नालन्दा कॉलेज एवं दकली घाट में आरएसएस द्वारा मनाया गया अखण्ड भारत संकल्प दिवस। इस कार्यक्रम को संचालित कर रहे संघ के जिला महाविद्यालयिन कार्य प्रमुख प्रिन्स कुमार ने बताया कि 14 अगस्त को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवको द्वारा भारत को अखंड बनाने का संकल्प लिया जाता है परन्तु गत वर्षों से भारत सरकार भी इसे कार्यक्रम के रूप में शामिल किया है। परंतु, समाज का एक बड़ा हिस्सा इस बात को भूलता जा रहा है कि जब भारत अखंड था तो कैसा था। अध्यक्षता कर रहे नालन्दा कॉलेज के प्राचार्य डॉ रामकृष्ण परमहंस ने बताया कि यह भारत पुण्यभूमि है देश के बंटवारे का दर्द, लोगों का संघर्ष और उस समय बलिदान हुए लोगों की स्मृति को याद करने की आवश्यकता है। उस समय लाखों लोग मारे गए थे। उस विभीषिका को आज भी लोग याद कर रो पड़ते हैं। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में जिला सम्पर्क प्रमुख, कॉलेज के राजनीति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विनीत लाल ने छात्रों को बताया कि हमारा इतिहास आज के भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान से लेकर कम्बोडिया लाओस और तिब्बत भूटान से लेकर श्रीलंका तक फैला है। हिन्दू धर्म के मंदिर अफगानिस्तान, कम्बोडिया तिब्बत यहां तक की चीन और जापान में भी मिलते हैं। 1876 में अफगानिस्तान, 1904 में नेपाल, 1906 में भूटान, 1914 में तिब्बत, 1935 में श्रीलंका, 1937 में म्यामार और फिर 1947 में पाकिस्तान हमसे अलग हुआ। चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसे अनगिनत क्रान्तिकारियों ने बलिदान दिया उन्हें भुला दिया गया। उन्होंने आगे कहा अखंड भारत कोई असम्भव स्वप्न नहीं है
यह संकल्प पुर्ण होगा। ओहि उपस्थित इतिहास बिभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रतनेश अमन ने कार्यक्रम के समापन एवं धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यक्रम में पीयूष कुमार, चंद्रमणि कुमार, सज्जन कुशवाहा, अजित कुमार, प्रांजल प्रणीत, अभिषेक कुशवाहा सहित 300 छात्र मौजूद थे।