Saturday, July 5, 2025
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अधिवेशन की तैयारी में लगे हैं एक-एक कार्यकर्ता’

स्थानीय संघ कार्यालय में भारतीय मजदूर संघ की जिला इकाई की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता जिला अध्यक्ष सतीश चंद्र प्रभात ने की। इसमें विशेष रूप से आगामी सात, आठ एवं नौ अप्रैल, 2023 को पटना में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारी पर चर्चा की गई। इस अवसर पर संघ के प्रदेश मंत्री अशोक कुमार ने कहा है कि भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन को ऐतिहासिक एवं भव्य बनाने के लिये एक-एक कार्यकर्ता तैयार है। उन्होंने कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि बिहार के लिए इतिहास गढ़ने का वक़्त आ गया है।

हम तन-मन-धन से अपना योगदान देकर प्रस्तावित अखिल भारतीय अधिवेशन को सफल बनायें। उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में भारतवर्ष के 600 जिला के श्रमिक कार्यकर्ता सहित नेता भाग लेंगे, जिसकी संख्या लगभग 5000 रहेगी। अधिवेशन में आगामी तीन वर्षों के लिए संगठन की कार्यकारिणी का चुनाव होगा एवं संगठन विस्तार हेतु कार्य योजना तैयार होगी।
बैठक में जिला मंत्री सुधीर पटेल के अलावा संतोष घायल, आशीष कुमार, राजीव कुमार, संगठन मंत्री बलराम सिंह, विकास कुमार, अनिल सिन्हा, विद्याभूषण मेहता सहित समस्त जिला कार्यकारणी सदस्य उपस्थित थे।

बाबू जगलाल चौधरी बिहार के गांधी जी के नाम से जाने जाते हैं।

बिहारशरीफ के पचासा चौक स्थित डॉक्टर अंबेडकर पार्क में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के तत्वाधान में बाबू जगलाल चौधरी जी का चित्र पर माल्यार्पण करते हुए पुष्प अर्पित कर 128 वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस मौके पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान एवं प्रदेश अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने संयुक्त रूप से कहा कि बाबू जगलाल चौधरी स्वतंत्र सेनानी थे। इनका जन्म 5 फरवरी 1895 को सारण जिले के गडखा ग्राम में हुआ था। वे एक मेघावी छात्र थे तथा पटना साइंस कॉलेज से इंटर की परीक्षा पास करने के उपरांत कोलकाता मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिए।जब वो एम बी बी एस के अंतिम वर्ष में थे,तब वे महात्मा गांधी के आव्हान पर अपनी मेडिकल की पढ़ाई छोड़ कर स्वतंत्रता संग्राम मे कूद पड़े और वे स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ते हुए कई बार जेल गए 1937 में बिहार के अंतरिम सरकार में इन्हें स्वास्थ्य एवं आवकारी मंत्री बनाया गया था उस समय 4 कैबिनेट मंत्रियों में से बापू जगलाल चौधरी को भी कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे महात्मा गांधी के आदर्शों को अनुपालन स्वरूप बिहार के गांधी कहे जाते हैं इनकी मृत्यु 9 अगस्त 1975 को हो गई थी एवं राजकीय सम्मान के साथ उनका दाह संस्कार पटना के बाॅस घाट में 10 अगस्त को किया गया।भारत सरकार द्वारा इनके नाम से 14अगस्त 2000 में डाक टिकट भी जारी किया था। अंत में इस जयंती में उपस्थित सभी लोगों ने इनके बताए हुए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया। इस मौके पर प्रदेश के उपाध्यक्ष नंद लाल दास जिला महासचिव महेंद्र प्रसाद जिला सचिव मोहन चौधरी जितेंद्र यादव अमर कुमार अखिलेश पासवान योगेंद्र पासवान बटोरन रविदास आदि लोग उपस्थित थे।

