Tuesday, December 24, 2024
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शहादत दिवस पर याद किए गए शहीद मंसूर आलम,शहीद मंसूर आलम के नाम पर हिरण्य पर्वत पर मंसूर नगर मोहल्ला का नाम रखा गया ● शहीद मंसूर आलम सामाजिक सौहार्द और सामाजिक न्याय के ध्वजवाहक थे

बिहारशरीफ : 20 दिसम्बर 2021 सोमबार की देरशाम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बीड़ी मजदूर और बिहारशरीफ मोहल्ले के सोहडीह निवासी शहीद कॉमरेड मंसूर आलम का 72 वें शहादत दिवस समारोह राहुल भवन ‘मंसूर नगर’ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी कार्यलय परिसर में मनाया गया। समारोह की शुरूआत बीड़ी मजदूर संघ के सचिव कॉमरेड विजय कुमार पाण्डेय के द्वारा झंडोत्तोलन से की गई। झंडोत्तोलन के पश्चात राहुल भवन ‘मंसूर नगर’ परिसर में कॉमरेड विजय कुमार की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभी उपस्थित लोगों ने शहीद कॉमरेड मंसूर आलम के प्रतीक चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दिया। मौके पर साहित्यिक मंडली शंखनाद के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने शहीद मंसूर आलम के व्यक्तित्व व कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि शहीद मंसूर आलम का जन्म 4 नवम्बर 1926 को बिहारशरीफ के सोहडीह मोहल्ले में पिता मरहूम मोहम्मद अली जान व दादा मोहम्मद बुद्धन मियां के घर हुआ था। शहीद मंसूर आलम तीन भाई और 2 बहन में सबसे छोटे थे। उनके भैयों में मो. मक़बूल आलम, मो. उस्मान, सबसे छोटे मो.मंसूर आलम थे। ये सभी बीड़ी मजदूर थे। इनके दादा जी मोहम्मद बुद्धन मियां का घर नूरसराय प्रखंड के अंधन्ना गांव से पश्चिम सुल्तानपुर गांव में स्थित था। मंसूर आलम के पिता मो.अली जान अपने पैतृक गांव सुल्तानपुर से आकर बिहारशरीफ के सोहडीह मोहल्ले में अपना घर बना कर बस गए थे। उन्होंने बतायाकि बिहारशरीफ में बीड़ी मजदूर यूनियन की स्थापना 1944 ईस्वी में कलकत्ता में रह रहे उच्च स्तरीय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के केन्द्रीय कमिटी नेता वेन गांव के निवासी बीड़ी मजदूर नेता मोहम्मद यूसुफ साहब के नेतृत्व में हुआ था। बीड़ी मजदूर यूनियन के नेता सिलाव के मितमा निवासी राम खेलावन शर्मा एवं कम्यूनिस्ट नेता मो. उससुफ़, मोगलकुआँ निवासी कॉमरेड सहदेव शर्मा, सिंगार हाट निवासी कॉमरेड रामदेव राव, कॉमरेड मो.सरफुद्दीन, कॉमरेड मो. जब्बार आलम, कॉमरेड बृज नन्दन प्रसाद, कॉमरेड वकील खां सहित सैकड़ों बीड़ी मजदूरों ने जुलूस निकाला था। यह जुलूस बीड़ी मजदूरी बढ़ाने के मांग को लेकर निकाला गया था। उस समय बीड़ी मजदूर का कार्यालय बिहारशरीफ पुलपर कुमार सिनेमाघर के पास अवस्थित था। जुलूस से नाराज सामंतवादी विचारधारा के लोगों ने बीड़ी मजदूर कार्यालय में जाकर रखा दस्तावेज को छतिग्रस्त कर दिया था, जिसके चलते सामंत वादियों के विरोध में बीड़ी मजदूरों ने रोष प्रकट करते हुए 20 दिसम्बर 1949 को प्रदर्शन किया। उस प्रदर्शन में सामंतवादी के द्वारा गोली मारे जाने से बीड़ी मजदूर कॉमरेड मो.मंसूर आलम शहीद हो गए थे। मो.