वित्तीय वर्ष में उत्कृष्ट कार्य के लिए नालंदा मंडल को किया गया सम्मानित..
नालंदा डाक मंडल के लिए वित्तीय वर्ष 2024- 25 काफी यादगार रहा I नालंदा विश्वविद्यालय राजगीर के परिसर में बिहार सर्किल के द्वारा आयोजित समीक्षात्मक बैठक का सम्मान समारोह में आदरणीय डाक अधीक्षक नालंदा श्री कुंदन कुमार को उत्कृष्ट कार्य करने के लिए माननीय चीफ पोस्टमास्टर जनरल बिहार परिमंडल पटना के द्वारा शाल एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। राजगीर में आयोजित समारोह में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले डाक अधीक्षक और डाक निरीक्षक को बिहार सर्किल पटना के माननीय मुख्य डाक महाअध्यक्ष मोजफ्फर उद्दीन अब्दाली ने शाल एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में निदेशक डाक सेवाएं मुख्यालय श्री पवन कुमार, महाप्रबंधक वित्त विभाग पटना के ए. आई हैदरी , डाक महाध्यक्ष उत्तरी प्रक्षेप मुजफ्फरपुर श्री पवन कुमार सिंह, डाक महाध्यक्ष पूर्वी प्रक्षेत्र भागलपुर, श्री मनोज कुमार सहित अन्य अधिकारी की उपस्थिति में पुरस्कार प्रदान किया गया। वित्तीय वर्ष में नालंदा मंडल द्वारा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 104% का अचीवमेंट खाता खोलने में प्राप्त किया, जिसके लिए नालंदा मंडल को सम्मानित किया गयाI इस सम्मान समारोह में नालंदा मंडल के सहायक डाक अधीक्षक श्री मनोज कुमार,परिवाद निरीक्षक अभिषेक कुमार, डाक निरीक्षक दक्षिणी रामाशीष कुमार,पूर्वी डाक निरीक्षक रणजीत कुमार रजक, केंद्रीय डाक निरीक्षक विवेक रॉय , पश्चिमी डाक निरीक्षक इंद्रेश विक्रांत सहित बिहार सर्कल के कई पदाधिकारी मौजूद थे। इस मौके पर डाक अधीक्षक नालंदा ने कहा कि ये सम्मान नालंदा डाक परिवार के मेहनत और कर्मचारियों की लगन पूर्वक कार्य करने का परिणाम है, आने वाले वित्तीय वर्षों में नालंदा मंडल इससे भी बेहतर प्रदर्शन करने का कार्य करेगा। श्री कुमार ने कहा कि इस वर्ष डाक मंडल नालंदा का लक्ष्य है कि गांव गांव तक ‘हर घर डाकघर खाता’ से जोड़ना है एवं पोस्टऑफिस की हर स्कीम का लाभ एवं सेवाएं लोगो और भी बेहतर तरीके से मिल सके ऐसी व्यवस्था करने के लिए डाक विभाग कटिबद्ध एवं तत्पर रहेगा। इस सम्मान से नालंदा मंडल के सभी डाक कर्मी गौरवान्वित है एवं लोगो को बेहतर से बेहतर सुविधाएं मिल सके ऐसी कोशिश जारी रहेगी।
सूवे का हो रहे न्याय के साथ विकास मांडल का देश में बज रहा डंका :- मंत्री श्रवण कुमार।
वेन प्रखंड के आंट पंचायत में विभिन्न योजनाओं का 1.ग्राम माडी में 8 लाख की राशि से बी एस सी से मेन रोड तक मिटटी भराई एवं ईट सोलिंग कार्य।
2.ग्राम महम्मदपुर में 9 लाख 95 हजार की राशि उमेश सिंह के बोरिंग से लेकर सांसी नदी तक मिटटी भराई ईट सोलिंग कार्य का।
3.ग्राम महम्मदपुर में 9 लाख 90 हजार 500 सौ की राशि से रामजी मुखिया के बोरिंग से तरणी सिंह सिंह के खेत तक मिटटी भराई ईट सोलिंग।
4.ग्राम महमदपुर में 9 लाख 91 हजार की राशि से टाल कोना से उमेश सिंह के खेत तक मिटटी भराई ईट सोलिंग कार्य का।
5.वेन प्रखंड के ग्राम पंचायत राज आट के ग्राम बड़ी आट के हाई स्कूल के प्रांगण में 8 लाख 45 हजार 200 सौ की राशि से मिटटी भराई फैबर ब्लॉक कार्य का उद्घाटन
6. ग्राम बड़ी आट पैमार नदी पुराना छिलका के छठ घाट में 6 लाख की राशि सीढ़ी निर्माण कार्य का शिलान्यास। क्षेत्रीय विधायक सह बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के द्वारा किया गया।इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बिहार में हुए न्याय के साथ विकास और सुशासन मांडल आज देश के लिए अनुकरणीय मांडल है विकास के क्षेत्र में बिहार आज अग्रणी राज्य की भूमिका में हैं।नौ लाख युवाओं को नौकरी देने का काम हमारी सरकार ने किया 35 लाख लोगों को रोजगार से जोड़ा गया है हमारी सरकार ने स्वावलंबन को प्रोत्साहित करती है राज्य में गरीब परिवारों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ‘बिहार लघु उद्यमी योजना’ के तहत 2 लाख रुपए तक की सहायता कर रही है।राज्य की महिलाएं आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में नित अग्रसर हैं।
मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना के अंतर्गत राज्य की महिला उद्यमियों को 5 लाख रुपए तक का ब्याजमुक्त ऋण मिल रहा है। अब बिहार की महिलाएं उद्यम में भी अपना नाम रोशन कर रही हैं।बिहार की जनता विश्वास को चुनेगी, नीतीश सरकार के कामों के प्रति जनता का विश्वास अडिग है। 2025 में फिर से प्रचंड बहुमत से नीतीश जी की सरकार बनेगी।राज्य में सबके पक्के घर का सपना पूरा हो रहा है प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लिए 4,148 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है।राज्य के युवाओं को स्किल्ड बनाकर स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में सरकार कार्य कर रही है।
उद्योग विभाग की ओर से राज्य के युवाओं को 18 परंपरागत कलाओं का प्रशिक्षण मिल रहा है