दो दिवसीय पैथोलॉजी चिकित्सकों का सम्मेलन शुरू हो गया।

भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी में दो दिवसीय पैथोलॉजी चिकित्सकों का सम्मेलन शुरू हो गया। सम्मेलन का उद्घाटन बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। जबकि इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ एसएन सिन्हा के अलावे कई गणमान्य लोग मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ पीके चौधरी द्वारा किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि को डॉ प्रीति कुमारी रंजना ने बूके, अंग वस्त्र और मोमेंटो भेंट किया। इस सम्मेलन में प्रदेशभर के पैथोलॉजी चिकित्सक भाग ले रहे हैं। इस मौके पर मंत्री श्री कुमार ने कहा कि इस तरह के सम्मेलन होने से जो नई-नई बीमारियां उत्पन्न हो रही है। उसके लिए मंथन किया जा रहा है और यह मैसेज न केवल बिहार में बल्कि पूरे देश में जाएगा कैसे हम नई बीमारियों का किस प्रकार मुकाबला करें। इस सम्मेलन में चिकित्सक आने वाली चुनौतियों पर भी विचार विमर्श करेंगे कि कैसे नए-नए बीमारियों का इलाज सरल एवं सुलभ हो।उन्होंने इस आयोजन के लिए अपनी ओर से शुभकामनाएं दी।

जितेंद्र कुमार ने विभिन्न पंचायतों में जनसंपर्क अभियान चलाया।

आगामी नालंदा कॉपरेटिव बैंक चुनाव को लेकर अस्थावा विधायक जितेंद्र कुमार ने नूरसराय प्रखंड और रहुई के विभिन्न पंचायतों के पैक्स अध्यक्ष सह व्यापार मंडल से मुलाकात कर जनसंपर्क अभियान चलाया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सहकारिता एक दूसरे के सहयोग से चलता है। हम लोग सहयोग, दलगत भावना से ऊपर उठकर सब को एक साथ लेकर चलते हैं। वर्तमान में सहकारिता विभाग जो अव्यवस्था को व्यवस्थित करना है |

मान सम्मान में किसी प्रकार का आज नहीं आए यही हम लोग का मुख्य एजेंडा है। किसी भी पैक्स अध्यक्ष को धान अधिप्राप्ति सिलसिले में या कृषि लोन लेने के सिलसिले में परेशानी नहीं हो। किसी तरह की कोई नजायज वसूली ना हो। जैसा कि अभी वर्तमान अध्यक्ष के कार्यकाल में लगातार पैक्स अध्यक्षों को दोहन किया जा रहा था। शोषण के साथ साथ नजायज वसूली की जा रही थी।लोगो का चेहरा देखकर काम किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि आज जनसंपर्क अभियान के द्वारा नूरसराय प्रखंड के साथ साथ रहई प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में जाकर पैक्स अध्यक्षों से मुलाकात कर अपने पक्ष में वोट करने को अपील किया।

अंतर राज्य जीवन दर्शन के तहत पूर्वोत्तर के छात्र-छात्राओं का नालंदा में स्वागत

  1. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा चल रहे राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा 2023 के तहत अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन (शील) के तहत पूर्वोत्तर राज्यों से आए छात्र-छात्राओं का स्वागत स्थानीय भैसासुर स्थित धनंजय टीचिंग सेंटर के सभागार में किया गया । इस मौके पर छात्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे तुषार भौमिक ने बताया कि 1966 में असम एव॔ नागालैंड के पूर्व  राज्यपाल टी भी आचार्य ने इस कार्यक्रम के शुरुआत किया था । उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हर बार शील कार्यक्रम के तहत दर्शन करवाता है ।श्री भौमिक ने बताया कि 2023 का शील यात्रा सबसे बड़ा यात्रा है जिसमें लगभग 450 छात्र-छात्राएं देश के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण पर जाकर वहां के वेशभूषा ,रहन सहन ,खानपान एवं तीर्थ स्थल को घूम कर जानकारी लेने का काम कर रहे हैं ।अंतर राज्य जीवन दर्शन के तहत पूर्वोत्तर के छात्र-छात्राओं का नालंदा में स्वागत

अंतर राज्य जीवन दर्शन के तहत पूर्वोत्तर के छात्र-छात्राओं का नालंदा में स्वागत        उन्होंने बताया कि नालंदा में अरुणाचल प्रदेश ,असम , मिजोरम , मेघालय ,त्रिपुरा ,नागालैंड एवं मणिपुर से आए लगभग 30 छात्र छात्रा अपने-अपने क्षेत्रों के वेशभूषा में आए हैं तथा नालंदा एवं पटना के बारे में जानकारी ले रहे हैं। छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए ब्रिलियंट ग्रुप के चेयरमैन डा शशि भूषण कुमार ने कहा की भारत एक विशाल देश है जहां भिन्न-भिन्न संस्कृति वेशभूषा धर्म के लोग रहते हैं ।श्री कुमार ने कहा कि चाईना द्वारा पूर्वोत्तर में रहने वाले लोगों को भारतीय नहीं होने का एहसास दिलाने का षड्यंत्र रचने का काम किया था जिसके बाद विद्यार्थी परिषद ने पूरे भारत के बच्चों की सोच को बढ़ाते हुए संस्कृति का आदान-प्रदान कर भारतीय होने का एहसास जगाने का काम किया है ।इस मौके पर ब्रिलिएंट ग्रुप के डायरेक्टर डा धनंजय कुमार कहा कि अनेकता में एकता का पैगाम देते हुए विद्यार्थी परिषद पिछले 60 वर्षों से यह कार्यक्रम चला रहा है । उन्होंने कहा कि नालंदा में ज्ञान बांटा जाता है |अंतर राज्य जीवन दर्शन के तहत पूर्वोत्तर के छात्र-छात्राओं का नालंदा में स्वागत

