बिहार शरीफ सालूगंज हिंदू मान्यता अनुसार चैत्र नवरात्रि से ही नव संवत्सर हिंदुओं का नया साल हो जाता है इस बार के संवत्सर राजा बुध वह मंत्री शुक्र होंगे इस बार मां भगवती दुर्गा नाव पर सवार होकर आ रही है इसलिए शस्त्रमतानुसार इस साल वर्षा भी बहुत अधिक होने वाली है वह इस बार सूर्य का तापमान भी तेज रहने वाला है नवरात्रि में मां नव दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है इस पावन पर्व में हिंदुओं का महत्वपूर्ण नवदुर्गा और कलश स्थापना किया जाता है जिसका महत्वपूर्ण विशेष माना गया है
हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त अनुसार की करने के बाद मां शैलपुत्री की आराधना करने का विधान है हालांकि प्रथम दिन के अलावा चैत्र नवरात्रि की सप्तमी महा अष्टमी महा नवमी का विशेष महत्व रहता है विश्व विख्यात है अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बिहार शरीफ श्री के नगर इकाई सह मंत्री पण्डित सनातन उपाध्याय जी ने बताया कि इस शैलपुत्री मां का पहला दिन होता है और इस दिन से नवरात्रि पर पर्व का आरंभ माना गया है सनातन धर्म की माने तो किसी भी शुभ कार्य के लिए कलश स्थापना करना शुभ माना जाता है और इसी कलश को शास्त्रों में मूल में ब्रह्मा सुख मुख्य में विष्णु कंठ में शिव वह सारे पवित्र तीर्थों का बास बताया गया है
इसीलिए हर पूजा या मंगल कार्य की शुरुआत सर्वप्रथम गणेश जी का वंदना व कलश स्थापना से की जाती है जिसके कलश की स्थापना पूरे विधि-विधान अनुसार करने के पश्चात ही कोई भी कार्य किया जाता है बुधवार से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है ऐसे में मां की सवारी नाव पर आएगी नाव पर का आना भी गंभीर माना जाता है दृष्टि से देवी भागवत पुराण के अनुसार जब भी नवरात्रि पर मानव की सवारी कर आती है तो प्राकृतिक व राजनीतिक सता आदि पर देखने को मिलता है जिसके कारण युद्ध आंधी तूफान जैसे प्राकृतिक आपदाएं आती है ऐसे में इस दौरान पूजा कलश करते समय व्यक्ति को रक्षा करने की भी प्रार्थना करते हैं सनातन जी ने कहा चैत्र नवरात्रि शक्ति उपासना का महापर्व है वह हिंदुओं का नव पर भी
इस दिल से प्रारंभ हो जाता है 9 दिनों तक अलग-अलग माताओं का विभिन्न पूजा उपचारों से पूजन किया जाता है अलग-अलग तरह के व्यंजनों में मां का भोग चढ़ाया जाता है तथा अखंड साधना व्रत उपवास दुर्गाष्टमी पाठ संपूर्ण पाठ मंत्र जाप करने का शास्त्रों का विधान है और अष्टमी वह नवमी को हवन तत्व सात नौ कन्याओं का पूजन करने अनुष्ठान के साथ किया जाता है इसे करने से मां भगवती सब भक्तों से प्रसन्न होते हैं