Saturday, July 5, 2025
No menu items!
No menu items!
Home Blog Page 292

महाकवि जयशंकर प्रसाद जी का 134वा जयंती समारोह

महाकवि जयशंकर प्रसाद जी का 134वा जयंती समारोह सृजन कलाकारों ने मचाया धमाल। महाकवि जयशंकर प्रसाद जी का 134वा जयंती के अवसर पर महाकवि जी के जीवनी पर परिचर्चा सह सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।

इस कार्यक्रम का विधिवत उदघाटन मुख्य अतिथि विजय कुमार गुप्ता,अधिवक्ता (मधेपुरा),भैया अजीत, ब्रांड एम्बेसडर, नगर पंचायत, सिलाव व नगर परिषद राजगीर, विश्व भानु कुमार, सिने अभिनेता मुंबई, गोपाल मिश्रा,एंकर, दूरदर्शन पटना, जयप्रकाश नारायण पुजारी जी, यशवीर सिंह , मधुसूदन आत्मीय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया विजय कुमार गुप्ता ने कहा कि आज के युग में साहित्यिक परिचर्चा लगभग बिलुप्त होने के कगार पर आ गई है अतएव आवश्यक रूप से महाकवि जयशंकर प्रसाद स्मृति-भवन जिसका निर्माण इसी उद्देश्य के लिए हमारे पिता ने करवाया है

महाकवि जयशंकर प्रसाद जी का 134वा जयंती समारोह

इसी भांति स्थलों पर कुछ-कुछ अंतराल में होनी चाहिए ताकि साहित्य के प्रति लोगों की अभिरुचि बनी रहे। कार्यक्रम के संयोजक संत रामचन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा कि प्रत्येक वर्ष की भाति महाकवि जी की जयंती मनाने के लिए हम सब उपस्थित है महाकवि जयशंकर प्रसाद जी साहित्य सारथी के रूप में याद किये जायेंगे इनके विचार को जन जन तक पहुंचने की जरूरत है।मौके पर उपस्थित ब्रांड एम्बेसडर लोकगायक भैया अजीत ने कहा कि महाकाव्य कामायनी के महान रचनाकार महाकवि जयशंकर प्रसाद हिंदी के सर्वाधिक चर्चित काल छायावाद के प्रमुख स्तम्भ थे ।हम सब को ऐसे महाकवि से प्रेरणा लेनी चाहिए।

वही सृजन के कलाकारों के द्वारा एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर लोगो को झूमने पर मजबूर कर दिया । वही बाल कलाकार के रूप में चार वर्षीय प्रज्ञा कुमारी तथा सात वर्षीय ऋषभ कुमार ने अपना जलवा बिखेरा कलाकार में अरविंद कुमार, रामसेवक,कृपा कुमारी, ज्योति, राधा, अंजलि,सुजाता,स्वीटी,रौनक, रौशन,रोहित, प्रेमचंद, दिनेश, । लेखक बरिष्ठ पत्रकार कवि प्रसाद जी का पौत्र दामाद मुंगेर, पूर्ब संस्थान के कोषाध्यक्ष, संस्थान के अध्यक्ष श्रीकृष्ण चंद्र आर्य , संस्थान के सदस्य डॉक्टर संजय कुमार आर्य, साहित्यकार जयप्रकाश पुजारी जी पटना, साहित्यकार अर्जूनसिंह पटना ,भाई जसवीर सिंह सौतर गया, बिहार प्रदेश हलुबाई महासभा के अध्यक्ष बीरेंदर कुमार, नवादा के कवि दयानंद गुप्ता नवादा के मनोज कुमार किरण देवी संस्थान के सदस्य बॉबी गुप्ता राजगीर ,बिद्या रानी गुप्ता पवन गुप्ता शम्भू शान धर्म आर्य महेंद्र गुप्ता चंदन गुप्ता गया हलुबाई धर्मशाला के अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता अपना विचार दिया।

38 बटालियन का 60वा रेजिंग डे मनाया गया

38 बिहार बटालियन एनसीसी बिहार शरीफ के प्रांगण में 38 बिहार बटालियन एनसीसी का 60 वा रेजिंग डे (स्थापना दिवस) धूमधाम से मनाया गया। रेजिंग डे के अवसर पर 38 बिहार बटालियन के 29 वा कमांडिंग ऑफिसर कर्नल राजीव बंसल ने केक काटकर बैलून उड़ा कर मनाया। इस अवसर पर एनसीसी में अच्छा प्रदर्शन करने वाले को नगद राशि देकर उसका उत्साह बढ़ाया गया।

ज्ञात हो कि कमांडिंग अफसर कर्नल राजीव बंसल ने पिछले वर्ष से 38 बिहार बटालियन का रेजिंग डे मनाने की शुरुआत की उन्होंने कहा कि जिस तरह से बिहार दिवस, नालंदा दिवस, आर्मी डे ,महापुरुषों के जयंती मनाई जाती है और उन्हें याद किया जाता है उनके चिन्हों पर चलने की कसम खाई जाती है उसी तरह 38 बिहार बटालियन का रेजिंग डे 1 फरवरी को हुआ था और इससे भी मनाना चाहिए हमारे एनसीसी के कैडेटों अफसरों एवं सभी स्टाफ को मालूम होना चाहिए 1 फरवरी को हमारे बटालियन का स्थापना दिवस मनाया जाता है एवं अपने बच्चों को सही मुकाम पर ले जाने उन्हें सफलता दिलाने अनुशासन का पाठ पढ़ाने और सभ्य नागरिक बनाने की हम लोगों शपथ लेनी चाहिए।