जब आएंगे तो उन लोगों को देश की वास्तविक भौगोलिक स्थिति की जानकारी होगी और पूर्वोत्तर राज्यों में नालंदा का संदेश एवं रहन सहन के बारे में जानकारी देने का काम करेंगे ।श्री कुमार ने कहा कि भारत पहले भी सोने की चिड़िया थी आज भी सोने की चिड़िया है जहां विभिन्न संस्कृति एवं भाषा होते हुए भी एक दूसरे के साथ भारत माता की जय वंदे मातरम के जयघोष करने का काम करते हैं । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पटना यूनिवर्सिटी सिंडिकेट के सदस्य सह शील के स्वागत महामंत्री पप्पू वर्मा ने कहा के पूर्वोत्तर राज्यों से आए छात्र-छात्राओं को बिहार के लोग काफी उत्साह से स्वागत में लग जाते हैं तथा स्नेह मिलन समारोह आयोजित की जाती है ।अंतर राज्य जीवन दर्शन के तहत पूर्वोत्तर के छात्र-छात्राओं का नालंदा में स्वागत  उन्होने बताया की तीन दिवसीय भ्रमण यात्रा में पूर्वोत्तर राज्यों के छात्रों ने नालंदा एवं पटना के कई ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कर ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। इस मौके पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह शील के जिला प्रभारी सज्जन कुशवाहा ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों से आए लगभग 30 सदस्यों का दल नालंदा विश्वविद्यालय का खंडहर एवं राजगीर के अलावे उदंतपुरी का भ्रमण कर जानकारी प्राप्त की। इस मौके पर डॉ विनीत लाल, अमर राजपूत , , अरविंद पटेल , कुमार शानू , प्रतीक राज ,नागमणि , मुस्कान ,यश, निधि ,काजल,विकाश , साहिल राज ,सुमित , कविता, निधि एवं गौरव समेत अन्य लोग मौजूद थे।

गुरु रविदास की 647 वीं जयंती पर विशेष

राकेश बिहारी शर्मा—रविदासजी का जन्म ऐसे समय में हुआ था जब उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में मुगलों का राज हुआ करता था। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था। हर तरफ अत्याचार, भ्रष्टाचार से लोग परेशान थे। ऐसे समय में रविदास जी की ख्याति बढ़ रही थी। लाखों की संख्या में लोग उनके भक्त थे। ऐसे में एक सदना पीर नाम का व्यक्ति उनके पास आया और उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कहने लगा उसने सोचा अगर रविदास जी धर्म परिवर्तन कर लेते हैं तो उनके लाखों भक्त भी धर्म बदल लेंगे। लेकिन, रविदास जी ने धर्म से पहले हमेशा मानवता को रखा।
गुरु रविदास जयंती हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की पूर्णिमा को होती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर पर, यह आमतौर पर फरवरी में पड़ता है। रविदास एक प्रसिद्ध रहस्यवादी कवि और गीतकार थे, उनका “भक्ति आंदोलन” पर बहुत ज्यादा प्रभाव था, जो हिंदू धर्म के अनुसार एक “आध्यात्मिक भक्ति आंदोलन’ था। बाद में इस आंदोलन ने नया रूप ले लिया और सिख धर्म की शुरुआत हुई। रविदास के भक्ति छंदों को सिख धर्मग्रंथों में गुरु ग्रंथ साहिब के नाम से शामिल किया गया था। रविदास के अनुयायियों ने 21 वीं सदी में ‘रविदासिया’ धर्म की स्थापना की। रविदासिया के अनुयायी हर साल गुरु रविदास जयंती श्रद्धापूर्वक मनाते हैं।

