पटना: केके पाठक बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की कवायद में लगे हैं। इसके लिए वह फरमान पर फरमान जारी कर रहे हैं। शिक्षा विभाग ने अब आदेश दिया है कि सूबे के 300 स्कूल रोज वीडियो कॉन्फेंसिग के माध्यम से अपना रिपोर्ट कार्ड शिक्षा विभाग को देंगे। चुनावी माहौल में शिक्षा विभाग के फरमान को लेकर जब जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बात किसी अधिकारी या उसके कार्यशैली के ऊपर नहीं है। मुख्य बात यह है कि बिहार में 10 वर्षों में नीतीश कुमार जैसे पढ़े-लिखे व्यक्ति के मुख्यमंत्री रहते हुए भी शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गई। सरकार ने शिक्षा को पूरी तरह इग्नोर किया है। किसी अधिकारी के खिलाफ या उसके पक्ष की जो बात है वह तत्कालीन विषय है। बिहार में शिक्षण संस्थानों को मजाक बना दिया गया है, जहां शिक्षा को छोड़कर हर तरह की गतिविधि दिख सकती है। स्कूल में खिचड़ी बाँटी जाती है, वोटर लिस्ट बंट रहा है।
प्रशांत किशोर- जो दो पीढियां इस शिक्षा व्यवस्था से पढ़ कर निकल गई, उनको जीवन भर शिक्षित समाज के पीछे ही चलना पड़ेगा
प्रशांत किशोर ने बिहार के शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की चर्चा को लेकर कहा कि स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है, शिक्षण संस्थाओं का उपयोग सिर्फ खानापूर्ति करने के लिए है। समाज में यह बात बताने के लिए कि शिक्षा पर सरकार चिंतित है। इसका नतीजा यही है कि पूरे बिहार में या तो लोग अनपढ़ हो गए हैं, या डिग्री धारक बेरोजगार बनकर बैठे हैं। नीतीश कुमार के शासनकाल में शिक्षा व्यवस्था को उनके कार्यकाल का काला अध्याय बताया जाएगा। इसके कारण को अस्पष्ट करते हुऐ प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर कल एक अच्छी सरकार चुनकर आ जाए तो संभव है कि टूटी हुई सड़कें बन जाए, नहर में पानी आ जाए लेकिन जो दो पीढियां इस शिक्षा व्यवस्था से पढ़ कर निकल गई, उनको जीवन भर शिक्षित समाज के पीछे ही चलना पड़ेगा।