प्रशिक्षणार्थियों को 2500 रुपए तक की छात्रवृत्ति के साथ रहने एवं खाने की सुविधा भी मुफ़्त मिल रही है।।इस अवसर पर प्रखंड प्रमुख रंजू देवी जदयू प्रखंड अध्यक्ष अरविंद पटेल जदयू प्रवक्ता डॉ धनंजय कुमार देव पंचायत समिति रूबी देवी सोनम सोनाली लक्ष्मण प्रसाद धुरी रविदास रामानुज सिंह अरविंद पासवान अर्णव आर्या बिन्दु चौधरी संजय चौधरी शैलेन्द्र प्रसाद जीतू कुशवाहा वेचन प्रसाद लल्लू चौधरी अनिल कुमार कुन्नू प्रसाद सन्टू महतो सोनू सिंह अभय सिंह छोटू मोची विरेन्द्र प्रसाद ललन सिंह अयोध्या पासवान ओमप्रकाश सिंह उमेश सिंह शक्ति सिंह सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
हम अपने आरक्षण और सत्ता में भागीदारी ले कर रहेंगे – अनिता
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सिलाव- असल मे हमारी जाति पान है और हमारा टाइटल नेम ताती, तत्वा है इसलिए जब तक हमें हमारा आरक्षण वापस नहीं लौटता है तब तक ये लड़ाई जारी रहेगा। हम अपने आरक्षण और सत्ता में भागीदारी ले कर रहेंगे। इसके लिए मुझे अगर कुर्बानी भी देना पड़ेगा तो हम देने के लिए तैयार हैं उक्त बाते अखिल भारतीय पान महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिता गुप्ता ने मोरा, और नेपुरा गांव मे अपने सम्बोधन मे पान समाज के लोगो को बिच कहा उन्होंने कहा कि सचमुच में 75 वर्षों से तांती,ततवां समाज गुलामी की जिंदगी जी रहा है । हाँको रथ हम पान है के सूत्रधार इंजीनियर आईपी गुप्ता अपने तांती, ततवां समाज की अपनी पार्टी बनाने का जो सोच बनाया है निश्चय ही वो सोच इस समाज को एक नई दिशा और दशा प्रदान करेगा । पूरा बिहार और बिहार के बाहर प्रदेश के लोग भी आपके साथ है । करो या मरो पर गांधी मैदान भरो, 13 अप्रैल 2025 , गांधी मैदान, पटना की धरती पर यह रैली ऐतिहासिक होगी । मैं तो तांती,ततमा समाज के सभी नेताओ से विनम्रता पूर्वक आग्रह करती हूं कि आप आईपी गुप्ता के लोकप्रियता से ईर्ष्या मत कीजिए और 13 अप्रैल को गांधी मैदान पटना में आयोजित रैली का हिस्सा बनिए , गांधी मैदान में आकर चुपचाप खड़े हो जाइए और अपना समाज के द्वारा बनाए पार्टी पर गर्व कीजिए।
मौके पर उपस्थित साहेब तांती ने कहा कि जो काम हमारे समाज के पूर्वजों ने नहीं कर पाया केवल दूसरे पार्टियों का झंडा ढोने और दरी बिछाने काम करता रहा । आज तक राजनीतिक पार्टियों ने अपने समाज को लोकसभा तो छोड़िए विधानसभा चुनाव में भी एक टिकट देने का काम नहीं किया है, हमारे समाज के छुटभैय्ए नेता हमेशा दूसरे जातियों के नेताओं को फूल माला पहनाने और फूलों का गुलदस्ता भेंट करने के लिए घंटों सड़को पर और हवाई अड्डे के बाहर इंतजार करते रहते हैं । केवल एक फोटो साथ में खींचवा कर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं । आज वह सोच बदल रहा है । हमारे समाज का भी एक राजनैतिक पार्टी बनेगी तभी दुसरा राजनीतिक पार्टी इस समाज को सम्मान से देखने का काम करेगा । इसलिए दुसरे पार्टी की गुलामी से मुक्त हो जाइए । इस माध्यम से मैं अपने समाज के लोगों से विनम्र निवेदन करता हूं कि इस ऐतिहासिक रैली में होकर आप भी इतिहास का हिस्सा बनिए । इस अवसर पर उपस्थित पान समाज के लोगो ने जो विभिन्न पार्टियो की सदस्य्ता ग्रहण किये हुए थे उन्होंने अपने अपने पार्टी और पद से इस्तीफा देने का काम किया तथा उनका इस्तीफा सभी दलों के प्रदेश अध्यक्ष के कार्यालय मे डाक के माध्यम से भेजा जाएगा।
मौके पर जिला युवा अध्यक्ष रमेश कुमार पान, नितीश कुमार, धीरज कुमार, गौतम तांती, पिंकी देवी, पुतुल देवी, दुर्गा प्रसाद तांती, मोती लाल तांती, गणेश कुमार, जीतेन्द्र कुमार पान, संजय तांती, नारायण तांती, बलराम कुमार तांती,चलितर तांती, सतेंद्र तांती, नेहा देवी, परशुराम तांती, नरेश तांती सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
चैती महाकाली पूजा को लेकर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, ● चैती महाकाली माता के दर्शन मात्र से ही सुख की अनुभूति होती है
सोहसराय 5 अप्रैल 2025 : सोहसराय बबुरबन्ना-मिल्की मोड़ पर स्थित मशहूर मां महाकाली मंदिर में चैती नवरात्र को लेकर 30 मार्च रविवार को कलश स्थापना के साथ प्रतिदिन विशेष- पूजा अर्चना किया जा रहा है। चैती नवरात्र को लेकर भक्तों में काफी उत्साह है। मां महाकाली मंदिर में चैत्र नवरात्र को लेकर विशेष सुंदर रूप से सजाया गया है। रविवार से ही महानवमी तक प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना किया जा रहा है। इसकी तैयारी मंदिर के संस्थापक पुजारी दिलीप धर्मदास एवं ग्रामीणों के द्वारा किया गया है।
बिहारशरीफ शहर से दूर पंचाने नदी के तट पर शांत वातावरण में स्थित मां महाकाली मंदिर में पहुंचकर लोगों को बहुत शांति मिलती है। माता के दर्शन मात्र से ही सुख की अनुभूति होती है। श्रद्धालु जो भी मां काली से मन्नत मांगते हैं, वह पूरी होती है, और बड़ी संख्या में प्रतिदिन श्रद्धालु पहुंचते हैं। काली मंदिर हाईवे मार्ग के बगल पर है, जिससे राहगीर यहां रुककर माता के दर्शन कर गंतव्य की ओर कूच करते हैं। देवी मंदिर राष्ट्रीय राज्य मार्ग 20 के बगल में होने के कारण अन्य प्रदेशों में भी प्रसिद्ध हैं। यह महाकाली मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। निर्मल मन एवं श्रद्धा के साथ मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। मंदिर में स्थापित मनमोहक महाकाली की दशकंध मूर्ति आकर्षण का केन्द्र हैं। हजारों श्रद्धालु मेले में पहुंचकर मां महाकाली के दर्शन कर माता को नारियल, चुनरी, श्रृंगार व प्रसाद चढ़ाते हैं।
