भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व महा प्रबंधक श्याम किशोर अग्रवाल की पुस्तक ….और नदी फिर बहने लगी का लोकार्पण एवं कवि सम्मेलन में आमंत्रित किये गए थे देश भर से चुनिंदा कवि
पवन संग, नदिया बहो रि धीरे-धीरे!
स्वच्छ है मन नहीं, वातावरण नहीं,
माया खड़ी तीरे-तीरे….
पवन संग, नदिया बहो री धीरे-धीरे….” गीत को नालंदा के कवि संजीव कुमार मुकेश ने सुनाया ‘परियाला फोर्ट’ का सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मौका था भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व महा प्रबंधक की नई पुस्तक
“और…नदी फिर बहने लगी” के लोकार्पण के अवसर पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का।
पुस्तक के लोकार्पण समारोह में देश के कुछ सुप्रसिद्ध चुनिंदा कवियों की उपस्थिति और प्रस्तुति ने श्रोताओं के बीच सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया। इस कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालक राष्ट्र स्तरीय कवि दिनेश देवघरिया ने अपने कुशल शब्द संयोजन एवं ओजस्वी वाणी से कार्यक्रम को मनमोहक बना दिया। बतौर अथिति/श्रोता पटियाला के चुनिंदा साहित्य प्रेमियों को ही आमंत्रित किया गया ताकि कोविड 19 के दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए संख्या और सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा जा सके।
पूर्व निदेशक, एनजेडसीसी, भारत सरकार, प्रो. सौभाग्य वर्द्धन बृहस्पति इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे और पटियाला के प्रमुख समाजसेवी एवं वर्द्धमान महावीर हॉस्पिटल, पटियाला के निदेशक श्री सौरभ जैन जी, विशिष्ट अतिथि। वर्ष 2020 में साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित पटियाला के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. महेश गौतम इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे और यह कार्यक्रम अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ, पंजाब के सचिव के सानिध्य में सम्पन्न हुआ।
भारतीय स्टेट बैंक के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं नगर के प्रतिष्ठित लोगों की उपस्थिति में कार्यक्रम के प्रथम सत्र का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं माँ सरस्वती की प्रतिमा पर सुमन अर्पित कर किया गया। मुख्य अतिथि एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति में करकल ध्वनि के मध्य पुस्तक का लोकार्पण हुआ जिसकी समीक्षा करते हुए डॉ. महेश गौतम ने कहा कि लेखक ने अपने शब्दों से ऐसा सम्मोहन उत्पन्न किया है कि पाठक बिना रूके अंत तक पुस्तक पढ़ने को विवश हो जाता है । मुख्य अतिथि प्रो. सौभाग्य वर्द्धन एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. सौरभ जैन ने कहानी की भूरी भूरी प्रशंसा की और पुस्तक के अपार सफलता की कामना की । अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ, पंजाब के सचिव श्री राजीव सरहिंदी ने कहा बैंक में कार्य करते हुए साहित्य के प्रति श्री अग्रवाल जी का ऐसा समर्पण अद्भुत और अनुकरणीय है । पुस्तक के लेखक श्री अग्रवाल जी ने अपने बैंकिंग सफर की चुनौतियों के दौरान मन में उठती साहित्य की हिलोरे एवं हिंदी साहित्य के प्रति अपने अनुराग को याद करते हुए कुछ खट्टी मिट्ठी बातें की और इस पुस्तक को विश्व हिंदी साहित्य और हिंदी पाठकों को समर्पित किया ।
