पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह रहुई प्रखंड के देकपुरा गांव पहुंचे। जहां उन्होंने अपने कार्यकर्ता से मुलाकात की गौरतलब है कि पूर्व जदयू नेता पप्पू सिंह के पिता बाना सिंह के श्राद्धकर्म में पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह किसी कारण बस शिरकत नहीं कर पाए थे, जिसको लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह रविवार को अपने कार्यकर्ता चप्पू सिंह के घर पहुंचे। जहां उन्होंने परिजनों से मुलाकात की।
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा के द्वारा जदयू में अपनी हिस्सेदारी मांगने को लेकर कहा कि नीतीश कुमार के पास क्या बचा है जो उपेंद्र कुशवाहा अपनी हिस्सेदारी मांग रहे हैं। जब मैं पार्टी में था तो किसी की औकात नहीं कि मुझसे कोई हिस्सेदारी मांग ले। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में हिम्मत नहीं है कि मेरे ऊपर किसी तरह का बयान दें। नीतीश कुमार में हिम्मत नहीं है कि हमसे आंख से आंख मिलाकर बात कर सके। उनके पास अब खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह बचे हैं और कुछ दिन के बाद यह दोनों लाठी डंडा लेकर कहीं और चले जाएंगे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने कहा यूज एंड थ्रो के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अंतरराष्ट्रीय आईकॉन है। उन्होंने पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के द्वारा शराबबंदी के बयान को लेकर आरसीपी सिंह ने कहा जीतन राम मांझी की बात नीतीश कुमार नहीं मान रहे हैं। उन्हे वापस लौट जाना चाहिए। शराबबंदी के नाम पर नीतीश कुमार ने पूरे बिहार का बंटाधार कर दिया है। नीतीश कुमार जातीय जनगणना का नया एजेंडा छेड़ा है जिसमें सभी को अपनी जात बतानी है और दूसरा एजेंडा है सुरक्षाकर्मियों को सड़क पर उतारकर कर लोगों के मुंह में शराब की जांच करवाना।
बिहार थाना परिसर में बने अनुसूचित जाति जनजाति थाना एवं महिला थाना के बने क्वार्टर में एक 16 साल के युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया जाता है कि युवक गोपी कुमारी की मां निर्मला सिन्हा ट्रैफिक थाना में कॉन्स्टेबल के पद पर पदस्थापित है। हालांकि युवक ने किन कारणों से आत्महत्या की है। इस बात का खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है। वहीं घटना की जानकारी मिलते ही बिहार थाना परिसर एवं परिसर में बने क्वार्टर में हड़कंप मच गया।
आनन-फानन में बिहार थाना अध्यक्ष विरेंद्र कुमार और यातायात थानाध्यक्ष संदीव कुमार घटनास्थल पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में ले लिया है। फिलहाल पुलिस घटना के कारणों को खंगालने में जुट गई है। रविवार होने के कारण गोपी कुमार की मां किसी काम को लेकर घर से बाहर थी। जिस क्वार्टर में युवक ने आत्महत्या की है उस क्वार्टर के आसपास कई वीआईपी लोग भी रहते हैं।
स्थानीय थाना क्षेत्र के अल्लीपुर गांव के समीप तेज रफ्तार कार ने सड़क किनारे खड़ी हाइवा में जोरदार टक्कर मार दिया। घटना में कार पर सवार चार लोग बुरी तरह से घायल हो गया। जबकि अस्पताल जाते समय एक की मौत हो गई। टक्कर उतना जबरदस्त था की कार के परखच्चे उड़ गए।