मंसूर आलम 20 दिसम्बर 1949 को 23 वर्ष की अवस्था में शहीद हुए थे। उनके जनाजा को भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी और बीड़ी मजदूरों के साथ शहर के सैकड़ों लोगों ने सोहडीह कबरिस्तान में सुपुरदेखाक किया। बिहारशरीफ के बड़ी पहाड़ी एवं छोटी पहाड़ी के बीच में पहाड़ी पर 1969 में कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा गरीबों को तत्कालीन कम्युनिस्ट पार्टी के प्रखर नेता कॉमरेड विजय कुमार यादव, कॉमरेड चन्द्रदेव प्रसाद हिमांशु, कॉमरेड श्रीनारायण सिंह, कॉमरेड मोहन प्रसाद एवं अन्य नेताओं के सहयोग से नया मोहल्ला बसाया गया, उस बसाए गए नये मोहल्ले को शहीद मंसूर आलम के नाम पर मंसूर नगर नामकरण किया गया। साथ ही साथ कम्युनिस्ट पार्टी बीड़ी मजदूर यूनियन का कार्यालय कबुरदिगंज बिहारशरीफ में कार्यालय का नाम शहीद मंसूर आलम के नाम पर मंसूर भवन रखा गया। शहीद मंसूर आलम के शहादत को नालंदा वासी हमेशा याद रखेंगे।शहादत दिवस पर याद किए गए शहीद मंसूर आलम,शहीद मंसूर आलम के नाम पर हिरण्य पर्वत पर मंसूर नगर मोहल्ला का नाम रखा गया  ● शहीद मंसूर आलम सामाजिक सौहार्द और सामाजिक न्याय के ध्वजवाहक थे
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रदेश नेता कॉमरेड मोहन प्रसाद ने कहा कि शहीद साथी शहीद मंसूर आलम ने किसान, बीडी मजदूर, छात्र-नौजवान, शोषित-पीडित लोगों के अधिकार की लड़ाई लड़ते हुए अपने प्राण की आहुति दे दी। शहीद साथी कॉमरेड शहीद मंसूर आलम सामाजिक सौहार्द, सामाजिक न्याय और देश की गंगा-जमुनी तहजीब के झंडावरदार (ध्वजवाहक) थे। आज केन्द्र और राज्यों में सत्तासीन सरकारें देश को नफरत की आग में झोंक रही है। ऐसे समय में सांप्रदायिक सौहार्द के अथक योद्धा की याद स्वाभाविक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रखर नेता कॉमरेड विजय कुमार ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि मरता तो हर कोई है। परन्तु जनता के दिलोदिमाग में वर्षों-बरस वही बसता है जो शोषित-पीडित जन और उसूल की बलि-वेदी पर अपना प्राण न्योछावर करता है। तमाम संवैधानिक संस्थानों की स्वायत्तता पर हमले कर अपना गुलाम बनाती जा रही है। लोकतंत्र और संविधान खतरे में है। इसलिए कॉमरेड शहीद मंसूर आलम के 72 वें शहादत के मौके पर शपथ लेने की जरूरत है कि हर हाल में हम लोकतंत्र, संविधान और अपने हक़-हकूक की रक्षा करेंगे।शहादत दिवस पर याद किए गए शहीद मंसूर आलम,शहीद मंसूर आलम के नाम पर हिरण्य पर्वत पर मंसूर नगर मोहल्ला का नाम रखा गया  ● शहीद मंसूर आलम सामाजिक सौहार्द और सामाजिक न्याय के ध्वजवाहक थे
बीड़ी मजदूर संघ के सचिव कॉमरेड विजय कुमार पाण्डेय ने शहीद मंसूर आलम को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि जो लोग यह सोचते थे कि कॉमरेड शहीद मंसूर आलम की हत्या के बाद लाल झंडा का कारवां थम जाएगा उन्हें समझ लेना चाहिए कि व्यक्ति की हत्या से विचार नहीं मरता। शहीद साथी मंसूर आलम को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए अपनी वचनबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि मैं इस मौके पर शपथ लेता हूं कि केन्द्र और राज्य की इस गरीब विरोधी सरकार के खिलाफ अंतिम सांस तक संघर्ष करूंगा। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में साहित्यिक मंडली शंखनाद के वरीय सदस्य सरदार वीर सिंह, कॉमरेड शकील अख्तर, उमेशचन्द्र शर्मा, अरुण बिहारी शरण, अनील कुमार, बच्चु पासवान, राजेन्द्र मिस्त्री, जवाहर महतो, कमला पासवान, सुरेश महतो, छोटे पासवान, रामाशीष नोनिया, दशरथ मालाकार, राजकुमार ठाकुर सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।

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