38 बटालियन का 60वा रेजिंग डे मनाया गया  38 बटालियन का 60वा रेजिंग डे मनाया गया

कार्यक्रम का संचालन सरदार पटेल मेमोरियल कॉलेज उदंतपुरी बिहारशरीफ के एनसीसी अफसर लेफ्टिनेंट डॉ शशिकांत कुमार टोनी ने किया। केक काटने के पश्चात कर्नल बंसल ने अपने स्टाफ अफसर और कैडेटों को केक खिलाकर उन्हें बटालियन के रेजिंग डे की शुभकामनाएं दी एवं सभी के साथ मिलकर टी पार्टी में भाग लिया एवं बटालियन के उपलब्धियों पर विशेष चर्चा की संपन्न हुए गणतंत्र दिवस परेड दिल्ली की भी चर्चा की एवं और अच्छा करने का प्रण लिया इस अवसर पर रासबिहारी उच्च विद्यालय से लेफ्टिनेंट राकेश रंजन पांडे, जीडीएम कॉलेज हरनौत से केयरटेकर अरविंद कुमार जवाहर नवोदय विद्यालय राजगीर से शैलेंद्र प्रसाद ,सूबेदार मेजर शुकर सवैया, सूबेदार धनंजय कुमार, शंकर जाधव करनैल सिंह सुरेंद्र प्रसाद विजय शंकर प्रसाद अखिलेश्वर कुमार बलवीर कुमार रवि कुमार बरसा कुमारी प्रीति कुमारी श्वेता भारती आदि कैरेट उपस्थित थे

गोपालगंज में जन सुराज पदयात्रा का जिला अधिवेशन,प्रशांत किशोर का बड़ा बयान

गोपालगंज में कल जन सुराज पदयात्रा का जिला अधिवेशन, प्रशांत किशोर का बड़ा बयान – किसी नेता से आजतक एक पैसा नहीं लिया, कोई बता दे तो सर पर जूता रख लूंगा

प्रशांत किशोर ने नेताओं से पैसे लेने से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मैंने कभी किसी नेता से एक रुपया नहीं लिया है। मैंने नेताओं की मदद की उनकी सरकार बन गई। आज जिसकी सरकार बन गई है, उनमें कुछ लोगों से हम मदद मांग रहे हैं।

गोपालगंज में जन सुराज पदयात्रा का जिला अधिवेशन,प्रशांत किशोर का बड़ा बयान

इस बात पर कि हम बिहार में एक नया प्रयोग कर रहे हैं, जिसमें मैं अपने लोगों से और अन्य राज्य के लोगों से जो मदद करने की स्थिति में हैं, उनसे मदद ले रहे हैं। मैं चुनौती देकर बोल रहा हूं कि जिन पार्टियों के लिए हमने काम किया है, यहां तक की प्रधानमंत्री मोदी जी के लिए जो भी काम किया है, आप उनसे जाकर जरूर पूछियेगा की प्रशांत किशोर ने अपने काम के लिए कितना फीस लिया था।

मैंने तो नीतीश कुमार और बाकी कई नेताओं के साथ भी काम किया है, उसमें से भी कोई एक भी नेता बता दे की मैंने किसी से एक रुपये लिया है। अगर कोई आपको बता दे मैंने किसी से फीस के तौर पर पैसा लिया है तो अगली बार अपना जूता लेकर लाइएगा, उसे मैं अपने सर पर रखकर पैदल चलूंगा।

बिहार लेनिन श्री जगदेव बाबू कुशवाहा की 101 वीं जयंती पर विशेष

● जगदेव प्रसाद ने नारा दिया था “सौ में नब्बे शोषित हैं और नब्बे भाग हमारा है”
● जगदेव बाबू समतामूलक शिक्षा व्यवस्था के पक्षधर थे
● जगदेव बाबू एक सामान तथा अनिवार्य शिक्षा के पैरोकार थे
● जगदेव बाबू क्रांतिकारी तथा ओजस्वी विचारों के प्रखर पत्रकार थे
● भारत में ‘सामाजिक-सांस्कृतिक क्रांति के जनक थे जगदेव प्रसाद

राकेश बिहारी शर्मा – बिहार लेनिन श्री जगदेव बाबू कुशवाहा वंचित और शोषित समाज के मनुवादी व सामंती रवैये के इस दौर मे उनका यह नारा और भी प्रासंगिक हो गया है।‬ “सौ में नब्बे शोषित है‬ नब्बे भाग हमारा है‬, 10 का शासन नब्बे पर‬ नहीं चलेगा, नहीं चलेगा‬”। उन्होंने कहा था, “पहली पीढ़ी गोली खायेगी, दूसरी पीढ़ी जेल जायेगी और तीसरी पीढ़ी राज करेगी”। शोषित समाज के अधिकारों , सामाजिक समता की लड़ाई लड़ने व वंचित वर्गों में उनके आंदोलन के गति पकड़ने के कारण सामंतवादी ताक़तों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।

“राष्ट्रपति का बेटा हो या हो मजदूर की संतान, सबकी शिक्षा एक समान” नारा देने वाले तथा शोषितों, वंचितों, पिछड़ों, दलितों और उपेक्षितों के उत्थान के लिए संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले बिहार लेनिन “अमर शहीद बाबू जगदेवप्रसाद जी” देश के खातिर अपने आप को बलिदान कर दिया। महात्मा ज्योतिबा फूले, पेरियार रामासामी नायकर, बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर और मानवतावादी महामना अजर्क संघ के रामस्वरूप वर्मा के विचारों को कार्यरूप देने वाले अमर शहीद जगदेव प्रसाद कुशवाहा जी का जन्म 2 फरवरी 1922 को महात्मा बुद्ध की ज्ञान-स्थली बोध गया के समीप कुर्था प्रखंड के कुरहारी ग्राम में अत्यंत निर्धन परिवार में हुआ था।

