चैती महाकाली पूजा को लेकर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, ● चैती महाकाली माता के दर्शन मात्र से ही सुख की अनुभूति होती है
सोहसराय 5 अप्रैल 2025 : सोहसराय बबुरबन्ना-मिल्की मोड़ पर स्थित मशहूर मां महाकाली मंदिर में चैती नवरात्र को लेकर 30 मार्च रविवार को कलश स्थापना के साथ प्रतिदिन विशेष- पूजा अर्चना किया जा रहा है। चैती नवरात्र को लेकर भक्तों में काफी उत्साह है। मां महाकाली मंदिर में चैत्र नवरात्र को लेकर विशेष सुंदर रूप से सजाया गया है। रविवार से ही महानवमी तक प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना किया जा रहा है। इसकी तैयारी मंदिर के संस्थापक पुजारी दिलीप धर्मदास एवं ग्रामीणों के द्वारा किया गया है।
बिहारशरीफ शहर से दूर पंचाने नदी के तट पर शांत वातावरण में स्थित मां महाकाली मंदिर में पहुंचकर लोगों को बहुत शांति मिलती है। माता के दर्शन मात्र से ही सुख की अनुभूति होती है। श्रद्धालु जो भी मां काली से मन्नत मांगते हैं, वह पूरी होती है, और बड़ी संख्या में प्रतिदिन श्रद्धालु पहुंचते हैं। काली मंदिर हाईवे मार्ग के बगल पर है, जिससे राहगीर यहां रुककर माता के दर्शन कर गंतव्य की ओर कूच करते हैं। देवी मंदिर राष्ट्रीय राज्य मार्ग 20 के बगल में होने के कारण अन्य प्रदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। यह महाकाली मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। निर्मल मन एवं श्रद्धा के साथ मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। मंदिर में स्थापित मनमोहक महाकाली की दशकंध मूर्ति आकर्षण का केन्द्र हैं। हजारों श्रद्धालु मेले में पहुंचकर मां महाकाली के दर्शन कर माता को नारियल, चुनरी, श्रृंगार व प्रसाद चढ़ाते हैं।
सोहसराय सहोखर के संत दिलीप धर्मदास ने कई प्रदेशों में मंदिर का निर्माण कराया है। बिहारशरीफ शहर में भी तीन मंदिर का निर्माण करवाया है। जिनमें सोहसराय के बंधुबाजार में दुर्गा मंदिर, सोहसराय योग पार्क के पास दुर्गा और हनुमान मंदिर तथा बबुरबन्ना-मिल्की मोड़ पर आकर्षक महाकाली मंदिर का निर्माण करवाया।
महाकाली मंदिर के पुजारी संत दिलीप धर्मदास ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी चैत्र नवरात्रि को लेकर क्षेत्र में मशहूर महाकाली मंदिर में महाकाली की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही माता महाकाली को सप्तमी, अष्टमी और महानवमी को महाभोग की व्यवस्था की गई है। पहला चैती नवरात्र के पहला पूजा से ही महाकाली मंदिर में प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना किया जा रहा है। प्रतिदिन सुबह और संध्या सात बजे आरती और पुष्पांजलि किया जाता है। इसमें भारी संख्या में भक्तगण शामिल होते हैं। मंदिर में शहर के साथ-साथ दूरदराज से श्रद्धालु यहां पूजा करने पहुंचते हैं। शारदीय व चैत्र नवरात्र में यहां प्रतिदिन विशेष पूजा होती है।
माता महाकाली की विशेष पूजा के अवसर पर शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने बताया कि यह सनातनी कैलेंडर का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को विशेष तौर पर मनाया जाता है। सनातनी धर्मशास्त्रों में इस बात का जिक्र है कि इस दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी का पर्व मनाया जाता है। सनातनी शास्त्रों के मुताबिक त्रेतायुग में दशकंध रावण का वध करने तथा धर्म की पुन: स्थापना करने के लिये भगवान विष्णु ने भूलोक में श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। श्रीरामचन्द्र का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, अयोध्या में राजा दशरथ के घर में हुआ था। इसी उमंग में राम नवमी के दिन देश भर में राम जन्मोत्सव का त्योहार रामनवमी मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस बबुरबन्ना-मिल्की मोड़ पर महाकाली की प्रत्येक वर्ष धूमधाम से महाकाली के भक्तों द्वारा पूजा संपन्न किया जाता है। पूजा में बगल के ग्राम वासियों का सहयोग रहता है। लोगों ने अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर विभिन्न प्रकार के दान मंदिर में चढ़ाते हैं। साथ ही भक्त लोग मन्नत भी मांगते हैं।
इस महाकाली की विशेष पूजा के अवसर पर मुख्य रुप से भाई सरदार भाई वीर सिंह, साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, वायु सेना के वारंट अफसर अरविंद कुमार गुप्ता, भक्त सर्वश्री निकेश कुमार, विजय कुमार पासवान, सुरेश प्रसाद, संटू सिंह, शुभम कुमार सिंह, गौतम कुमार सिंह, गौरव सिंह सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।