सोहसराय सहोखर के संत दिलीप धर्मदास ने कई प्रदेशों में मंदिर का निर्माण कराया है। बिहारशरीफ शहर में भी तीन मंदिर का निर्माण करवाया है। जिनमें सोहसराय के बंधुबाजार में दुर्गा मंदिर, सोहसराय योग पार्क के पास दुर्गा और हनुमान मंदिर तथा बबुरबन्ना-मिल्की मोड़ पर आकर्षक महाकाली मंदिर का निर्माण करवाया।
महाकाली मंदिर के पुजारी संत दिलीप धर्मदास ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी चैत्र नवरात्रि को लेकर क्षेत्र में मशहूर महाकाली मंदिर में महाकाली की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही माता महाकाली को सप्तमी, अष्टमी और महानवमी को महाभोग की व्यवस्था की गई है। पहला चैती नवरात्र के पहला पूजा से ही महाकाली मंदिर में प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना किया जा रहा है। प्रतिदिन सुबह और संध्या सात बजे आरती और पुष्पांजलि किया जाता है। इसमें भारी संख्या में भक्तगण शामिल होते हैं। मंदिर में शहर के साथ-साथ दूरदराज से श्रद्धालु यहां पूजा करने पहुंचते हैं। शारदीय व चैत्र नवरात्र में यहां प्रतिदिन विशेष पूजा होती है।
माता महाकाली की विशेष पूजा के अवसर पर शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने बताया कि यह सनातनी कैलेंडर का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को विशेष तौर पर मनाया जाता है। सनातनी धर्मशास्त्रों में इस बात का जिक्र है कि इस दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी का पर्व मनाया जाता है। सनातनी शास्त्रों के मुताबिक त्रेतायुग में दशकंध रावण का वध करने तथा धर्म की पुन: स्थापना करने के लिये भगवान विष्णु ने भूलोक में श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। श्रीरामचन्द्र का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, अयोध्या में राजा दशरथ के घर में हुआ था। इसी उमंग में राम नवमी के दिन देश भर में राम जन्मोत्सव का त्योहार रामनवमी मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस बबुरबन्ना-मिल्की मोड़ पर महाकाली की प्रत्येक वर्ष धूमधाम से महाकाली के भक्तों द्वारा पूजा संपन्न किया जाता है। पूजा में बगल के ग्राम वासियों का सहयोग रहता है। लोगों ने अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर विभिन्न प्रकार के दान मंदिर में चढ़ाते हैं। साथ ही भक्त लोग मन्नत भी मांगते हैं।
इस महाकाली की विशेष पूजा के अवसर पर मुख्य रुप से भाई सरदार भाई वीर सिंह, साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, वायु सेना के वारंट अफसर अरविंद कुमार गुप्ता, भक्त सर्वश्री निकेश कुमार, विजय कुमार पासवान, सुरेश प्रसाद, संटू सिंह, शुभम कुमार सिंह, गौतम कुमार सिंह, गौरव सिंह सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
आज दिनांक 31. 03. 2025 को कामरेड डीके मुखर्जी की 12वीं पुण्यतिथि तिथि रंजीत कुमार सिन्हा के आवास पर दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक रिटायरीज असोसिएशन क्षेत्र बिहार शरीफ के तरफ से मनाया गया
उपस्थित साथियों ने ग्रामीण बैंक के मसीहा स्व.डी के मुखर्जी के साथ अपनी अपनी यादों की चर्चा की तथा उनके अमूल्य योगदान को याद किया l सेवानिवृत्ति साथियों ने उनके द्वारा किए गए प्रयासों के फल स्वरुप आज की बेहतर स्थिति के लिए उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की l
सभी रिटायरीज सदस्यों ने एक सुर में कहा कि आज दादा डी के मुखर्जी के कारण ही हम लोग का पे सेटलमेंट हुआ और कमर्शियल बैंक के बराबर हर सुबिधा को प्राप्त किया l आज उन्हीं की जुझारू शक्ति के कारण और हर लड़ाई लड़कर हम लोग को आज पेंशन मिलना चालू हो गया और कमर्शियल बैंक के बराबर ग्रामीण बैंक भी एक मजबूत स्तम्भ बन कर खड़ा हो गया
उक्त कार्यक्रम में रिटायरीज संगठन के अध्यक्ष कामता प्रसाद सिंह, सचिव लक्ष्मण प्रसाद, सूर्यमणि प्रसाद, अरविंद कुमार, भागीरथ कुमार, महेश कुमार सिन्हा,रंजीत कुमार सिन्हा,दिनेश प्रसाद, राकेश कुमार,वीरेंद्र कुमार,विपिन कुमार के अलावा अन्य सेवानिवृत्ति साथियों ने भाग लिया l
चैत्र नवरात्र पर्व एवं वासंतिक नवरात्र पर विशेष : ●नवरात्रि दो ऋतुओं के संधिकाल के समय मनाई जाती है ●भारत ही नहीं बल्कि विश्व के सभी सनातनी चैत्र नवरात्र पर्व मनाते हैं
राकेश बिहारी शर्मा- 30 मार्च 2025 रविवार को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है जिसे हम हिंदू नववर्ष या फिर चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिवस कहते हैं। आज से 9 दिनों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। नवरात्रि का पर्व भारत तक की सीमित नहीं है बल्कि दुनिया के अलग-अलग देश भी इसे मनाते हैं। भारत के अलावे कई देशों में दुर्गा पूजा श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। भारतीय पंचांग के अनुसार चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्रि एक महत्वपूर्ण सनातनी हिंदू त्योहार है जो देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करके मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है। चैत्र नवरात्रि रविवार 30 मार्च 2025 से शुरू होकर 6 अप्रैल तक मनाई जाएगी।