इनके पिता प्रयाग नारायण कुशवाहा पास के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे तथा माता रासकली अनपढ़ एवं धार्मिक विचारों से ओतप्रोत थी। जब वे शिक्षा हेतु घर से जगदेव बाबू बाहर रह रहे थे, उनके पिता काफी अस्वस्थ रहने लगे। जगदेव बाबू की माँ रासकली देवी धार्मिक स्वाभाव की थी, अपने पति की सेहत के लिए उन्होंने देवी-देवताओं की खूब पूजा, अर्चना की तथा मन्नते मांगी, इन सबके बावजूद उनके पिता का देहावसान हो गया। यहीं से जगदेव बाबू के मन में हिन्दू धर्म के प्रति विद्रोही भावना पैदा हो गयी, उन्होंने घर के सारे देवी-देवताओं की मूर्तियों, तस्वीरों को उठाकर पिता की अर्थी पर डाल दिया। उसके बाद उन्होंने देवी-देवताओ और भगवानो से सम्बंधित सभी डकोसलों को जिंदगीभर के लिए नकार दिया। उस दौर में देश में जातिवाद का नशा चरम पर था देश में समांतिवाद व्यवस्था का विरोध करने का दुस्ससाहस मुश्किल हो कोई करता था।

इस ब्राह्मणवादी हिन्दू धर्म से जो विक्षोभ उत्पन्न हुआ वो अंत समय तक रहा, उन्होंने ब्राह्मणवाद का प्रतिकार मानववाद के सिद्धांत के जरिये किया। अपने पिता के मार्गदर्शन में बालक जगदेव ने मिडिल की परीक्षा पास की! उनकी इच्छा उच्च शिक्षा ग्रहण करने की थी, वे हाईस्कूल के लिए जहानाबाद चले गए, निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा होने के कारण बाबू जगदेव प्रसाद की प्रवृत्ति शुरू से ही संघर्षशील तथा जुझारू छवि की रही, वे बचपन से ही ‘विद्रोही स्वाभाव’ के थे। अमर शहीद जगदेव प्रसाद कुशवाहा जी जब किशोरावस्था में अच्छे कपड़ें पहनकर स्कूल जाते तो उच्च वर्ण के छात्र उनका उपहास उड़ाते थे, एक दिन गुस्से में आकर उन्होंने उनकी पिटाई कर दी और उनकी आँखों में धूल डाल दी, इसके लिए उनके पिता को जुर्माना भरना पड़ा और माफ़ी भी मांगनी पडी उनके साथ स्कूल में बदसूलकी भी हुई।

एक दिन बिना किसी गलती के एक शिक्षक ने जगदेव बाबू को चांटा जड़ दिया, कुछ दिनों बाद वही शिक्षक कक्षा में पढ़ाते-पढाते खर्राटे भरने लगे, जगदेव जी ने उसके गाल पर एक जोरदार चांटा मारा था, शिक्षक ने प्रधानाचार्य से शिकायत की। जगदेव बाबू ने निडर भाव से कहा, ‘गलती के लिए सबको बराबर सजा मिलनी चाहिए, चाहे वो छात्र हो या शिक्षक’! पटना विश्वविद्यालय में पढ़ने के दौरान उनका परिचय चंद्रदेव प्रसाद वर्मा से हुआ, चंद्रदेव ने जगदेव बाबू को विभिन्न विचारको को पढ़ने, जानने-सुनने के लिए प्रेरित किया, अब जगदेव जी ने सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया और राजनीति की तरफ प्रेरित हुए। इसी बीच वे ‘सोशलिस्ट पार्टी’ से जुड़ गए और पार्टी के मुखपत्र ‘जनता’ का संपादन भी किया। एक प्रखर संजीदा पत्रकार की हैसियत से उन्होंने दलित-पिछड़ों-शोषितों की समस्याओं के बारे में खूब लिखा तथा उनके समाधान के बारे में अपनी कलम चलायी।

1955 में हैदराबाद जाकर इंगलिश सप्ताहिक ‘तथा हिन्दी सप्ताहिक ‘उदय’ का संपादन आरभ किया। उनके क्रांतिकारी तथा ओजस्वी विचारों से पत्र-पत्रिकाओं का सर्कुलेशन लाखों की संख्या में पहुँच गया। अमर शहीद जगदेव बाबू कुशवाहा जी को धमकियों का भी सामना करना पड़ा, प्रकाशक से भी मन-मुटाव हुआ! लेकिन जगदेव बाबू ने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया, आखिरकार संपादक पद से त्यागपत्र देकर पटना वापस लौट आये और समाजवादियों के साथ आन्दोलन शुरू किया। अमर शहीद जगदेव बाबू कुशवाहा जी ने 1967 के विधानसभा चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी,1966 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी का एकीकरण हुआ था, तो उम्मीदवार के रूप में कुर्था में जोरदार जीत दर्ज की। उनके अथक प्रयासों से स्वतंत्र बिहार के इतिहास में पहली बार संविद सरकार बनी तथा महामाया प्रसाद सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाया गया।

