स्थानीय मंगलास्थान स्थित डैफोडिल पब्लिक स्कूल में “जेंडर सेंसटिविटी इन स्कूल्स”विषय पर स्कूल के सभागार में सीबीएसई के अनुदेश के आधार पर एक दिवसीय शिक्षक ट्रेनिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका विधिवत शुरुआत सी.बी.एस.ई .के सिटी कोऑर्डिनेटर सह नालन्दा सहोदया क्लस्टर के अध्यक्ष अरविन्द कुमार सिंह सचिव आशीष रंजन, रिसोर्स पर्सन रुबीना निशात, साबिर हुसैन, विधालय के सचिव डॉ रविचंद कुमार,प्राचार्य अजीत कुमार सिन्हा ने समग्र रूप से द्वीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम की शुरुआत नृत्य एवं संगीत के शिक्षक दिलखुश पांडे व वंदना कुमारी के गीत-संगीत कोकिला गा उठी स्वागतम्- स्वागतम् के मधुर प्रस्तुति से किया गया। सिटी कोऑर्डिनेटर सह आर .पी. एस स्कूल के प्राचार्य अरविंद कुमार सिंह व नालन्दा सहोदया क्लस्टर के सचिव सह नालन्दा विद्या मंदिर के प्राचार्य आशीष रंजन ने अपने संबोधन में कहा कि जेंडर संवेदनशील शिक्षाशास्त्र स्त्रीवादी विचारधारा से स्वयं को जोड़ने का प्रयास करता है ताकि शिक्षा की व्यवस्था दोनों ही लिंगों के लिए समान रूप से संवेदनशील बनाई जा सके। यह विचारधारा किसी पर थोपी नहीं जाती वरन बालिकाओं के लिए सक्रिय सहभागिता तथा अपनी क्षमताओं के प्रयोग के व्यापक अवसर प्रदान कर उन्हें शिक्षकों तथा बालकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर विभिन्न विद्यालयी एवं कक्षा संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए उत्तरदायी बनाया जाता है। जिससे उनमें आत्मविश्वास एवं सशक्त होने का भाव पैदा होता है। सी बी एस ई के रिसोर्स पर्सन सह सदर आलम मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्या रुबिना निशात व साबिर हुसैन ने प्रशिक्षण के दौरान जेंडर सेंसटिविटी इन स्कूल्स को विद्यालय स्तर पर पहल करने हेतु सभी तथ्यों का विश्लेषण अपने शब्दों में विभिन्न प्रकार के उदाहरण पेंटिंग,नाटक एवम अन्य एक्टिविटी के द्वारा प्रस्तुत किया ,जिससे कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रशिक्षुओं को कई प्रकार के ज्ञान प्राप्त हुए ! विद्यालयों में जेंडर संवेदनशील शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराना अति आवश्यक है जिससे विद्यालय के विभिन्न गतिविधियों या अनुभवों को स्त्रीवादी दृष्टिकोण से पुनर्गठित किया जा सके। इसी क्रम में डैफोडिल पब्लिक स्कूल के सचिव डॉ रवि चंद कुमार व प्राचार्य अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि समाज के सभी बालिकाओं को यह एहसास कराया जाना चाहिए कि स्त्रियाँ समाज के प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के समान सक्षम हैं तथा उनके पास पुरुषों के समान जीवन जीने के कई विकल्प हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि हमें अपने विद्यालय में ऐसे वातावरण का निर्माण किया जाना चाहिए जो जेंडर समावेशी हो । जहाँ बालिकाओं को बालकों के समान अपने अभिरुचि तथा अभिक्षमता के आधार पर अधिगम अनुभवों के चयन तथा संगठन की स्वायत्तता हो जिससे कि उनकी अभिव्यक्ति को बालकों के समान प्राथमिकता दी जा सकें। इस प्रशिक्षण में रिसोर्स पर्सन के पूछे गए प्रश्नों का सही उत्तर देने वाले शिक्षकों को पुरस्कार दिया गया। कार्यक्रम के समापन में सेंट जोसेफ एकेडमी के फहरीन आलिया ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए यह बतलाया की देश के सभी विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा तैयार किए गए शिक्षण-अधिगम सामग्री की भाषा, जेंडर शून्य होनी चाहिए तथा प्रत्येक विद्यालय के अधिगम सामग्री में स्त्री एवं पुरुष के उदाहरण, फोटो एवं चित्र समान रूप से दिखाई देने चाहिए। इस एक दिवसीय प्रशिक्षण में डैफोडिल पब्लिक स्कूल, बिहार शरीफ दयाल पब्लिक स्कूल नवादा, डी. पी.एस नवादा, विवेकानंद पब्लिक स्कूल वारिसलीगंज , डैफोडिल इंग्लिश कॉन्वेंट गिरियक, सेंट जोसेफ एकेडमी,मानसभूमि सिनियर सेकंडरी स्कूल, नालन्दा, इन्फेंट जीसस स्कूल पटना के शिक्षकों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से किया गया वहीं मंच का संचालन विद्यालय के शिक्षक अजीत कुमार एवं ज्योति मेहता ने संयुक्त रूप से किया!