन करते हुए साहित्यकार व कवि महेंद्र कुमार विकल ने कहा कि आज भी संत रविदास के विचार समाज के कल्याण तथा उत्थान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने अपने आचरण तथा व्यवहार से यह प्रमाणित कर दिया है कि मनुष्य अपने जन्म तथा व्यवसाय के आधार पर महान नहीं होता है। बल्कि विचारों की श्रेष्ठता, समाज के हित की भावना से प्रेरित कार्य तथा सद्व्यवहार जैसे गुण ही मनुष्य को महान बनाने में सहायक होते हैं। इन्हीं गुणों के कारण संत रविदास को अपने समय के समाज में अत्यधिक सम्मान मिला और इसी कारण आज भी लोग इन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं।

संत शिरोमणि रविदास की श्रद्धा पूर्वक जयंती मनाई गई

जयंती समारोह में विषय प्रवेश कराते हुए “शंखनाद” साहित्यिक मंडली के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने कहा है कि जन कवि संत शिरोमणि रविदासजी भारत में 15वीं शताब्दी के एक महान संत, दर्शनशास्त्री, कवि, समाज-सुधारक और निर्गुण संप्रदाय के अनुयायी थे। उन्होंरने समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। छुआछूत आदि का उन्होंने विरोध किया और पूरे जीवन इन कुरीतियों के खिलाफ ही काम करते रहे। इस सामाजिक परिस्थिति के संदर्भ में, संत रविदासजी ने लोगों को वैश्विक भाईचारा और सहिष्णुता का ज्ञान दिया। उन्होंने भाईचारे का जो संदेश दिया था वह आज भी प्रासंगिक है। समाज में सहिष्णुता और समानता के लिये संत रविदास द्वारा किये गये कार्यों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिये। भारत की धार्मिक सत्ता ने सदैव समाज को एक सूत्र मे बांधे रखा लेकिन आज कुछ लोग संतो महापुरुषो को जाति के दायरे मे खड़ा कर अपनी कुंठित मानसिक्ता का परिचय दे रहे हैं साथ ही सामाजिक जीवन मूल्यो को क्षति पहुंचा रहे है। उन्होंने आव्हान किया कि समाज में जातीय भेदभाव को समाप्त करने के लिये संत रविदास जी द्वारा बताये गये मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
मौके पर शंखनाद के अध्यक्ष इतिहासकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि संत कुलभूषण कविराज संत रविदासजी ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया। उन्होंने कहा- गुरु रविदासजी मध्यकाल में एक भारतीय संत, जनकवि एवं सतगुरु थे। इन्हें संत शिरोमणि सतगुरु की उपाधि दी गई है। इन्होंने रविदासीया, पंथ की स्थापना की और इनके रचे गए कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं। इन्होंने जात पात का घोर खंडन किया और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया।

साहित्यकार डॉ. आनंद वर्द्धन ने अपने सम्बोधन में कहा कि संत रविदास मध्ययुगीन इतिहास के संक्रमण काल में हुए थे, उस समय ब्राह्मणों की पाशविक मनोवृति से दलित और उपेक्षित पशुवत जीवन व्यतीत करने के लिए बाध्य थे। संत रविदासजी या रैदास यह सब देखकर बहुत विचलित होते थे, उनकी समन्वयवादी चेतना इसी का परिणाम है।

राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने कई भजन व गजल सुनाते हुए कहा कि रविदास जी ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया।

मौके पर सरदार वीर सिंह ने कहा कि संत रविदास सिर्फ कवि ही नहीं बल्कि समाज सुधारक, दार्शनिक, भविष्यद्रष्टा, जैसी अनेक विशेषताओं से विभूषित थे। उनके व्यक्तित्व को एक जाति विशेष तक सीमित नहीं किया जा सकता है। संत रविदास को जयदेव, नामदेव और गुरुनानक जैसे महान संतों की अविरल परंपरा की महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में जाना जाता है। संत रविदास ने अपनी अनेक रचनाओं के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मौके पर वार्ड पार्षद रीना महतो एवं पूर्व वार्ड पार्षद परमेश्वर महतो ने कहा संत रविदास जी किसी एक जाति या धर्म के नही अपितु समग्र समाज व धर्म के है। उनका जीवन चरित्र ही समाज के आदर्श और संबल प्रदान करने वाला रहा है।

कार्यकर्म के संयोजक अनिल रविदास ने कहा कि रविदास की वाणी भक्ति की सच्ची भावना, समाज के व्यापक हित की कामना तथा मानव प्रेम से ओत-प्रोत होती थी। आज भी संत रविदास के उपदेश समाज के कल्याण तथा उत्थान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।

इस दौरान कार्यक्रम के आयोजन कर्त्ता व सचिव जनक दास, राजू दास, धर्मेन्द्र दास, संतोष रविदास, महेश रविदास, मनोज रविदास, अरुण रविदास, राजू रविदास, अजय रविदास, पिंटू रविदास, नरेश रविदास सहित सामाज के सभी सदस्यगण उपस्थित थे।

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