जगदेव बाबू तथा कर्पूरी ठाकुर की सूझ-बूझ से पहली गैर-कांग्रेस सरकार का गठन हुआ, लेकिन पार्टी की नीतियों तथा विचारधारा के मसले पर लोहिया से अनबन हुई और ‘कमाए धोती वाला और खाए टोपी वाला’ की स्थिति देखकर संसोपा (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी) छोड़कर 25,अगस्त 1967 को ‘शोषित दल’ नाम से नयी पार्टी बनाई। बिहार में राजनीति को जनवादी बनाने के लिए उन्होंने सामाजिक-सांस्कृतिक क्रांति की आवश्यकता महसूस की। वे मानववादी रामस्वरूप वर्मा द्वारा स्थापित (स्थापना 1 जून, 1968) ‘अर्जक संघ’ में शामिल हो गये। अमर शहीद जगदेव बाब कुशवाहा जी ने कहा था कि अर्जक संघ के सिद्धांतो के द्वारा ही ब्राह्मणवाद को ख़त्म किया जा सकता है और सांस्कृतिक परिवर्तन कर मानववाद स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने आचार, विचार, व्यवहार और संस्कार को अर्जक विधि से मनाने पर बल दिया। जगदेव बाबू कुशवाहा जी एक महान राजनीतिक दूरदर्शी नेता थे, वे हमेशा शोषित समाज की भलाई के बारे में सोचा और इसके लिए उन्होंने पार्टी तथा विचारधारा किसी को महत्त्व नहीं दिया। मार्च 1970 में जब जगदेव बाबू के दल के समर्थन से दरोगा प्रसाद राय मुख्यमंत्री बने।

7 अगस्त 1972 को शोषित दल तथा रामस्वरूप वर्मा की पार्टी ‘समाज दल’ का एकीकरण हुआ और ‘शोषित समाज दल’ नामक नयी पार्टी का गठन किया गया,एक दार्शनिक तथा एक क्रांतिकारी के संगम से पार्टी में नयी उर्जा का संचार हुआ। जगदेव बाबू ने पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में जगह-जगह तूफानी दौरा आरम्भ किया। वे नए-नए तथा जनवादी नारे गढ़ने में निपुण थे ही। जन सभाओं में जगदेव बाबू के भाषण बहुत ही प्रभावशाली होते थे, उत्तर भारत में ‘शोषितों की क्रान्ति’ के जनक, अर्जक संस्कृति और साहित्य के पैरोकार, शोषित समाज दल तथा बाद में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना और मंडल कमीशन के प्रेरणास्रोत, सर्वहारा के महान नायक भारतीय, क्रांतिकारी, बहुजन नायक बिहार लेनिन के नाम से विख्यात बाबू कुशवाहा के जगदेव बाबू को बिहार लेनिन उपाधि हजारीबाग जिला में पेटरवार (तेनुघाट) में एक महती सभी में वहीं के लखन लाल महतो, मुखिया एवं किसान नेता ने अभिनन्दन करते हुए दी थी। शिक्षा को लेकर बाबू जी के विचार समतामूलक शिक्षा व्यवस्था के पक्ष में थे।

जगदेव बाबू एक सामान तथा अनिवार्य शिक्षा के पैरोकार थे तथा शिक्षा को केन्द्रीय सूची का विषय बनाने के पक्षधर थे। वे कहते थे चपरासी हो या राष्ट्रपति की संतान, सबको शिक्षा एक सामान। 5 सितम्बर 1974 का वो दिन जगदेव बाबू जी हजारों की संख्या में शोषित समाज का नेतृत्व करते हुए अपने दल का काला झंडा लेकर आगे बढ़ने लगे। कुर्था में तैनात डी. एस. पी. ने सत्याग्रहियों को रोका तो जगदेव बाबू ने इसका प्रतिवाद किया और विरोधियों के पूर्वनियोजित जाल में फंस गए। पुलिस ने उनके ऊपर गोली चला दी गोली सीधे उनके गर्दन में जा लगी, वे गिर पड़े, सत्याग्रहियों ने उनका बचाव किया, किन्तु पुलिस घायलावस्था में उन्हें पुलिस स्टेशन ले गयी। पुलिस प्रशासन ने उनके मृत शरीर को गायब करना चाहा, लेकिन भारी जन-दबाव के चलते उनके शव को 6,सितम्बर को पटना लाया गया, उनकी अंतिम शवयात्रा में देश के कोने-कोने से लाखों लोग पहुंचे थे। अमर शहीद बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा के भाषण बहुत ही प्रभावशाली होते थे,जहानाबाद की सभा में उन्होंने कहा था “दस का शासन नब्बे पर,नहीं चलेगा, नहीं चलेगा। सौ में नब्बे शोषित है ,नब्बे भाग हमारा है,धन-धरती और राजपाट में,नब्बे भाग हमारा है” जगदेव बाबू जी ने पंचकठिया प्रथा का अंत करवाया उस समय किसानों की जमीन की फसल का पांच कट्ठा जमींदारों के हाथियों को चारा देने की एक प्रथा सी बन गयी थी। गरीबों, शोषितो वर्गों का किसान जमीदार की इस जबरदस्ती का विरोध नहीं कर पाता था। जगदेव बाबू कुशवाहा ने इसका विरोध करने को ठाना। जगदेव बाबू ने अपने हम-जोली साथियों से मिलकर रणनीति बनायी।