विक्रम संवत के प्रथम दिवस अर्थात चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमीं तिथि तक मनाये जाने वाला हिंदुओं का प्रमुख पर्व नवरात्र है। इसे बासन्तीय नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। भगवत पुराण के अनुसार चार नवरात्र शारदीय और चैत्र नवरात्र एवं दो गुप्त नवरात्र होते हैं।
वर्षभर में नवरात्र दो बार आते हैं। नवरात्र में नौ देवियों की पूजा का विशेष महत्व है। यह पर्व शक्ति साधना का पर्व कहलाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से जिस समय नवरात्र आते हैं वह काल संक्रमण काल कहलाता है। शारदीय नवरात्र के अवसर पर जहां शीत ऋतु का आरम्भ होता है। वहीं वासंतिक नवरात्र पर ग्रीष्म ऋतु शुरू होती है। दोनों ही समय वातावरण में विशेष परिवर्तन होता है। जिसमें अनेक प्रकार की बीमारियां होने की संभावना रहती है। उपवास के माध्यम से शरीर के बढ़े हुए या कम हुए तापमान को नियंत्रित कर शुद्ध आचार-विचार, आहार के द्वारा नई ऊर्जा प्राप्त करते हैं। ऐसा करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है।
भारतीय संस्कृति में चैत्र नवरात्रि का महत्व :
चैत्र नवरात्रि सनातनी धर्म में बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। यह नवरात्रि वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी माना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो शक्ति, साहस, और समृद्धि का प्रतीक हैं। भारतीय पंचांग के अनुसार चैत्र माह की प्रतिपदा को हिंदू नववर्ष और मराठा नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। इसे गुड़ी पड़वा कहा जाता है। गुड़ी पड़वा का अर्थ है “गुड़ी” (झंडा) और “पड़वा” (चंद्र पखवाड़े का पहला दिन)। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल गुड़ी पड़वा भी इसी दिन मतलब 30 मार्च 2025 को है।
सनातन संस्कृति में समस्त त्योहार ज्योतिषीय गणना के अनुसार ही तय तिथियों में प्रारंभ होते हैं। इन सभी की गणना देश में प्रचलित सौर मास एवं चांद्रमास के अनुसार ही होती है। चंद्रमा एवं सूर्य की गति के अनुसार इन सभी त्योहारों की अंग्रेजी तिथि निरंतर बदलती रहती है। चंद्रमा का राशि चलन नक्षत्रों के अनुसार ही होता है।
मां दुर्गा के नौ रूप :
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। ये रूप हैं: 1. शैलपुत्री, 2. ब्रह्मचारिणी, 3. चंद्रघंटा, 4. कुष्मांडा, 5. स्कंदमाता, 6. कात्यायनी, 7. कालरात्रि, 8. महागौरी, 9. सिद्धिदात्री हैं। इस प्रकार नवदुर्गा के नौ स्वरूप,धरती पर स्त्री के जीवन के नौ प्रतिबिंब है।नवरात्रि में प्रतिपदा तिथि को उत्तम मुहूर्त में समस्त देवी- देवता, तीर्थस्थल एवं नदियों के प्रतीक स्वरूप कलश की स्थापना के साथ उनका आह्वान कर उन्हें आसन और अर्ध्य दिया जाता है। किसी भी मंगल कार्य को कलश स्थापना के साथ शुरू करने से सुख-समृद्धि, धन-धान्य में वृद्धि होती है। शेष दिन षोडशोपचार से पूजन किया जाता है। अखण्ड दीप प्रज्ज्वलित की जाती है। जौ बोया जाता है। शास्त्रों के अनुसार जौ को सृष्टि की पहली फसल माना जाता है। मान्यता है कि कलश के नीचे जौ बोने से सुख,समृद्धि, सौभाग्य में वृद्धि होती है।
चैत्र नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व :
चैत्र नवरात्रि न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह आध्यात्मिक जागरण का भी समय है। इस दौरान भक्त मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए तपस्या और साधना करते हैं। यह समय आत्मशुद्धि और आत्मविकास के लिए भी उपयुक्त माना जाता है। समाज में नारी के महत्व को प्रदर्शित करने वाला यह पर्व हमारी संस्कृति एवं परंपरा का प्रतीक है। मां ही आद्यशक्ति हैं। सर्वगुणों का आधार। राम-कृष्ण, गौतम, कणाद आदि ऋषि-मुनियों, वीर-वीरांगनाओं की जननी हैं। नारी इस सृष्टि और प्रकृति की ‘जननी’ है। नारी के बिना तो सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। प्रत्येक व्यक्ति जीवनभर या पूरे वर्षभर में जो भी कार्य करते-करते थक जाते हैं तो इससे मुक्त होने के लिए इन नौ दिनों में शरीर की शुद्धि, मन की शुद्धि और बुद्धि में शुद्धि आ जाए, सत्व शुद्धि हो जाए; इस तरह के शुद्धीकरण करने का, पवित्र होने का पर्व है यह नवरात्र। नवरात्र का उत्सव बुराइयों से दूर रहने का प्रतीक है। यह लोगों को जीवन में उचित एवं पवित्र कार्य करने और सदाचार अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इस पर्व पर सकारात्मक दिशा में कार्य करने पर मंथन करना चाहिए, ताकि समाज में सद्भाव के वातावरण का निर्माण हो सके। नवरात्र काल आहार की शुद्धि के साथ मंत्र की उपासना का काल है। चैत्र नवरात्र का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्व है। नवरात्र देवी भगवती की उपासना के माध्यम से आत्मिक शक्ति, मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने का एक अलभ्य अवसर होता है। इस कालखंड में आहार-विहार का संयम व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और आंतरिक शक्तियों को जाग्रत करने का कार्य करता है। देवी दुर्गा इच्छा, ज्ञान और क्रिया शक्ति की प्रतीक हैं। वह संपूर्ण ब्रह्मांड की आधारभूत और क्रियात्मक शक्ति के रूप में आराधित होती हैं।
