गुरुवार को नालन्दा कॉलेज के छात्रों ने जिला प्रशासन के ख़िलाफ़ उग्र प्रदर्शन किया। छात्र कॉलेज को पंचायत चुनाव के लिए जिला प्रशासन द्वारा अधिग्रहण किए जाने का विरोध कर रहे थे। ज्ञात हो की नालन्दा कॉलेज को हर साल जिला प्रशासन अधिगृहीत कर लोक सभा और विधान सभा चुनाव सम्पन्न कराती रही है लेकिन इस बार पंचायत चुनाव को लेकर भी पूरे कॉलेज को अधिगृहीत कर तोड़ फोड़ की जा रही है। जिससे छात्र समुदाय परेशान हैं की कॉलेज में कम से कम 6 महीने के लिए पढ़ाई के साथ साथ सभी कार्य बंद हो जाएँगे। इस बारे में प्रिंस पटेल ने कहा की छात्र पिछले एक हफ़्ते से ज्ञापन और प्रार्थना पत्र देकर जिला प्रशासन से अनुरोध कर रही है की वह वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में जल्द बताए लेकिन प्रशासन बहरी होकर बैठी हुई है और उसे छात्रों के उचित माँग भी समझ नहीं आ रही है। सुमन्त पटेल ने कहा की अभी छात्र समुदाय सांकेतिक विरोध करते हुए कॉलेज गेट तक पहुँची है। प्रशासन और देर करेगी तब छात्रों में रोष बढ़ेगा और वे ज़्यादा संगठित होकर उग्र प्रदर्शन के लिए विवश होंगे।
चन्द्रमणि पटेल ने जिला प्रशासन के रवैय्ये पर प्रश्न खड़े करते हुए कहा की प्रशासन में बैठे हुए लोग बिल्कुल ही असंवेदनशील प्रतीत होते हैं क्यूँकि छात्रों की माँग को वो समझ तक नहीं पा रहे हैं। उनको प्रशिक्षण के दौरान यह सिखाया जाता है की समाज को बेहतर बनाना है तो हर वर्ग के प्रति संवेदनशील होना होता है लेकिन यह बहरी प्रशासन को केवल अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करना होता है इसलिए चुनाव करवाना ही इनके लिए एकमात्र काम रह गया है। छात्रों ने कॉलेज परिसर से लेकर गेट तक रैली निकाली और गेट पर घंटों प्रदर्शन किए। कुछ दिन पहले ही छात्र संगठनों ने जिलाधिकारी को और शिक्षा मंत्री को इससे सम्बंधित पत्र सौंप चुके हैं। उन्होंने 3-4 दिनों में निर्णय लेने की बात कही थी लेकिन 7 दिन बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं किया जा रहा। छात्रों की पढ़ाई बंद है, कमरों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है जिससे छात्रों में असमंजस की स्थिति है की आख़िर अब उनका क्या होगा, पढ़ाई कब शुरू होगी, प्रायोगिक परीक्षाएँ का क्या होगा, कॉलेज से कोई प्रमाणपत्र निकालना होगा तो वह क्या करेंगे। सभी छात्रों का मानना है की आगे भी कॉलेज को मुक्त करने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं और संगठित होकर प्रशासन के ख़िलाफ़ लम्बा आंदोलन करने के लिए योजना बना रहे हैं।