जब महावत हाथी को लेकर फसल चराने आया तो पहले उसे मना किया गया, जब महावत नहीं माना तब जगदेव बाबू ने अपने साथियों के साथ महावत की पिटाई कर दी और आगे से न आने की चेतावनी भी दी। इस घटना के बाद पंचकठिया प्रथा बंद हो गयी। बाबू जगदेव कुशवाहा जी को बिहार की जनता अब इन्हें ‘बिहार के लेनिन’ के नाम से पुकारती है। “बाबू जगदेव कुशवाहा जी के दिए नारे :- गोरी गोरी हाथ कादो में, अगला, दो बातें हैं मोटी-मोटी, हमें चाहिए इज्जत और रोटी। जगदेव बाबू कुशवाहा जी के योगदान को झुठला नहीं सकता है। बहुजन समाज आज भी उन्हें ऐसे मुक्तिदाता के रूप में याद करते है जो शोषित समाज के आत्मसम्मान तथा हित के लिए अंतिम साँस तक लड़े।

शोषित समाज को जागृत करने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, सामाजिक क्रांति के महानायक शोषित पिछड़ों के सच्चे मशीहा बाबू जगदेव सिंह कुशवाहा जी अमर रहें। बाबू जगदेव सिंह कुशवाहा ऐसे योद्धा का नाम है, जिसने शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद की और उपेक्षितों को उनका हक दिलाने के लिए जीवन समर्पित कर दिया। वे पहले ऐसे राजनेता थे जिन्होंने सामाजिक न्याय को धर्मनिरपेक्षवाद के साथ मिश्रित किया जब ‘मंडल कमीशन कमंडल की भेंट चढ़ गया तब उनके सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण को भारी चोट पहुँची।

आज सबसे ज्यादा पिछड़े वर्ग के लोग पूजा-पाठ करते है, मंदिर खुद बनवाते है लेकिन पुजारी उच्च वर्ग से होता है, पुजारी पद का कोई सामाजिक तथा लैंगिक प्रजातंत्रीकरण नहीं है इसमें शोषण तो शोषित समाज का ही होता है। अर्थात धर्म का व्यापार कई करोड़ों का है और ये खास वर्ण के लोगों की दीर्घकालिक आरक्षित राजनीति है। इसलिए जगदेव बाबू ने लोगों को राजनीतिक संघर्ष के साथ-साथ सांस्कृतिक संघर्ष की आवश्यकता का अहसास दिलाया था। उन्होंने अर्जक संघ को अंगीकार किया जो ब्राह्मणवाद का खात्मा करके मानववाद को स्थापित करने की बात करता है। उन्होंने 1960-70 के दशक में सामाजिक क्रांति का बिगुल फूंका था उन्होंने कहा था कि “यदि आपके घर में आपके ही बच्चे या सगे-संबंधी की मौत हो गयी हो किन्तु यदि पड़ोस में ब्राह्मणवाद विरोधी कोई सभा चल रही हो तो पहले उसमें शामिल हो”, ये क्रांतिकारी जज्बा था जगदेव बाबू का आज फिर से जगदेव बाबू की उस विरासत को आगे बढ़ाना है जिसमें 90% लोगों के हित, हक-हकूक की बात की गयी है।

जगदेव बाबू के संघर्षों के आलोक में अगर वर्तमान भारतीय समाज की कोढ़ बन चुकी समस्याओं का अवलोकन करें तो पाते हैं कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से किसान एवं आदिवासी सर्वाधिक शोषित हैं। भारत में महिलाओं की स्थिति स्वतंत्रता के सात दशक बाद भी संतोषजनक नहीं हो पायी है। मध्यवर्गीय ग्रामीण और शहरी समाज में स्त्रियों को एक हद तक आर्थिक आजादी तो हासिल हुई है किन्तु सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों में हालात अभी ठीक नहीं हैं। स्वतंत्र भारत में ऐसे राजनेता बहुत कम हुए हैं जिनकी समझ जगदेव प्रसाद की तरह स्पष्टवादी हों। जगदेव बाबू का मानना था कि भारत का समाज साफ़तौर पर दो तबकों मे बंटा है : शोषक एवं शोषित। शोषक हैं पूंजीपति, सामंती दबंग और ऊँची जाति के लोग और शोषितों में किसान, असंगठित एवं संगठित क्षेत्र के मजदूर और दलित आदि शामिल हैं।
जगदेव प्रसाद ने सामाजिक न्याय को परिभाषित करते हुए कहा था कि “दस प्रतिशत शोषकों के जुल्म से छुटकारा दिलाकर नब्बे प्रतिशत शोषितों को नौकरशाही और जमीनी दौलत पर अधिकार दिलाना ही सामाजिक न्याय है।”
हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए।

समर्पण सम्मान 2023 से सम्मानित हुवे ब्रांड एम्बेसडर लोक गायक भैया अजित।

परमेश्वरी देवी सेवा संस्थान “ट्रस्ट” संस्था के कार्यकारणी समिति द्वारा पाँच विभूतियों को “समर्पण सम्मान 2023” के लिए चयन किया है। जिनमें मुख्य रूप से  निर्भीक वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष कुमार आर्य को पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए, राकेश बिहारी शर्मा को उनके अनवरत साहित्य साधना के लिए, चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. संध्या सिन्हा,समाजिक कार्य के क्षेत्र में दीपक कुमार को दिया गया वही समाज के प्रति समर्पण का भाव रखने वाले ,समाज में जागरूकता लाने वाले एवम समाज में उत्कृट कार्य करने के लिए नगर पंचायत सिलाव एवम नगर परिषद राजगीर के ब्रांड एम्बेसडर लोक गायक भैया अजित को द्वारा अंग वस्त्र,तुलसी पौधा, प्रशस्ति पत्र एवम मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया ।

