नालंदा जिला के तमाम स्कूलों के शिक्षक शिक्षिकाएं सरकार के सचिव के तुगलकी फरमान के विरोध में काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज किया है टेट प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिला मीडिया प्रभारी मुकेश कुमार ने कहा कि शिक्षा की अधिकार कानून के आधार पर साल में 220 दिन विधालयों को संचालित करनी है। अभी वर्ष में 60 छुट्टी और 53 दिन रविवार के बाद भी 253 दिन स्कूल बच्चों के अध्ययन अध्यापन के लिए खुला रहता है इसके बावजूद भी पर्व त्यौहार के दिनों में शिक्षकों और छात्रों की छुट्टी में कटौती की जा रही है शिक्षकों के साथ ऐसा व्यवहार करना उनके अधिकारों का हनन है इस अवकाश को रद्द कर देने से शिक्षकों के साथ- साथ बच्चों पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ता है। जैसा कि मालूम होना चाहिए कि रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, हरितालिका तीज, दुर्गा पूजा ,दीपावली एवं बिहार के महत्वपूर्ण पर्व छठ के अवसर पर भी अवकाशों में भी कटौती कर नाम मात्र की छुट्टियां दी गई है जबकि इन अवसरों पर खुद शिक्षा विभाग के सभी कार्यालय एवं अन्य सरकारी कार्यालय बंद रहेगा।
जिला महासचिव पंकज कुमार ने कहा कि यह आदेश भारतीय सभ्यता संस्कृति के खिलाफ साजिश है निदेशक के उक्त आदेश में शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्राथमिक विद्यालयों में 200 दिन एवं मध्य विद्यालयों में 220 दिन कार्य दिवस का प्रावधान है जिसे पूरा करने के लिए सभी अवकाशों को रद्द कर किया गया है जबकि राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में ग्रीष्म अवकाश, राष्ट्रीय त्योहार, महापुरुषों की जयंती एवं सभी धर्म के विभिन्न पर्व त्योहार को मिलाकर साल में 365 दिनों में मात्र 60 दोनों का अवकाश तथा 52 दिन रविवार या शुक्रवार को अवकाश देते हुए लगभग 253 दिनों तक विद्यालय का संचालन किया जाता है इसलिए हम बिहार सरकार के मुखिया माननीय नीतीश कुमार जी से यह मांग करते हैं । अविलंब ऐसी तानाशाह प्रवृत्ति के सचिव के के पाठक जी को शिक्षा विभाग से हटाने का कार्य करें जिससे शिक्षक एवं बच्चे का बौद्धिक एवं शैक्षणिक विकास हो सके।