रहस्यवादी कवि रविदास का जन्म और पारिवारिक जीवन

संत रविदास के जन्म को लेकर इतिहासकार एकमत नहीं हैं। कई इतिहासकारों का कहना है कि संत रविदास का जन्म सन 1398 ई में हुआ है। वहीं, कुछ जानकारों का कहना है कि उनका जन्म सन 1482 में हुआ है। संत रविदास का संबंध चमार जाति से है। गुरु रविदास के जन्म को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी मौजूद नहीं है, लेकिन माना जाता है कि गुरू रविदास (रैदास) का जन्म काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1433 को हुआ था। संत रविदास कबीरदास के समकालीन और गुरुभाई कहे जाते हैं। रविदास जी के जन्म को लेकर कई मत हैं लेकिन कई विद्वानों का कहना है कि जिस दिन उनका जन्म हुआ उस दिन रविवार था, इसलिए उनका नाम रविदास रखा गया।
गुरु रविदास को रैदास के नाम से भी जाना जाता था। उनका जन्म वाराणसी के पास सीर गोवर्धनपुर गांव में हुआ था, जो अब उत्तर प्रदेश में स्थित है। उनका जन्मस्थान अब श्री गुरु रविदास जन्म स्थान के नाम से जाना जाता है। रविदास के पिता का नाम रघू और माता का नाम घुरविनिया था। माना जाता कि उनकी पत्नी का नाम लोना था। जीवनयापन के लिए रविदास जूते बनाने का काम किया करते थे। रविदास ज्ञान अर्जित करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने संत रामानन्द को अपना गुरु बना लिया। संत कबीर के प्रेरणा से उन्होंने संत रविदास जी को अपना गुरु बनाया था, गुरु कबीर साहेब जी उनके पहले गुरु थे। उनके मधुर व्यवहार के कारण उनसे मिलने वाले लोग बहुत प्रसन्न रहते थे। रविदास जी बहुत परोपकारी तथा दयालु थे, दूसरों की सहायता करने में उन्हें परम सुख मिलता था। साधु-सन्तों की मदद करने में उन्हें विशेष आनन्द प्राप्त होता है। ज्यादातर वे बिना पैसे लिए जूते दे दिया करते थे। उनके इस स्वभाव के कारण उनके माता-पिता उनसे दुखी रहते थे। पैसों की बात से दुखी हो कर उनके माता पिता ने रविदास तथा उनकी पत्नी को अपने घर से निकाल दिया। रविदास पड़ोस के एक इमारत में किराए का घर लेकर पत्नी के साथ रहने लगे। और अधिकतर समय संत वचन और विद्वानों के सत्संग में बिताया करते थे।

समाज में फैले भेद-भाव का करते थे विरोध

रविदास जी ने हमेशा ही भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता का प्रचार प्रसार किया। संत रविदास जी अपनी कविताओं के जरिए भी यही संदेश दिया करते थए। वह अपनी कविताओं में जनसाधारण की ब्रजभाषा का प्रयोग किया करते थे। इसके अलावा वह अपनी कविताओं में अवधि , उर्दू-फारसी, राजस्थानी, खड़ी बोली और रेख़्ता आदि का भी प्रयोग किया करते थे। उनके चालीस पद पवित्र धर्म ग्रंथ गुरुग्रंथ साहब में भी सम्मिलित किए गए। कहा जाता है कि कृष्ण भक्त मीराबाई भई उनकी शिष्य थी। कहा तो यह भी जाता है कि चित्तौड़ के राणा सांगा की पत्नी झाली रानी भई उनकी शिष्य थी। चित्तौड़ में संत रविदास की छतरी भी बनी है। वाराणसी में भी आपको संत रविदास जी का मठ और भव्य मंदिर देखने को मिलेगा।
समाज में फैले भेदभाव, छुआछूत का वह जमकर विरोध करते थे, जीवनभर उन्होंने लोगों को अमीर-गरीब हर व्यक्ति के प्रति एक समान भावना रखने की सीख दी। उनका मानना था कि हर व्यक्ति को भगवान ने बनाया है, इसलिए सभी को एक समान ही समझा जाना चाहिए। वह लोगों को एक दूसरे से प्रेम और इज्जत करने की सीख दिया करते थे।