समर्पण सम्मान 2023 से सम्मानित हुवे ब्रांड एम्बेसडर लोक गायक भैया अजित।

बताते चले कि भैया अजित वर्ष 1999 से 2003 तक रथयात्रा, साइकिल यात्रा एवम पदयात्रा कर समाज में सद्भावना कायम करने में अहम भूमिका निभाई वही स्वच्छता के अभाव में बढ़ रहे मृत्यु दर को रोकने के लिये यूनिसेफ, ग्लोबल सेनिटेशन फंड ,वाटर एंड इंटरनेशनल जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों एवम लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग बिहार सरकार के सहयोग से अपनी गायकी के माध्यम से जन चेतना का कार्य किया वही वर्तमान में नालन्दा, सिलाव,राजगीर को स्वच्छ एवम सुंदर बनाने तथा डेंगू मुक्त बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई हैं तथा दलित बस्तियों में झाड़ू लगाकर स्वच्छता का संदेश देते है तो वही दलित,वंचित परिवार के बच्चा मे छुपी प्रतिभाओं को उभारने का काम करते है इनकी अथक प्रयास को देखते हुए कई राष्ट्रीय संस्थाओं ने इन्हें सम्मानित किया है।

समर्पण सम्मान मिलने से क्षेत्र के लोगो मे खुशी की लहर है बधाई देनेवालो की ताता लगी हुई है बधाई देनेवालों, वरिष्ठ साहित्यकार महेंद्र कुमार विकल,वरिष्ठ समाजसेवी डॉ अमित पासवान,वरिष्ठ समाजसेवी लालबहादुर सिंह,संत जेवियर्स स्कूल प्राचार्य श्री अर्जुन प्रसाद,सृजन के महासचिव पृथिविराज,अरविंद कुमार, संजीत कुमार,विकास कुमार अंकित, आदि ।

परमेश्वरी देवी सेवा संस्थान ट्रस्ट ने 5वीं बार समर्पण सम्मान समारोह का आयोजन

परमेश्वरी देवी सेवा संस्थान ट्रस्ट ने 5वीं बार समर्पण सम्मान समारोह का आयोजन कर मनाया परमेश्वरी देवी की पुण्यतिथि

समाज को जागरुक करने में साहित्यकार, पत्रकार और समाजसेवी निभा रहे हैं अहम भूमिका – विनय कुमार कुशवाहा

● उत्कृष्ट कार्य के लिए समर्पण सम्मान 2023 से सम्मानित किये गये साहित्यकार, पत्रकार और समाजसेवी

बिहारशरीफ, 1 फरवरी 2023 : स्थानीय बिहारशरीफ, हाजीपुर मोहल्ला स्थित किड्ज केयर कान्वेंट के प्रांगण में परमेश्वरी देवी सेवा संस्थान “ट्रस्ट” के तत्वावधान में समाज सेविका परमेश्वरी देवी की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में नालंदा के चर्चित् पाँच विभूतियों को “समर्पण सम्मान 2023” से सम्मानित किया गया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विद्वान “ट्रस्ट” के अध्यक्ष श्रीप्रकाश ने की। जबकि कार्यक्रम संचालन राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी रामेश्वर प्रसाद रहे। विशिष्ट अतिथि के तौर पर साहित्यिक मंडली शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने शिरकत की।

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से सशक्त साहित्यकार, निर्भीक वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष कुमार आर्य को पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए, हिन्दी साहित्य के सशक्त नव हस्ताक्षर, सशक्त निबंधकार व खोजी साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा को उनके अनवरत साहित्य साधना के लिए, चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. संध्या सिन्हा, समाज सेवा एवं जागरूकता के क्षेत्र में भैया अजीत तथा समाज सेवा और जागरूकता के क्षेत्र में गांधीवादी विचारक दीपक कुमार को प्रतीक चिन्ह, ‘प्रशस्ति पत्र’ , तुलसी का पौधा, पुष्प एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया है।

परमेश्वरी देवी सेवा संस्थान ट्रस्ट ने 5वीं बार समर्पण सम्मान समारोह का आयोजन

मौके पर अध्यक्षता करते हुए ट्रष्ट के अध्यक्ष श्रीप्रकाश ने कहा कि अपने विचारों पर अडिग रहते हुए साहित्यकार,पत्रकार, समाजसेवी की वजह से ही लोकतंत्र का चौथा स्तंभ और मानवीय धर्म आज मजबूती से खड़ा है। ये सभी नालंदा के सम्मानित रत्न के द्वारा किये गये उत्कृष्ट कार्य एवं सराहनीय कार्यों के वजह से ही आज सभी को सम्मानित किया जा रहा है।

साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि समाज में साहित्यकार, समाजसेवी, चिकित्सक और पत्रकार समाज को जागरूक करने में बेहद अहम भूमिका है, ईमानदारी और निष्ठापूर्वक काम करने वाले ये सभी के चलते ही ध्येयपूर्ण मानवतावादी कार्य फल फूल रही है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि साहित्यिक मंडली शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि समय निरंतर गतिशील है, उसके चलने की अपनी गति है। एक और वर्ष 2022 भी बीत गया। लेकिन बीतते हुए समय में कुछ लोग अपनी पत्रकारिता, समाजसेवा एवं रचनात्मक गतिविधियों से समय की शिलाओं पर अपने हस्ताक्षर अंकित रहते हैं। पत्रकारिता, समाजसेवा और हिंदी साहित्य की सेवा में निरत ऐसे ही आशुतोष कुमार आर्य, राकेश बिहारी शर्मा, दीपक कुमार, और डॉ. संध्या सिन्हा समाजसेवी व रचनात्मक लोगों की बड़ी संख्या नालंदा में भी है, जो समाजसेवा और हिंदी साहित्याकाश में इंद्रधनुषी छटा बिखेरते रहते हैं। जिन्होंने प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान लेखन और समाजसेवा के बल पर बनायी। ये सभी लोग लगनशीलता के दम पर बड़ी उंचाइयों को छू रहे हैं।