देश के तमाम राष्ट्रीय चैनलों पर प्रस्तुति दे चुके पटियाला के कवि दिनेश देवघरिया के अद्भुत संचालन और देश के सुप्रसिद्ध कवियों को एक मंच पर देख दूसरे सत्र का कवि सम्मेलन प्रारंभ होने से पूर्व ही अपनी सफलता सुनिश्चित कर चुका था। दिनेश देवघरिया की पंक्ति “अंधियारे को दिन लिखूँ, न उजियारे को रात लिखूँगा। सच की सच्चाई लिखूँगा, सच्चाई के साथ लिखूँगा।” पर पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा ।
अंतर्राष्ट्रीय मंचों तक हिंदी कविता का गौरव बढ़ाने वाले फरीदाबाद के श्री दिनेश रघुवंशी ने एक के बाद एक छंदों की रिमझिम बरसात कर दी –
“समझना तुम न चाहोगे बताना हम से मुश्किल है
कभी सोचा नहीं था तँत्र अपना इतना संगदिल है
तुम्हारा तो पसीना भी लगा हो बूंद भर शायद
नया भारत बनाने में लहू अपना ही शामिल है”
तमाम राष्ट्रीय चैनलों सहित देश भर के काव्यमंचों पर अपनी उपस्तिथि रखने वाली कवयित्री आगरा की डॉ. रुचि चतुर्वेदी ने अपनी मधुर आवाज का ऐसा जादू चलाया की सभागार वृंदावन सा पावन हो गया –
“गीत मल्हार के आप गा दीजिए,
तो ये सावन भी सावन सा हो जाएगा।
प्रेम तुलसी सजायी हृदय आँगना,
आप आयें तो पावन सा हो जाएगा।”
हरियाणवी हास्य का सुप्रसिद्ध युवा नाम गुरूग्राम से श्री सुंदर कटारिया ने लॉकडाउन के अनुभव को हास्य में परिवर्तित कर सभी को खूब हंसाया –
“अब पत्नी के शब्द चुटीले नही तीर से लगते हैं
बासी चावल दूध डालकर मस्त खीर से लगते हैं।
पति सभी जो खोट निकाला करते भींड्डी तोरी में
अपने हाथ के जले भुने टिंड्डे पनीर से लगते हैं।”
बहुत ही कम समय में राष्ट्रीय कवि मंचों और राष्ट्रीय चैनलों पर अपनी अलग पहचान बनाने वाले ज्ञान की धरा नालंदा, बिहार के युवा स्वर श्री संजीव कुमार मुकेश ने गीत “पवन संग, नदिया बहो रि धीरे-धीरे!
स्वच्छ है मन नहीं, वातावरण नहीं, माया खड़ी तीरे-तीरे
पवन संग, नदिया बहो री धीरे-धीरे..” गाया तो सारा सदन तालियों की गूंज से गूँजायमान हो उठा और प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय कवि दिनेश रघुवंशी ने खड़े होकर तालियां बजायी और माला पहनाया।
फतेहगढ़ साहिब से प्रि. पंकज कौशिक ने कहा-
“सच को सच कहना भी आखिर, जुल्म बडा है दुनिया में ।
झूठा बंदा हँसकर सीना, तान अड़ा है दुनिया में ।।
जो मिट्टी का पुतला है, और फिर मिट्टी हो जाना है ।
वो दौलत को सब कुछ अपना, मान खड़ा है दुनिया में ।।”
पटियाला से प्रसिद्ध गजलकार श्री हरिदत्त हबीब की गज़ल
“हुई रफ्तार कितनी तेज़ देखो इस ज़माने की
चलो कोशिश करें हम टूटते रिश्ते बचाने की
झुकाओ सर अगर तुम रोज़ अपनी मां के क़दमों में
ज़रुरत फिर नहीं रहती कहीं भी सर झुकाने की” ने समां बांध दिया।
सभी अतिथि कवियों को अंग वस्त्रम, स्मृति चिन्ह एवं पौधा से लेखक श्याम किशोर अग्रवाल और उनकी धर्म पत्नी सुधा अग्रवाल द्वारा सम्मनित किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु श्रीमती सुधा अग्रवाल ने सभी अतिथियों एवं कवियों का आभार व्यक्त किया और बताया की यह उनके पति की पहली पुस्तक है, लेकिन श्री अग्रवाल के अन्तर्मन में कई कहानियाँ पुस्तक रुप लेने हेतु प्रतीक्षारत हैं। उन्होंने कहा इस कवि सम्मेलन का आनंद कार्यक्रम के डिजिटल पार्टनर – डिजिटल खिड़की के माध्यम से वे सभी लोग भी ले सकते हैं जो कोविड 19 के निर्देशों के कारण सम्मिलित नहीं हो पाए।