बांग्लादेश में दुर्गा पूजा :
दुर्गा पूजा बांग्लादेश के बंगाली और गैर बंगाली सनातनी समुदायों द्वारा आम तौर पर मनाई जाती है कई बंगाली मुसलमान भी उत्सव में हिस्सा लेते हैं ढाका में ढाश्वरी मंदिर की पूजा भक्तों को आकर्षित करती है वहीं नेपाल में इस उत्सव को दशैन के रूप में मनाया जाता है इस तरह से नवरात्र का त्यौहार शक्ति के नौ रूपों की आराधना का उत्सव है।
नेपाल में दुर्गा पूजा :
हमारे पड़ोसी देश नेपाल में भी नवरात्र धूमधाम से मनाए जाते हैं। यहां इस उत्सव को दशैन के नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार नेपाल में पूरे 15 दिनों तक चलता है। यह नेपाल के सबसे प्रमुख धार्मिक त्यौहारों में से एक है। इस पर्व में पूरे परिवार के लोग एकत्रित होकर पूजा समारोह आयोजित करते हैं। यहां दुर्गापूजा को ‘दशैं’ के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू देश नेपाल में इसे दस दिनों तक मनाया जाता है। यह देश भी इस त्यौहार को भारत की तरह ही मनाता है, और उत्सव के अधिकांश पैटर्न का पालन करता है। यहां, राजा इस भव्य 10-दिवसीय त्यौहार के दौरान एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यहां भी लोग अपने काम से छुट्टी लेकर अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं। इसके साथ सभी सार्वजनिक संस्थान, स्कूल और कॉलेज बंद रहते हैं और बसें नहीं चलती हैं।
एशिया के कई देशों में भी मनाई जाती है नवरात्रि :
दिलचस्प बात ये है, कि दुर्गा पूजा या दशहरा, सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है। नवरात्र ना केवल भारत बल्कि दुनिया में भी उतना ही प्रसिद्ध है जितना हमारे देश में। दुनिया भर के विभिन्न बागानों और खदानों में औपनिवेशिक काल के दौरान गिरमिटिया नौकरों के रूप में प्रवास करने वाले हिंदू प्रवासी और साथ ही वे लोग जो अपने दम पर प्रवास कर गए थे। उन्होंने अपने नवरात्री परंपराओं को मनाना जारी रखा उदाहरण के लिए मलेशिया सिंगापुर थाईलैंड और श्रीलंका में हिंदुओं ने 19वीं शताब्दी में दक्षिण पूर्व एशिया में हिंदू मंदिरों का निर्माण किया और नवरात्रि उनके प्रमुख पारंपरिक त्यौहारों में से एक रहा।
यूनाइटेड किंगडम में दुर्गा पूजा :
आज भी त्रिनिदाद और बे को गुयाना सूरी नामा फिजी मॉरिशस कनाडा दक्षिण अफ्रीका संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में नवरात्रि लगभग 20वीं शताब्दी के मध्य से स्थानीय हिंदू समुदायों के सबसे प्रमुख उत्सवों में से एक है। दुर्गा पूजा यहां रहने वाले भारतीय समुदाय द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। कई आयोजक देवी दुर्गा की मूर्तियां आयात करते हैं और इस अवसर को सबसे प्रामाणिक बंगाली तरीके से मनाते हैं। यह समय लोगों को एक-दूसरे से जुड़ने और इस दौरान प्यार और एकता को दर्शाते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में दुर्गा पूजा :
अमेरिका में दुर्गा पूजा बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाई जाती है, क्योंकि वहां बड़ी संख्या में बंगाली भारतीय रहते हैं। इस 5 दिवसीय उत्सव का आयोजन यहां 1970 में शुरू हुआ था। यहां लोग इकट्ठा होते हैं, मिलते हैं, अभिवादन करते हैं और जश्न मनाने के लिए एक साथ समय बिताते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में मनाई जाती है दुर्गा पूजा :
इस देश में रिकॉर्ड के अनुसार, दुर्गा पूजा की शुरुआत 1974 में न्यू साउथ वेल्स के 12 परिवारों की ओर से की गई थी। अब यह ऑस्ट्रेलिया के सभी प्रमुख शहरों में मनाई जाती है। सिडनी में, बहुत सारे बंगाली अप्रवासी और भारतीय प्रवासी के अन्य सदस्य पूजा के पहले दिन इकट्ठा होते हैं और आगे के उत्सवों की तैयारी करते हैं।
दुर्गा पूजा का वैज्ञानिक महत्व :
नवरात्रि दो ऋतुओं के संधिकाल के समय मनाई जाती है। इस समय व्रत, पूजा-पाठ, स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है जिससे शरीर का शुद्धिकरण होता है। व्रत करने से शरीर का विषाक्त पदार्थ निकल जाता है। जिससे शरीर निरोगी और स्वस्थ रहता है। ध्यान, योग, तप भक्ति की साधना, संयम से मानसिक शांति मिलती है। सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।तामसी वस्तुओं का त्याग, खान- पान में शुद्धता से शरीर तनाव मुक्त होता है। मौसम के संक्रमण से रक्षा होती है।
राज्य सरकार के खजाने पर आपदा पीड़ित परिवारों का है पहला हक: मंत्री श्रवण कुमार।