रविदास पर गुरु नानक देव का प्रभाव

अधिकांश विद्वानों का मानना है कि रविदास सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक से मिले थे और उनसे बहुत ज्यादा प्रभावित थे। वह सिख धर्मग्रंथों में पूजनीय हैं, इसलिए रविदास की 41 कविताओं को सिख धर्मग्रंथ में शामिल किया गया है। ये कविताएं उनके विचारों और साहित्यिक कृतियों के सबसे पुराने प्रमाणित स्रोतों में से एक हैं। 1693 में रविदास की मृत्यु के 170 साल बाद रचित इस पाठ को भारतीय धार्मिक परंपरा के सत्रह संतों में से एक के रूप में शामिल किया गया है। 17 वीं सदी के नाभादास के भक्तमाल और अनंतदास के पारसी दोनों में रविदास पर अध्याय हैं। इसके अलावा, सिख परंपरा के ग्रंथ और हिंदू दादुपंथी परंपराएं, रविदास के जीवन के बारे में अधिकांश अन्य लिखित स्रोत, जिनमें रविदासी (रविदास के अनुयायी) शामिल हैं।

रविदास जी का साहित्य साधना

पीटर फ्रीडलैंडर कहते हैं कि रविदास की जीवनी, हालांकि उनकी मृत्यु के लंबे समय बाद लिखी गई। इनका साहित्य, भारतीय समाज के भीतर के संघर्ष को दर्शाता है, जहां रविदास का जीवन विभिन्न प्रकार के सामाजिक और आध्यात्मिक विषयों को व्यक्त करने का साधन देता है। एक स्तर पर, यह तत्कालीन प्रचलित विधर्मी समुदायों और रूढ़िवादी ब्राह्मणवादी परंपरा के बीच संघर्ष को दर्शाता है। वे एक समाज सुधारक थे। उन्होंने कई भक्ति और सामाजिक संदेशों को अपने लेखन के जरिए अनुनायियों, समुदाय और समाज के लोगों के लिए ईश्वर के प्रति प्रेम भाव को दर्शाया। संत रविदास को आज भी लोग याद करते हैं।

जात-पात के अंतर को दूर किया

लोगों का कहना है कि संत रविदास जी बड़े परोपकारी थे। उन्होंने समाज में जातिगत भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता पर बल दिया और भक्ति भावना से पूरे समाज को एकता के सूत्र में बाधने के लिए सदा कार्य किया. संत रविदास की शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।

रविदास जी से मीरा को बताया भक्ति का मार्ग

संत रविदास ने अपना जीवन प्रभु की भक्ति और सत्संग में बिताया था. वह बचपन से ही प्रभू की भक्ति में लीन रहते थे। उनकी प्रतिभा को जानकर स्वामी रानानंद ने उन्हें अपना शिष्य बनाया। मान्यता है कि कृष्ण भक्त मीराबाई भी संत रविदास की शिष्या थीं। कहते हैं कि मीराबाई को संत रविदास से ही प्रेरणा मिली थी और फिर उन्होंने भक्ति के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया। मीराबाई के एक पद में उनके गुरु का जिक्र मिलता है – ‘गुरु मिलिआ संत गुरु रविदास जी, दीन्ही ज्ञान की गुटकी.’‘मीरा सत गुरु देव की करै वंदा आस.जिन चेतन आतम कहया धन भगवन रैदास..’

रविदास का लोकप्रिय उक्ति ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’

कहते हैं कि संत रविदास का जन्म चर्मकार कुल में हुआ था, वह जूते बनाने का काम करते थे। उन्होंने कभी जात-पात का अंतर नहीं किया। जो भी संत या फकीर उनके द्वार आता वह बिना पैसे लिए उसे हाथों से बने जूते पहनाते। वह हर काम पूरे मन और लगन से करते थे। फिर चाहे वह जूते बनाना हो या संत की भक्ति। उनका कहना था कि शुद्ध मन और निष्ठा के साथ किए काम का अच्छा परिणाम मिलता है। ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ – रविदास जी का ये कथन सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, इस कथन में रविदास जी ने कहा है कि कार्य अगर पवित्र मन से किया जाए ये तीर्थ करने के समान मना गया है।

तेल्हाड़ा थाना के केशोपुर गांव में खाना बनाने के दौरान घर मे आग लगा।

तेल्हाड़ा थाना क्षेत्र इलाके के केशोपुर गांव में चुल्हे पर खाना बनाने के दौरान निकली चिंगारी से घर मे आग लगा।इस आगलगी की घटना में करीब 60 की नुकसान की बात सामने आ रही है। आग बुझा रहे हैं अग्निशमन कर्मियों ने बताया जाता है कि सुरेश गोप के घर में खाना बनाने के दौरान चूल्हे से निकली चिंगारी कारण ल घर में आग लग गया।