 

परमेश्वरी देवी सेवा संस्थान ट्रस्ट ने 5वीं बार समर्पण सम्मान समारोह का आयोजन

मौके पर “ट्रस्ट” के सचिव विनय कुमार कुशवाहा ने कहा कि समाज को जागरुक करने में साहित्यकार, पत्रकार और समाजसेवी अहम भूमिका निभा रहे हैं। लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने और समाज को आगे बढ़ाने में साहित्यकार और पत्रकार की भूमिका सराहनीय है। पत्रकार और साहित्यकार अपने विचारों पर अडिग रहकर ही गम्भीरता पूर्वक कार्य करते हैं। यह स्वस्थ पत्रकारिता और समाजसेवा का ही परिणाम है कि आज वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष कुमार आर्य, साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, डॉ. संध्या सिन्हा, भैया अजीत तथा दीपक कुमार को सम्मानित किया गया है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी रामेश्वर प्रसाद ने कहा कि लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने और समाज के प्रबोधन में पत्रकारों, साहित्यकारों एवं समाजसेवियों की भूमिका सराहनीय है।

कार्यक्रम के दुसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता नालंदा हिंदी साहित्य सम्मेलन व “ट्रस्ट” के सचिव विनय कुमार कुशवाहा तथा संचालन राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने किया।

कवि सम्मेलन का शुभारंभ शायर नवनीत कृष्ण के सरस्वती वंदना से किया। हिंदी साहित्य सम्मेलन के कार्यकारी अध्यक्ष उमेश प्रसाद ‘उमेश’ ने गर्मजोशी से उपस्थित साहित्यकारों, कवियों, शायरों व समाजसेवियों को स्वागत किया।

तत्पश्चात नालंदा जिले के नामचीन कवि व लोक गायक भैया अजीत ने “ई दुनिया माई के दुधवा के बनल कर्जदार बाटे माई के उपकार बाटे हो…। माई के अचरा खेलत सारा संसार बाटे माई के उपकार बाटे हो… । साथ ही साथ जहां एक ओर वे अपने लोक कविता से लोगों का मनोरंजन कर रहे थे, वहीं बीच-बीच में सामाजिक व्यवस्थाओं पर चुटकी भी लेते रहे और माहौल खुशनुमा करते रहे।

हास्य कवि रंजीत द्दुधू ने अपनी मशहूर कविता पाल पोस देला पर बड़का-बड़का पांख हो गेलय, बाल बच्चा सब चिडैयाँ नियन उडाँक हो गेलय…। सुनाया और श्रोताओं को वाह-वाह करने पर मजबूर कर दिया।

साहित्यिक मंडली शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार व कवि डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने अपनी बसंती कविता “मौसिम ए बहार है राग रागिनी की भरमार है। अलसाई मादक पवन में वसंत की झनकार है…। सुनाकर लोगों को मदमस्त और बसंती बयार पर झुमने पर मजबूर कर दिया।

मौके पर राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने अपनीं शायरी- “तेरी बातो में हम रह गए, ख़ुद से ग़ाफ़िल सनम रह गए। उनको दुनियाँ की सब राहतें, मेरे हिस्से में ग़म रह गए।” इस जज्बाती अंदाज में कुछ इस तरह कलाम पेश कर श्रोताओं को वाह-वाह करने पर मजबूर कर दिया।

हिंदी साहित्य सम्मेलन नालंदा के कार्यकारी अध्यक्ष मगही कवि उमेश प्रसाद ‘उमेश’ ने “बड़ी निराली बेहद प्यारी मेरी भोली-भाली दादी, मुझमें कभी न खाली दादी, भर देती वो थाली दादी”…। सुनाया तो लोग झूमने को मजबूर हो गए, और खूब तालियां बटोरी।

साहित्यसेवी व कवि सरदार वीर सिंह “देखते ही देखते क्या-क्या ये मंजर हो गई। जो फकत एक बूंद थे अब वो समंदर हो गई”… सुनाया। चंदन मिश्रा ने कुछ नसीहत बेटों को भी सिखाइए… सुनाया।

हिंदी साहित्य सम्मेलन नालंदा के सचिव कवि महेंद्र कुमार विकल ने “ऊंचे ऊंचे मंच के बौने हैं किरदार, थोथे भाषण झाड़कर शेखी रहे बघार”… सुनाया।

इसके अलाबे ट्रष्ट के कोषाध्यक्ष नूतन कुमारी, ऋषभ राज, सिंपी कुमारी, प्रवीण कुमार, विद्या देवी, प्रतिमा मौर्या, पुष्पा देवी, मंटू कुमार, छोटे प्रसाद, देवेंद्र कुमार, अनिल कुमार, सुनील कुमार, संजय कुमार, विजय कुमार, अशोक कुमार, यशराज, उन्नति राज, सिंकू कुमारी, वान्या राज, राजेश ठाकुर, वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार मयंक, सुरेन्द्र प्रसाद शर्मा भी कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में सभी कवियों ने श्रोताओं को अपने काव्यपाठ से मोहित कर समां बांधा।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन ट्रस्ट के सचिव विनय कुमार कुशवाहा द्वारा किया गया।

नालंदा कॉलेज में छात्रों को-10-मिनट पहले नालंदा कॉलेज के प्रचार्या ने गेट बंद कर दिया