मृतक की पहचान पटना जिला पटना शहर निवासी अनिल कुमार सिन्हा के रूप में किया गया है। जबकि घायल की पहचान अवधेश कुमार सिंह, इनकी पत्नी नीतू कुमारी व नीरज कुमार मिश्रा के रूप में किया गया है. सभी पटना के निवासी है। चारों कार से शेखोपुरसराय में रैपिड बाजार मॉल का उद्घाटन में गए थे। वहां से वापस लौटने के दौरान बिंद थाना क्षेत्र के अल्लीपुर गांव के समीप कार सड़क किनारे खड़ी एक हाइवा में जाकर टकराया. जिसके बाद चारों बुरी तरह से जख्मी हो गए।
सदर अस्पताल लाने के क्रम में एक कि मौत हो गईं। जबकि तीन कि हालात नाजुक बताई जा रही है। फिलहाल तीनों का इलाज सदर अस्पताल बिहारशरीफ में ही चल रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया की कार को अल्लीपुर गांव के समीप विपरीत दिशा से आ रहे ट्रक ने चकमा दे दिया. जिसके कारण कार रोड पर खड़ी हाइवा से जा टकराया. थानाध्यक्ष सुधीर कुमार ने बताया की हाइवा व कार को जब्त कर थाने लाया गया है।
थरथरी थाना क्षेत्र के शेखपुराडीह के टोला रूपसपुर गांव के खार पर खन्धा से रूपसपुर निवासी 55 वर्षीय वेचन साव का शव पुलिस ने बरामद किया। शव बरामदगी के बाद इलाके में सनसनी फैल गयी। अधेड़ के कमर पर घाव के गहरे निशान थे। इससे हत्या की आशंका जताई जा रही है। वही मृतक के स्वजन पीटपीट कर हत्या का आरोप लगाया है। शव को रविवार की शाम में जलावन तोड़ने गए लोगों ने देखा और पुलिस को सूचना दी।
मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बिहारशरीफ सदर अस्पताल भेज दिया गया है। पुलिस छानबीन शुरू कर दी है। घटना के सबन्ध में मृतक के स्वजन ने बताया कि वेचन साव परवलपुर बाजार में ताला चाभी बनाने का काम करता था। शनिवार की शाम को वेचन साव घर से निकले थे। देर शाम तक नही लौटने पर खोजबीन नही की गई। शाम को सूचना मिली कि एक शव गांव के खन्धा में फेंका पड़ा हुआ है। इस सूचना पाते ही घटना स्थल पर पहुंचे तो देखा कि शव के पास खून से लथपथ एक कपड़ा, एक लाठी व कुदाल रखा हुआ है। शव का बयां हाथ टूटा हुआ है। गर्दन भी टूटा हुआ था।
बिहारशरीफI जिले के चर्चित समाजसेवी वसवन विगहा निवासी सिकन्दर यादव की बहु एवं पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रणविजय सिंह की पत्नी अंवतिका सिंह को थावे विधापीठ द्वारा आयोजित समारोह के दौरान विधावाचस्पति(पीएचडी) की मानद् उपाधि से सम्मानित किया गया।
बताते चले कि अवंतिका सिंह के द्वारा कला ,साहित्य एवं सामाजिक प्रतिष्ठा के आधार पर विद्यापीठ की एकेडमिक परिषद की अनुशंसा पर उनके विशेष उपलब्धियों को देखते हुए मुक्त और अलंकरण सत्र के दौरान नालंदा की अवंतिका सिंह को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा गया।
अवंतिका सिंह महिलाओं के लिए आदर्श है।अवंतिका सिंह को डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिलने पर बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों एवं जिलेवासियो में खुशी की लहर है। अवंतिका सिंह को बधाई देने वालों में महिला बिकास मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष वीणा मानवी, प्रेम यूथ फाउडेंशन के संस्थापक प्रो० प्रेम कुमार,अधिवक्ता शिवानंद गिरि,समाजसेवी डा० पुरुषोतम कुमार,दीपक कुमार सहित अन्य गणमान्य लोग शामिल हैं।