बिहार शरीफ प्रखंड के ग्राम पंचायत राज्य डुमरावां के डुमरावां गांव में सड़क दुघर्टना में मृतक महर्षि वर्मा के आश्रित चिन्ता देवी एवं मृतक श्रवण कुमार के आश्रित अर्चना देवी को राज्य सरकार के द्वारा प्रदत्त सहायता राशि का चेक क्षेत्रीय विधायक सह बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के द्वारा प्रदान किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के खजाने पर आपका पीड़ित परिवारों का पहला हक बनता है। आपदा पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद सरकार के द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने मृतक के परिजनों को सांत्वना दी धैर्य और हिम्मत से काम लेने की बात कही।भगवान से दिवंगतों की आत्मा को श्रीचरणों में स्थान देने की प्रार्थना की हर संभव मदद का आश्वासन दिया।राज सरकार के द्वारा प्रदत्त सहायता राशि का चेक प्रदान कर बाल संरक्षण इकाई के पदाधिकारी को निर्देशित करते हुए राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही घर के मुखिया की मृत्यु हो जाने के पश्चात उनके बच्चों के भरन पोषण एवं पढ़ाई लिखाई हेतु प्रति माह ₹5000 की राशि उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। आपदा पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद राज सरकार के द्वारा दिया जा रहा है। बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा कहा करते हैं राज्य सरकार के खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ित परिवारों का है। मृतक आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करें। इस अवसर पर पूर्व विधान पार्षद राजू यादव प्रखंड विकास पदाधिकारी मनीष कुमार जदयू प्रवक्ता डॉ धनंजय कुमार देव जदयू नेता त्रिनयन कुमार सचिन पटेल प्रखंड अध्यक्ष संजय कुशवाहा ललन कुशवाहा मनोज यादव टुन्नी कुशवाहा ननकू महतो संजीत पटेल इंदू चौहान धर्मेन्द्र यादव दिनेश साव संजीत पटेल उपेन्द्र दिलवाला मनोज कुमार वर्मा संजय कुमार मुन्ना महतो शिवालक प्र नंदकिशोर प्र पिन्टू कुमार कालिया कु अरूण कुमार प्रशांत कुमार सोनू कुशवाहा सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
इंटरनेशनल यूथ फेस्टिवल में भाग लेने पहुंचे दीपक भाई
नालंदा ।गुजरात में 19 से 22 मार्च तक आयोजित इंटरनेशनल यूथ पीस हार्मोनी आर्ट एंड कल्चरल फेस्टिवल में भाग लेने के लिए नालंदा के दीपक भाई पहुंचे है ।ग्लोबल पीस फाउंडेशन ऑफ इंडिया के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय युवा शांति सद्भावना कला एवं सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन गुजरात के धोलका में किया गया है ।इस फेस्टिवल के मुख्य आयोजक भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा युवा पुरस्कार से सम्मानित पंकज झाला है ।कार्यक्रम में देश भर के युवाओं के साथ साथ श्री लंका,इंडोनेशिया सहित देश के युवा प्रतिनिधि पहुंचे है ।
ज्ञात हो कि फेस्टिवल में ध्वजबंदन कार्यक्रम ,श्रम संस्कार , लैंग्वेज क्लास ,सहित समस्त देश सहित श्री लंका और इंडोनेशिया की सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की जाएगी ।इसके माध्यम से राष्ट्रीय एकता और अखंडता ,शांति , सद्भावना एवं भाईचारा को मजबूत करने का संदेश दिया जाएगा ।ज्ञात हो कि समाजसेवी दीपक कुमार डॉ.सुब्बाराव के संदेश को लेकर लगातार पूरे देश में कार्य कर रहे है । इस तरह के रचनात्मक कार्यक्रम से युवाओं में नेतृत्व क्षमता और व्यक्तित्व विकास होता है ।
युगपुरुष शहीद भगत सिंह की 94 वीं शहीद दिवस पर विशेष :
● सम्पूर्ण देशवासियों को भगत सिंह की शहादत पर गर्व रहेगा ● आज से 94 वर्ष पहले अंग्रेजी हुकूमत ने छल से भगत सिंह को साथियों सहित फांसी दे दी थी
राकेश बिहारी शर्मा—भगतसिंह 23 वर्ष की छोटी सी उम्र में ही युगपुरुष बन गए। अपने बलिदान से क्रांति के प्रतीक बनकर देश भर के युवकों को एक दिशा दे गए इतिहास में एक बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत कर गए। अपने रक्त से स्वतंत्रता के वृक्ष को सींचकर ऐसा मजबूत बना गए कि फिर क्रांति को रोकना अंग्रेज सरकारके बस की बात न रही। भले ही वे स्वयं अपनी आंखो से स्वतंत्र भारत को न देख सके, लेकिन उनका अनुपम बलिदान इतिहास की धरोहर बन गया। आज भी जब हम इन्कलाब जिंदाबाद का नारा सुनते हैं तो भगत सिंह हमारे दिल-दिमाग पर छा जाते हैं।
हमारी भारत भूमि वीरों की भूमि रही है। इस भूमि में ऐसे वीरों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने देश एवं समाज के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। ऐसे वीर शिरोमणियों में से एक अमर क्रांतिकारी वीर थे- शहीद भगत सिंह’, जिन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों का बलिदान हंसते-हंसते दे दिया। देश के इस महान् क्रांतिकारी ने न केवल फांसी को गले लगाया, वरन् अन्य नवयुवकों को भी राष्ट्रीयता का ऐसा अजस्त्र प्रेरणा-स्त्रोत दिया कि उनके पीछे-पीछे वे भी आजादी की लड़ाई में अपना सब कुछ कुरबान करने हेतु कूद पड़े। इतनी कम अवस्था में अंग्रेजों के नाकों दम भरने वाले इस क्रांतिकारी सिक्ख का नाम विश्व के इतिहास में सदा अमर रहेगा। आज हम जिस आजादी के साथ सुख-चैन की जिन्दगी गुजार रहे हैं, वह असंख्य जाने-अनजाने देशभक्त शूरवीर क्रांतिकारियों के असीम त्याग, बलिदान एवं शहादतों की नींव पर खड़ी है। ऐसे ही अमर क्रांतिकारियों में शहीद भगत सिंह शामिल थे, जिनका नाम लेने मात्र से ही सीना गर्व एवं गौरव से चौड़ा हो जाता है। इस देश के शहीद न तो हिन्दू थे, न मुस्लिम थे, न सिख थे, न ईसाई थे, न अगड़े थे, न पिछड़े थे, न दलित थे न ही अन्य किसी जाति या धर्म के थे। उनकी एक ही पहचान थी उनका ‘भारतीय’ होना। उनका एक ही परिवार था–‘भारत’। उनका एक ही उद्देश्य था–‘भारत माता की आज़ादी-रक्षा’। उनका एक ही सपना था–‘भारत माता का सम्मान पूरा विश्व करे’। वो भारत माता की सच्ची संतानें अपने इस पहचान, परिवार, उद्देश्य एवं सपने के लिए शहीद हो गए लेकिन हमने क्या किया ? आज हमारे बीच ऐसे कितने लोग हैं जो अपने दिल पर हाथ रखकर ये बोल सकते हैं की उन्होंने एक भी ऐसा काम सच्चे दिल के साथ किया जिस से की इन शहीदों की कुर्बानी व्यर्थ साबित न हो ? हर साल 23 मार्च को तीन शहीदों की याद में शहीदी दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि हम भगत सिंह बन पाएं या ना बन पाएं, लेकिन भगत सिंह जैसा देश प्रेम, देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा जरूर लोगों के दिलों में हो।