नालंदा कॉलेज में छात्रों को-10-मिनट पहले नालंदा कॉलेज के प्रचार्या ने गेट बंद कर दिया जिससे परीक्षार्थियों को अंदर एंट्री नहीं मिली और जिसमें लगभग-200 से ऊपर लड़कों को परीक्षा देने से वंचित कर दिया गया है।

जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि बिहारशरीफ में हरेक चौक चौराहे पर रोड जाम रहती है जिसके कारण छात्रों ने परीक्षार्थी दौडकर नालंदा कॉलेज परीक्षा देने के लिए पहुंचें फिर भी नालंदा कॉलेज में जिला प्रशासन अंदर घूसने नहीं होने दिया और मारपीट कर सभी को खदेड़ने का काम किया और दो छात्रों को जिला प्रशासन ने कालर पाकड़ कर विहार थाना में वंद कर दिया जो सी सी कैमरा में देखा जा सकता है।

नालंदा कॉलेज में छात्रों को-10-मिनट पहले नालंदा कॉलेज के प्रचार्या ने गेट बंद कर दिया

इसलिए जिला प्रशासन से मेरी मांग है की जितनी भी लड़कों को परीक्षा से वंचित किया गया है वो सभी छात्रों को एक समय निर्धारित किया जाए और परीक्षा लिया जाए ताकि साल भर का पढ़ाई चौपट ना हो सके ।राजकुमार पासवान जिला अध्यक्ष राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नालंदा

फ़ुटबॉल में दाहा विगहा को हराकर मसौढ़ी बना चैम्पियन

हिलसा ( नालंदा ) अनुमंडल के दाहा विगहा खेल मैदान में आयोजित एक दिवसीय फ़ुटबॉल मैच में मसौढ़ी की टीम ने दाहा विगहा की टीम को हराकर विजेता का ख़िताब हासिल किया . स्थानीय एएस शिक्षण संस्थान विष्णुपुर के मैदान में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान विजेता, उप विजेता टीम को सम्मानित किया गया .

इस मौक़े पर खिलाड़ियों तथा बाल कलाकारों का हौसला बढ़ाने के लिए पहुँचे ज़िला परिषद अध्यक्ष पिंकी कुमारी , नालंदा ज़िला आइकॉन डा. आशुतोष कुमार मानव , नगर परिषद के मुख्य पार्षद धनंजय कुमार , चर्चित छात्र नेता विकास कुमार, प्रेम कुमार, नीरज कुमार , चंदन भारती, देवेंद्र, ऋषि पटेल, टिंकु कुमार आदि ने प्रतिभागियों को मेडल और शिल्ड प्रदान करते हुए उनकी हौसला आफ़जाई की .

मुख्य आयोजक सूरज कुमार ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हर साल ग्रामीण बच्चों एवं युवाओं की प्रतिभा का सम्मान करने के ख़्याल से इस तरह का आयोजन किया जाता है जिसमें लोग बढ़ चढ़ कर भाग लेते हैं . इस दौरान सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के साथ साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम की भी प्रस्तुति की गयी . नाटक , झांकी, नृत्य आदि की भी प्रतियोगिता हुई जिसमें अव्वल स्थान लाने वाले पुरस्कृत किए गए .

नालंदा के तत्वावधान में आज बिहारशरीफ में पत्रकार वार्ता का आयोजन

महात्मा फूले समता परिषद नालंदा के तत्वावधान में आज बिहारशरीफ में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। पत्रकारों को संबोधित करते हुये परिषद के जिलाध्यक्ष सोनू कुशवाहा ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को जनता दल यू में बुलाया गया था ना कि वे खुद इच्छा जताई थी।

उन्होने कहा कि जनता दल यू को मजबूत करने के लिए हीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पहल पर वे पार्टी ज्वाइन किये थें लेकिन पार्टी में उन्हें सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थें।उन्होने कहा कि आगामी 2 फरवरी को शहीद जगदेव की जयंति मनाया जायेगा जिसमें बड़ी संख्या में लोग शिरकत करेंगे। शहीद जगदेव के विचारों को बताया जायेगा।

हरनौत प्रखंड के व्यापार मंडल और पैक्स सदस्यों के साथ बैठक की।

नालन्दा सेट्रल कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष पद के निर्वाचन को लेकर प्रत्याशी सह अस्थावां विधायक डॉक्टर जितेंद्र कुमार ने मंगलवार को उन्होंने रहुई प्रखंड अस्थावां प्रखंड और हरनौत प्रखंड के व्यापार मंडल और पैक्स सदस्यों के साथ बैठक की।

इस दौरान उन्होंने रहुई प्रखंड के इमामगंज पंचायत और हरनौत प्रखंड के बिरजू मिल्की में बैठक कर लोगों से नालंदा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक चुनाव को लेकर चुनावी रणनीति बनाई।गौरतलब है की आगामी 6 फरवरी को बिहारशरीफ में नालंदा केंद्रीय सहकारी बैंक निदेशक मूल का चुनाव आहूत है।

जिसमे अध्यक्ष पद पर आस्थावां विधायक चुनाव लड़ रहे हैं।जिसको लेकर प्रचार प्रसार किया जा रहा है। प्रचार प्रसार के दौरान विधायक डॉक्टर जितेंद्र कुमार ने कहा कि सहकारिता एक दूसरे का प्रेम भाईचारा और खुशनुमा माहौल एक दूसरे के साथ मिलकर काम करने का चीज है। सहकारिता द्वेष कलह का चीज नहीं है लेकिन आज नालंदा में निवर्तमान अध्यक्ष के द्वारा सहकारिता के इन सभी परिभाषा के विपरीत कार्य किया जा रहा है।