श्रवण कुमार नालंदा जिला जनता दल यूनाइटेड कार्यालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि मनाई गई बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार सांसद कौशलेंद्र कुमार ने उनके तैल्य चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। इस अवसर पर श्रवण कुमार ने कहा कि गांधी जी के बताए मार्ग पर चलकर ही मानव जाति का कल्याण हो सकता है।महात्मा गांधी सदैव सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते थे।
उन्होंने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए सत्य और अहिंसा को अपनाया और जीत हासिल की। ‘अहिंसा परमो धर्म:’ का उनका संदेश पुरी दुनिया में मशहूर है। भारत ही नहीं विदेशों तक लोग किसी आंदोलन या प्रदर्शन के लिए अंहिसा के मार्ग को अपनाते हैं। उन्होंने जो गांव के विकास का सपना देखा उसे देश के लोकप्रिय नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने साकार करने का काम किया है हमारी सरकार ने सात निश्चय योजना के माध्यम से गांव को स्मार्ट बनाने का काम किया है।
न्याय के साथ विकास और सुशासन का मॉडल देश से लेकर प्रदेशों के लिए अनुकरणीय बना है। कुछ ऐसी पार्टी है जो एक गांधी जी की पूजा करती है दूसरी तरफ उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की भी पूजा करती है उनके इस प्रकार की दोहरी चरित्र को देश की जनता बखुबी देख रही है समझ रही है। देश की आजादी में जिनका कोई योगदान नहीं वह आजकल राष्ट्रवाद का प्रमाण पत्र बांट रहे हैं ।महात्मा गांधी धर्म परायण व्यक्ति थे और नैतिक मूल्यों पर दृढ़ थे। उन पर श्रीमद्भागवत गीता का काफी प्रभाव था और इसका वे नियमित पाठ करते थे।
उनके विचारों में अहिंसा का लक्ष्य सत्य है इसलिए सत्य के लिए प्रयास जिसे वे सत्याग्रह कहते थे, अपने श्रेष्ठ आदर्शों में से एक मानते थे. उनका कहना था कि अहिंसा सत्य के लिए होती है और प्रेम से भरपूर होती है. बिना प्रेम के अहिंसा हो ही नहीं सकती. प्रेम अहिंसा की प्रेरक शक्ति के रूप में काम करती है. उनका मानना था कि अहिंसा के जरिए दुनिया मे बड़े से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
इस अवसर पर बिहार शरीफ जनता दल के मुख्य प्रवक्ता डा धनंजय कु देव उपाध्यक्ष मो अरशद भगीरथ चंद्रवंशी रंजीत कुमार महमूद बख्खो अरविंद कुमार अमजद सिद्दीकी राजेश गुप्ता सन्नी पटेल इमरान रिजवी आकाश काजल पप्पू रोहेला राजेंद्र प्रसाद जगलाल चौधरी संजय कुशवाहा अब्दुल हक पवन शर्मा आदित्य कुमार अंकित कुमार पप्पू बनौलिया राज मेहरा मो मिराज कुमार मंगलम आलोक कुशवाहा राजेंद्र प्रसाद पिंटू कुमार सतीश पटेल मुन्ना पासवान अरूण वर्माप्रणव दिवाकर बब्लू सिंह सौरभ प्रकाश।
राकेश बिहारी शर्मा – आज महात्मा गांधी की 75 वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर पूरा देश बापू को याद कर रहा है। 30 जनवरी को 1948 को नाथूराम गोडसे ने बापू को गोलियों से छलनी कर दिया। महात्मा गांधी आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार आज भी हमें आगे बढ़ने और कुछ अच्छा करने की प्रेरणा देते हैं। इस दिन को शहीदी दिवस के तौर पर याद किया जाता है। 20 जनवरी 1948 को प्रार्थना सभा में अपने संबोधन में बापू आजादी और विभाजन के बाद शरणार्थियों की स्थिति और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल के बीच मतभेदों के बारे में चर्चा कर रहे थे। इस सभा में बापू ने कहा ‘अगर आप सरदार पटेल के बम्बई के बयान को सावधानी से देखें तो यह आपको यह पता चल जाएगा कि पंडित नेहरू और सरदार पटेल में कोई मतभेद नहीं था। वे अलग-अलग तरीके से बात करते हैं लेकिन उनका काम समान है।’ बहरहाल, अगर 20 जनवरी के हादसे को गंभीरता से लिया गया होता तो शायद बापू हमसे इस तरह बिदाई नहीं लेते।