जन्म व शिक्षा-दीक्षा एवं राजनीति में सक्रियता
अमर शहीद भगत सिंह का जन्म 27 सितम्बर 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर के बंगा गांव में हुआ था। उनके पिता किशन सिंह एवं छोटे चाचा स्वर्ण सिंह भी आजादी की लड़ाई लड़ने वाले गर्म दल के क्रांतिकारी नेताओं में गिने जाते थे। अंग्रेजों ने उन्हें कितनी ही बार जेल में कैद रखा। छोटे चाचा स्वर्ण सिंह की मृत्यु तो जेल की अमानुषिक यातनाओं को सहने के कारण हुई थी। उनकी माता का नाम विद्यावती था। भगत सिंह का परिवार एक आर्य-समाजी सिख परिवार था। भगत सिंह करतार सिंह सराभा और लाला लाजपत राय से अत्याधिक प्रभावित रहे। परिवार में आजादी के इन परवानों के बीच पले-बढ़े भगत सिंह को राष्ट्रीयता-राष्ट्रप्रेम की शिक्षा वहीं से मिली।
परिवार से मिले थे क्रांतिकारी के संस्कार
उनके एक चाचा, सरदार अजित सिंह ने भारतीय देशभक्त संघ की स्थापना की थी। उनके एक मित्र सैयद हैदर रजा ने उनका अच्छा समर्थन किया और चिनाब नहर कॉलोनी बिल के खिलाफ किसानों को आयोजित किया। अजित सिंह के खिलाफ 22 मामले दर्ज हो चुके थे जिसके कारण वो ईरान पलायन के लिए मजबूर हो गए। उनके परिवार ग़दर पार्टी के समर्थक थे और इसी कारण से बचपन से ही भगत सिंह के दिल में देश भक्ति की भावना उत्पन्न हो गयी। भगत सिंह ने अपनी 5वीं तक की पढाई गांव में की और उसके बाद उनके पिता किशन सिंह ने 1916-17 में दयानंद एंग्लो वैदिक हाई स्कूल (डी०ए०वी० स्कूल) लाहौर में उनका दाखिला करवाया। यहां उनकी राष्ट्रीयता की भावना को काफी बल मिला। नवमीं कक्षा तक पहुंचते-पहुंचते उनका परिचय आचार्य जुगल किशोर, भाई परमानन्द, श्री जयचन्द्र विद्यालंकार जैसे क्रांतिकारियों से हुआ। कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ वे क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने लगे। विदेशी वस्त्रों की होली जलाना, रोलेट एक्ट का विरोध जैसी गतिविधियों में भाग लिया। सन् 1919 के जालियांवाला बाग हत्याकाण्ड से उनका खून खौल उठा। दूसरे दिन जाकर वहां की खून से सनी मिट्टी ले आये। सन् 1923 में जब उन्होंने एफ०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली, तो उनके विवाह की तैयारियां की जाने लगीं। मातृभूमि की राह में शहादत देने का संकल्प कर चुके भला इस क्रांतिकारी को जीवन के इन सुख-भोगों से क्या मतलब था? चुपचाप घर छोड़कर लाहौर से सीधे कानपुर पहुंचे। वहां के क्रांतिकारी जोगेशचन्द्र चटर्जी, सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य के सम्पर्क में आये। उन्होंने इस सिक्ख क्रांतिकारी की पहचान छिपाने के लिए उन्हें ‘प्रताप प्रेस’ में पत्रकार के रूप में काम पर लगा दिया। इसके साथ-साथ उनकी क्रांतिकारी गतिविधियां चलती रहीं। श्री गणेश शंकर विद्यार्थी, श्री बटुकेश्वर दत्त से उनका परिचय हुआ। इसी बीच उन्होंने नवयुवकों में क्रांति की भावना जागृत करने के लिए नौजवान सभा का गठन किया। यहां पर अंग्रेजों द्वारा पहचान लिये जाने की आशंका से ग्रसित होकर वे कुछ समय के लिए दिल्ली चले आये। यहां पर उन्होंने दैनिक अर्जुन में काम किया।
राजनीति में सक्रिय प्रवेश एवं उनके क्रांतिकारी कार्य
भगत सिंह का राजनीति में सक्रिय प्रवेश 1925 में हुआ। 9 अगस्त 1922 को लखनऊ स्टेशन से 12 कि०मी० की दूरी पर काकोरी रेलवे स्टेशन पर जब क्रांतिकारियों ने अंग्रेज सरकार के सरकारी खजाने को लूटा, तो रामप्रसाद बिस्मिल और गेंदालाल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खां पकड़े गये। रोशन अशफाक उल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल को फांसी दे दी गयी। चन्द्रशेखर आजाद ने उनकी फांसी की सजा को रद्द करने के लिए नेहरू एवं गांधीजी से भी सहयोग मांगा था। क्रांतिकारियों के दल को पुनः संगठित करने के लिए चन्द्रशेखर आजाद भगत सिंह से मिले। बम, पिस्तौल आदि चलाना अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार एकत्र करने वाले इन क्रांतिकारियों से सरकार खौफ खाने लगी थी। 25 जुलाई 1927 को भगत सिंह दल के प्रचार-प्रसार हेतु अमृतसर पहुंचे, तो पुलिसवालों को पीछा करते देखकर एक वकील के घर जा छिपे। अपनी पिस्तौल वहीं छिपा दी। किन्तु उन पर अंग्रेज सरकार ने दशहरे के जुलूस पर बम फेंकने का झूठा आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया, ताकि उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों पर नियंत्रण लगाया जा सके। 