इस अगलगी की घटना में खाने पीने के सामान अनाज कपड़े 2 हजार रुपए समेत 60 हजार की नुकसान की बात सामने आ रही है। घटना की जानकारी मिलते ही थानाध्यक्ष के पहल पर अग्निशमन की टीम मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पा लिया। वही इस घटना में एक वृद्ध महिला भी मामूली रूप से झुलस गई है। इस घटना में घरवालों ने बताया कि आग लगने के कारण घर के अंदर 60 हजार रुपए और खाने पीने और अनाज जलकर राख हो गया।

दिव्यांग कल्याण समिति के द्वारा मोगलकुआँ में शिविर का आयोजन किया गया।

ईश्वर दिव्यांग कल्याण समिति के द्वारा मोगलकुआँ इलाके में एक शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर के दौरान ईश्वर दिव्यांग कल्याण समिति के नए कार्यालय का भी उद्घाटन नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने फीता काटकर किया। इस दौरान नालंदा सांसद के द्वारा 1 दर्जन से अधिक दिव्यांगजनो के बीच यूनिक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम के मौके पर नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि यह कार्ड भारत सरकार के द्वारा दिव्यांगजनों के लिए बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इस कार्ड के बारे में दिव्यांग जनों को जानकारी दी जा रही है। इस कार्ड के माध्यम से ही भारत सरकार ज्यादा सरकार की योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यूनिक डिसेबिलिटी कार्ड के द्वारा दिव्यांगता की दक्षता पता चलता है और उसे उसी दक्षता के हिसाब से सरकार की योजनाओं का लाभ मिलता है। दिव्यांगजनों को यूनिक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड बन जाने से उनके साथ निशक्त पेंशन को लेकर किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।

प्रशांत किशोर ने गोपालगंज में कहां कि आपका लड़का नहीं पढ़ रहा है

 

प्रशांत किशोर ने गोपालगंज में जनसभा को संबोधित करते हुए कहां कि आपका लड़का नहीं पढ़ रहा है, आपके घर के लोग बाहर मजदूरी कर रहे हैं। आपके लोग पढ़-लिखकर घर बैठे हुए हैं, और आपको उसकी चिंता ही नहीं है। देखिए लालू जी का लड़का दसवां पास नहीं किया है, तब भी लालू जी को चिंता है कि उनका लड़का मुख्यमंत्री बने, इसमें कोई दिक्कत नहीं है कि लालू जी को अपने लड़के की चिंता है।

दिक्कत इस बात से है कि आपका लड़का 10वां पास कर लिया, BA-MA कर लिया और उसको चपरासी की भी नौकरी नहीं मिल रही है, और आपको कोई चिंता ही नहीं है। उन्होंने जनता से कहा कि आप लोग जाति और धर्म के नशे में खोए हुए हैं। अगर चिंता होती तो वोट उसको देते जो आपके लड़कों की पढ़ाई की व्यवस्था करता। प्रशांत किशोर ने जनता से सवाल पूछते हुए कहा कि आप को वोट किस मुद्दे पर देना चाहिए, 5 किलो अनाज पर या बच्चों की पढ़ाई पर?

अखिल भारतीय रविदासिया धर्म के द्वारा छेेका रोका हुआ संपन्न।

इस्लामपुर:- नालंदा जिला के इस्लामपुर प्रखंड मोहनचक गांव में अखिल भारतीय रविदासिया धर्म के द्वारा छेेका रोका किया गया। छेका का विधि अखिल भारतीय रविदासिया धर्म के जिला अध्यक्ष महंत बलराम दास द्वारा किया गया एवं उनके द्वारा संत रविदास जी का चित्र लड़का को भेंट की गई इस अवसर पर लड़की पक्ष एवं लड़का पक्ष के उपस्थित लोगों ने वर(लड़का) को आशीर्वाद दिए और उनके लिए आगे दिनों के लिए शुभ मंगल की कामना किए।

इस मौके पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष रामदेव चौधरी संजीवन रविदास प्रकाश कुमार शिवम कुमार अमरजीत कुमार रजनीश कुमार सौरभ कुमार डेनियल कुमार सुनील रविदास रामविलास रविदास इंद्रदेव रविदास संदीप कुमार दीपक कुमार शंकर कुमार अजीत कुमार सिहासन कुमार आदि लोग उपस्थित थे।