महात्मा गांधी को ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता और ‘राष्ट्रपिता’ माना जाता है। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। मोहनदास की माता का नाम पुतलीबाई था जो करमचंद गांधी जी की चौथी पत्नी थीं। मोहनदास अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे। गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मन्दिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं। मोहनदास का लालन-पालन वैष्णव मत में रमे परिवार में हुआ और उन पर कठिन नीतियों वाले जैन धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा। जिसके मुख्य सिद्धांत, अहिंसा एवं विश्व की सभी वस्तुओं को शाश्वत मानना है। इस प्रकार, उन्होंने स्वाभाविक रूप से अहिंसा, शाकाहार, आत्मशुद्धि के लिए उपवास और विभिन्न पंथों को मानने वालों के बीच परस्पर सहिष्णुता को अपनाया।
मोहनदास एक औसत विद्यार्थी थे, वह पढ़ाई व खेल, दोनों में ही तेज नहीं थे। बीमार पिता की सेवा करना, घरेलू कामों में मां का हाथ बंटाना और समय मिलने पर दूर तक अकेले सैर पर निकलना, उन्हें पसंद था। उन्हीं के शब्दों में उन्होंने ‘बड़ों की आज्ञा का पालन करना सीखा, उनमें मीनमेख निकालना नहीं।’ उनकी किशोरावस्था उनकी आयु-वर्ग के अधिकांश बच्चों से अधिक हलचल भरी नहीं थी। हर ऐसी नादानी के बाद वह स्वयं वादा करते ‘फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा’ और अपने वादे पर अटल रहते। उनमें आत्मसुधार की लौ जलती रहती थी, जिसके कारण उन्होंने सच्चाई और बलिदान के प्रतीक प्रह्लाद और हरिश्चंद्र जैसे पौराणिक हिन्दू नायकों को सजीव आदर्श के रूप में अपनाया।
गांधी जी जब केवल तेरह वर्ष के थे और स्कूल में पढ़ते थे उसी वक्त पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा से उनका विवाह कर दिया गया। 1887 में मोहनदास ने जैसे-तैसे ‘बंबई यूनिवर्सिटी’ की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित ‘सामलदास कॉलेज’ में दाखिल लिया। अचानक गुजराती से अंग्रेजी भाषा में जाने से उन्हें व्याख्यानों को समझने में कुछ दिक्कत होने लगी। इस बीच उनके परिवार में उनके भविष्य को लेकर चर्चा चल रही थी। अगर निर्णय उन पर छोड़ा जाता, तो वह डॉक्टर बनना चाहते थे।
लेकिन वैष्णव परिवार में चीरफाड़ की इजाजत नहीं थी। साथ ही यह भी स्पष्ट था कि यदि उन्हें गुजरात के किसी राजघराने में उच्च पद प्राप्त करने की पारिवारिक परम्परा निभानी है तो उन्हें बैरिस्टर बनना पड़ेगा और ऐसे में गांधीजी को इंग्लैंड जाना पड़ा। यूं भी गांधी जी का मन उनके ‘सामलदास कॉलेज’ में कुछ खास नहीं लग रहा था, इसलिए उन्होंने इस प्रस्ताव को सहज ही स्वीकार कर लिया। उनके युवा मन में इंग्लैंड की छवि ‘दार्शनिकों और कवियों की भूमि, सम्पूर्ण सभ्यता के केन्द्र’ के रूप में थी। सितंबर 1888 में वह लंदन पहुंच गए। वहां पहुंचने के 10 दिन बाद वह लंदन के चार कानून महाविद्यालय में से एक ‘इनर टेंपल’ में दाखिल हो गए। 1906 में टांसवाल सरकार ने दक्षिण अफ्रीका की भारतीय जनता के पंजीकरण के लिए विशेष रूप से अपमानजनक अध्यादेश जारी किया।