15 दिनों की शारीरिक और मानसिक यन्त्रणाओं के बीच मजिस्ट्रेट ने उन पर संगीन आरोप लगाकर 40,000 की जमानत राशि (उस समय की सबसे बड़ी रकम थी) की मांग की। दो देशभक्त नागरिकों ने उस समय उनकी सहायता की। इसी बीच भगत सिंह डेयरी चलाने की आड़ में क्रांति साधना में पुनः जुट गये। सन् 1928 को उन्होंने इलाहाबाद से “चांद” तथा “विप्लव यज्ञ की आहुतियां’ शीर्षक से भारतीय क्रांतिकारियों के चित्र व चरित्र संग्रहित किये। इसी के साथ भगत सिंह ने अपने क्रांतिकारी दल का पुनर्गठन एवं नवीनीकरण कर सितम्बर 1928 की 8 तारीख को गुप्त बैठक कर “हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोशियन” का गठन किया। दल का पुनर्गठन कर कुछ क्रांतिकारियों के साथ बनाये गये संगठन को नाम दिया – “हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी” जिसका सेनापति बनाया गया- चन्द्रशेखर आजाद को इन सब क्रांतिकारी गतिविधियों के बीच सन् 1928 को साइमन कमीशन बम्बई पहुंचा, तो उसका जमकर विरोध हुआ। 30 अक्टूबर 1928 को जब साइमन कमीशन लाहौर पहुंचा, तो लाला लाजपत राय के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन करने वाले इस दल पर साण्डर्स ने लाठियां बरसाना शुरू कर दिया। लाल लाजपत राय की इस हमले से मृत्यु हो गयी। इस घटना से क्षुब्ध होकर भगत सिंह ने साण्डर्स से बदला लेने की ठानी। इस काम में राजगुरु, सुखदेव, आजाद के साथ वे साण्डर्स को मारकर सफाई से भाग निकले। दूसरे दिन लाल स्याही से छपे पोस्टर पर उन्होंने “अंग्रेज सावधान हो जाओ” चिपकवा दिया। सम्पूर्ण देश में भगत सिंह और उनके दल की सराहना हो रही थी। अपने पीछे पड़ी पुलिस को छकाने के लिए उन्होंने सुन्दर कोट, पैंट, हैट के साथ ऊंची सैण्डल में उनकी सुन्दर सी पत्नी बनी क्रांतिकारी भगवत चरण की बहू दुर्गा भाभी के साथ गोद में ढाई साल का बेटा लिये भाग निकले। उनके पीछे फर्स्ट क्लास के डिब्बे में नौकर बने राजगुरु चल रहे थे। कलकत्ता में आकर भगत सिंह बंगाली का वेश धारण करके निकलते थे। यहां रहकर उन्होंने बम बनाना सीखा। वहां से वे दिल्ली पहुंचे। यहां की केन्द्रीय असेम्बली में बम फेंकना निश्चित हुआ। इस कार्य का बीड़ा उठाया स्वयं भगत सिंह एवं उनके साथी बटुकेश्वर दत्त ने 18 अप्रैल 1929 को असेम्बली में बम फेंककर उन्होंने नारा लगाया- “इकलाब जिन्दाबाद, अंग्रेज साम्राज्यवाद का नाश हो।” अंग्रेज सरकार ने उनको गिरफ्तार कर लिया। 12 जून 1929 को सेशन जज ने धारा 307 के तहत उन पर विस्फोटक पदार्थ रखने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा मान्य की। इसी बीच सुखदेव को फांसी की सजा दे दी गयी। विभिन्न अदालतों में की गयी अपीलों पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
भगत सिंह एक अच्छे वक्ता एवं लेखक भी थे
भगत सिंह एक अच्छे वक्ता, पाठक व लेखक भी थे। उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखा व संपादन भी किया। उनकी मुख्य कृतियां हैं, “मैं नास्तिक क्यों हूँ?” ‘एक शहीद की जेल नोटबुक (संपादन: भूपेंद्र हूजा), सरदार भगत सिंह : पत्र और दस्तावेज (संकलन : वीरेंद्र संधू), भगत सिंह के संपूर्ण दस्तावेज (संपादक: चमन लाल)।
आज से ठिक 94 वर्ष पहले यानि 23 मार्च, 1931 शाम के 7:30 बजे अंग्रेजी हुकूमत ने छल से भगत सिंह, शिवराम हरिनारायण राजगुरु और सुखदेव थापर को फांसी दे दी थी। आजादी के परवाने “मेरा रंग दे बसंती चोला” कहते हुए फांसी पर झूल गये। ब्रिटिश सरकार ने उनकी देह को सतलुज किनारे जला दिया। अंग्रेजों ने भगत सिंह और उनके साथियों को तो मार दिया लेकिन आजादी की अलख करोड़ों हिन्दुस्तानियों के दिलों में जगा गए। सम्पूर्ण देशवासियों को भगत सिंह की शहादत पर गर्व रहेगा। भगत सिंह चाहते, तो देश से बाहर रहकर काम करते, किन्तु उन्होंने स्वेच्छा से बलिदान का रास्ता चुना। उनका मानना था कि जीवन की सार्थकता देश-सेवा, समाज सेवा में है। सारा भारतवर्ष युगों-युगों तक उन्हें याद करता रहेगा। उनके चरित्र तथा आदर्शों से प्रेरणा लेता रहेगा। धन्य है भगतसिंह का बलिदान।
प्रशांत किशोर ने महिला दिवस पर किया बड़ा ऐलान, बोले – विधानसभा चुनाव में कम से कम 40 महिला प्रत्याशियों को जन सुराज से चुनाव लड़ाया जाएगा
सारण: जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने महिला दिवस पर ऐलान किया कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में कम से कम 40 महिला प्रत्याशियों को चुनाव में उतारेगी। उन्होंने इसे बिहार में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने का महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने यह भी कहा कि संभव है कि हर लोकसभा क्षेत्र से एक महिला प्रत्याशी चुनाव लड़े।
PK ने डोमिसाइल नीति पर तेजस्वी को घेरा, बोले – जब महा-विद्वान तेजस्वी यादव नीतीश कुमार की सरकार में उप-मुख्यमंत्री थे तब डोमिसाइल नीति क्यों नहीं लागू किया
PK ने डोमिसाइल नीति को लेकर तेजस्वी यादव पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, जब तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री थे, तब डोमिसाइल नीति क्यों नहीं लागू की गई? शिक्षक बहाली के दौरान शिक्षा मंत्री आपकी पार्टी के ही थे, तब 60% बाहरी लोगों को नौकरी मिली, लेकिन तब कोई विरोध नहीं हुआ। लेकिन अब ये विधानसभा में हंगामा कर रहें हैं।