भारतीयों ने सितंबर 1906 में जोहेन्सबर्ग में गांधी के नेतृत्व में एक विरोध जनसभा का आयोजन किया और इस अध्यादेश के उल्लंघन तथा इसके परिणामस्वरूप दंड भुगतने की शपथ ली। इस प्रकार सत्याग्रह का जन्म हुआ, जो वेदना पहुंचाने के बजाय उन्हें झेलने, विद्वेषहीन प्रतिरोध करने और बिना हिंसा किए उससे लड़ने की नई तकनीक थी। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका में सात वर्ष से अधिक समय तक संघर्ष चला। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहे, लेकिन गांधी के नेतृत्व में भारतीय अल्पसंख्यकों के छोटे से समुदाय ने अपने शक्तिशाली प्रतिपक्षियों के खिलाफ संघर्ष जारी रखा। सैकड़ों भारतीयों ने अपने स्वाभिमान को चोट पहुंचाने वाले इस कानून के सामने झुकने के बजाय अपनी आजीविका तथा स्वतंत्रता की बलि चढ़ाना ज्यादा पसंद किया। सन् 1914 में गांधी जी भारत लौट आए। देशवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया और उन्हें महात्मा पुकारना शुरू कर दिया। उन्होंने अगले चार वर्ष भारतीय स्थिति का अध्ययन करने तथा उन लोगों को तैयार करने में बिताये जो सत्याग्रह के द्वारा भारत में प्रचलित सामाजिक व राजनीतिक बुराइयों को हटाने में उनका साथ दे सकें। फरवरी 1919 में अंग्रेजों के बनाए रॉलेट एक्ट कानून पर, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजने का प्रावधान था, उन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया।
फिर गांधी जी ने सत्याग्रह आन्दोलन की घोषणा कर दी। इसके परिणामस्वरूप एक ऐसा राजनीतिक भूचाल आया, जिसने 1919 के बसंत में समूचे उपमहाद्वीप को झकझोर दिया। इस सफलता से प्रेरणा लेकर महात्मार गांधी ने भारतीय स्वझतंत्रता के लिए किए जाने वाले अन्यक अभियानों में सत्या ग्रह और अहिंसा के विरोध जारी रखे, जैसे कि ‘असहयोग आंदोलन’, ‘नागरिक अवज्ञा आंदोलन’, ‘दांडी यात्रा’ तथा ‘भारत छोड़ो आंदोलन’। गांधी जी के इन सारे प्रयासों से भारत को 15 अगस्ता 1947 को स्वतंत्रता मिल गई। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई। विश्व पटल पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नहीं अपितु शान्ति और अहिंसा का प्रतीक हैं। महात्मा गांधी के पूर्व भी शान्ति और अहिंसा की के बारे में लोग जानते थे, परन्तु उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता। तभी तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है।
हमने गांधी को माना जरुर पर उनकी कही गई एक बात भी मानी। गांधी जी के शिक्षा प्रणाली से ही हम असली भारत का निर्माण कर सकते हैं। हम उस पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं जिसकी आज देश को ज़रूरत है। एक समय की बात है की गांधी जी इलाहाबाद में आनंद भवन में रुके हुए थे। सुबह का वक्त था, गांधी जी अपनी नीम की छोटी टहनी (दातौन) से दांत साफ कर रहे थे। उन्होंने पास में एक लोटे में पानी भर कर रखा हुआ था। तभी वहां से एक और व्यक्ति गुज़रा और गलती से उनका पैर पड़ने की वजह से गांधी जी के पास रखा हुआ लोटा लुढ़क गया। जब तक गांधी जी ने उसे उठाया उसमें से काफी पानी बह चुका था। फिर गांधी जी ने उतने ही पानी से अपना बाकी का काम निपटाया। जब नेहरू जी को ये बात पता चली तो वो गांधी जी के पास पहुंचे और उन्होंने उनसे कहा कि बापू आप प्रयाग के किनारे बैठे हो यहां पानी की कोई कमी नहीं है। नेहरू जी की बात पर गांधी जी ने जवाब देते हुए कहा कि लेकिन मेरे हिस्से का पानी तो गिर गया है ना। इसलिए अब मैं और पानी नहीं ले सकता हूं।
इसी तरह गांधी जी अपनी दातौन को दो भागों में काट कर दोनों तरफ से इस्तेमाल करते थे। और एक ही बार इस्तेमाल करके फेंकते नहीं थे बल्कि जब तक वो सूख नहीं जाती थी तब तक इस्तेमाल करते थे। और जब वो इस्तेमाल करने के लायक नहीं रह जाती थी वो उसे एक जगह पर इकट्ठा कर लिया करते थे ताकि सर्दी में वो आग सेंकने या दूसरे कामों में इस्तेमाल हो सके। उन्होंने अपने सभी साथियों में भी ये आदत डलवाई थी। देखा जाए तो ये एक छोटा सा प्रयास लग सकता है लेकिन इसके पीछे पर्यावरण के लिए जो गंभीरता है उसका अंदाजा लगाया जा सकता है। गांधी जी का मानना था कि प्रकृति को बचाने के लिए हमें उसे आचरण में लाना ज़रूरी है। गांधी जी दरअसल भारत की वो शिक्षा प्रणाली है जिसे आत्मसात करके ही हम असली भारत का निर्माण कर सकते हैं। हम उस पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं जिसकी आज देश को ज़रूरत है। गांधी जी पर्यावरण को लेकर कहते हैं कि ‘यदि एक मनुष्य आवश्यकता से अधिक उपभोग करता है तो दूसरे मनुष्य को भूखा सोना पड़ता है। प्रकृति मनुष्य को सुखी और संतुलित जीवन तो दे सकती है। लेकिन वह अनियंत्रित और असीमित इच्छाओं को सहन नहीं कर सकती है।
गांधी जी पर्यावरण को लेकर काफी सजग थे। उन्होंने कहा थ कि शरीर को तीन तरह के प्राकृतिक पोषण की जरूरत होती है हवा, पानी और भोजन। इसमें साफ हवा सबसे ज़रूरी है। उनका मानना था कि प्रकृति ने हमारी जरूरत के हिसाब से हमें पर्याप्त मुफ्त हवा दी है लेकिन विकास औऱ आधुनिक सभ्यता की बदौलत इसकी भी कीमत तय कर दी गई है। उनका कहना था कि अगर किसी व्यक्ति को साफ हवा के लिए घर से दूर जाना पड़ रहा है तो इसका मतलब है कि वो साफ हवा के लिए पैसे खर्च कर रहा है। आज से करीब 100 साल पहले ही, 1 जनवरी 1918 को उन्होंने अहमदाबाद की एक बैठक में कहा था कि भारत की आजादी को तीन मुख्य तत्वों वायु, जल और अनाज की आजादी के रूप में परिभाषित किया जाना चाहिए।
जन सुराज पदयात्रा के दौरान भोपतापुर पंचायत में आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में 40 प्रतिशत लोग जो खेती-किसानी कर रहे हैं, वो सिर्फ अपने परिवार का पेट भर सकते हैं। वो इतने गरीब हैं कि बस किसी तरीके से अपना पेट पाल रहे हैं।
आज हमारे बिहार में सिमेंट, टीवी, छड़ की फैक्ट्री नहीं लग रही है। हां, आज हम एक काम में सबसे आगे हैं। आज हम पूरे देश को मजदूर दे रहे हैं। आज गांव का जवान लड़का भेड़-बकरी की तरह पीठ पर झोला लटकाए देश के अन्य राज्यों में नौकरी खोजने जा रहा है। वो किन मुसीबत में और कितने छोटे कमरों में गुजारा कर रहा है यह दर्द सिर्फ उनको पता है।
जदयू नालन्दा जिला जनता दल यूनाइटेड कार्यालय में महान समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडिस की 5 वीं पुण्यतिथि मनाई गई।उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर जदयू कार्यकर्ताओं ने श्रृद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर जदयू के मुख्य प्रवक्ता डा धनंजय कु देव ने एवं जदयू अध्यक्ष गुलरेज अंसारी ने कहा कि देश के विकास एवं समाज के कल्याण में जॉर्ज फर्नांडिस के योगदान को सदैव याद रखा जाएगा कुशल राजनेता एवं देश के पूर्व रक्षा मंत्री फर्नान्डिस जी ने मजदूरों व ट्रेड यूनियन कर्मचारियों की आवाज को बुलंद किया। राष्ट्रसेवा में उनका योगदान अविस्मरणीय है।उनका जीवन इमानदार एवं सादगी पूर्ण रहा नालन्दा के सांसद भी रहे तथा नालन्दा में भी सैनिक स्कूल के साथ साथ आयुद्ध कारखाना एवं बीड़ी श्रमिक अस्पताल का भी निर्माण कराया ।
देश के सियाचीन ग्लेशियर बार्डर पर पहुंचने वाले पहले रक्षा मंत्री का गौरव प्राप्त हुआ एवं सेनाओं के हौसले को बुलंद किया। कोंकण रेलवे परियोजना को अल्प समय पूरा कर देश को समर्पित किया।इनके कुशल निर्देशन में पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किया गया तथा देश को परमाणु सम्पन्न देश बनाने में अहम भूमिका निभाई ।समता पार्टी के स्थापना में उनकी अहम भूमिका थी ।इस अवसर पर उपाध्यक्ष मो अरशद विनोद प्र सिंह भगीरथ चंद्रवंशी अरविंद कुमार संजय कुशवाहा महमूद बख्खो अखलाक अहमद रामचंद्र चौहान भवानी सिंह कुमार मंगलम आलोक कुशवाहा प्रदुम्न साव विकास मेहता आदित्य कुमार पिंटू कुमार राजेंद्र प्रसाद मुन्ना महतो अरूण कुमार।
परमेश्वरी देवी सेवा संस्थान “ट्रस्ट” संस्था के कार्यकारणी समिति द्वारा देशभर के पाँच विभूतियों को “समर्पण सम्मान 2023” के लिए चयन किया है। जिनमें मुख्य रूप से सशक्त साहित्यकार, निर्भीक वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष कुमार आर्य को पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए, हिन्दी साहित्य के सशक्त नव हस्ताक्षर, सशक्त निबंधकार व खोजी साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा को उनके अनवरत साहित्य साधना के लिए, चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. संध्या सिन्हा, समाज सेवा एवं जागरूकता के क्षेत्र में भैया अजीत तथा समाज सेवा और जागरूकता के क्षेत्र में गांधीवादी विचारक दीपक कुमार के नाम की घोषणा की गई है। ये सभी नामों की घोषणा किड्ज केयर कान्वेंट, मुहल्ला- हाजीपुर, बिहारशरीफ (नालंदा) में एक समारोह में की गई।
ट्रष्ट के सचिव श्री विनय कुमार कुशवाहा ने कहा कि “ट्रस्ट” की ओर से समाजसेवी परमेश्वरी देवी की पुण्यतिथि के अवसर पर साहित्यकारों, पत्रकारों, समाजसेवियों, चिकित्सकों और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रतिवर्ष सम्मान-पत्र,स्मृति चिन्ह , अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया जाता है । उन्होंने बताया कि ये सभी कार्यक्रम समारोह पूर्वक मानव सेवा के लिए समर्पित संस्था, परमेश्वरी देवी सेवा संस्थान “ट्रस्ट” द्वारा 31 जनवरी 2023 दिन मंगलवार, समय- 2:30 दिन को किड्ज केयर कान्वेंट, मुहल्ला- हाजीपुर, बिहारशरीफ (नालंदा) में किया जाएगा।