बिहारशरीफ के रहुई प्रखंड के गांव पचासा में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के तत्वाधान में दिन रविवार दिनांक 25 दिसंबर 2022 को संध्या 6:00 बजे मनु का पुतला दहन एवं मनुस्मृति की प्रतियां जलाई गई। क्योंकि इसी दिन महाराष्ट्र के महाड गांव में 25 दिसंबर 1927 को बाबासाहेब ने मनुस्मृति को जलाए थे और संदेश देने के काम किए कि 85% बहुजनों के लिए मनुस्मृति नहीं है। 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिवस के अवसर पर बिहारशरीफ के अलावे पूरे देश में मनुस्मृति जलाई गई।
उपस्थित लोगों ने पचासा गांव में स्थित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए पुष्प अर्पित किए। इस मौके पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान प्रदेश अध्यक्ष रामदेव चौधरी प्रदेश महासचिव बलराम दास ने संयुक्त रूप से कहा कि आज के दिन ही सड़ी गली व्यवस्था को यानी काले कानून को आग के हवाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने किए थे।
मनुस्मृति वो काला कानून है,जिसमें अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग को मंदिर में प्रवेश से वंचित रखना, धन संग्रह करने का अनुमति नहीं देना, शिक्षा ग्रहण ना करना,शुद्ध पानी पीने का अधिकार ना होना, उच्च जातियों द्वारा झूठे भोजन पर आश्रित रहना, गले में हंड्डी लटकाने तथा कमर में झाड़ू बांधने की अनुमति देता हो इसके अलावा दासी प्रथा, सती प्रथा, स्तन कर, बाल विवाह जैसी इन तमाम कृतियां इसमें समाहित है। बाबासाहेब ने इन तमाम कुरीतियों से भरी लिखी गई मनुस्मृति को जलाकर अनुसूचित जाति, जनजाति, अति पिछड़ा को मुक्ति देने के काम किए। वर्तमान में केंद्र के सत्ता में बैठे इन तमाम कुरीतियां से भरी मनुस्मृति को पूरे देश में लागू करना चाहते हैं और फिर से अनुसूचित जाति एवं जनजाति को गले में हंड्डी कमर में झाड़ू बांधने की तैयारी कर रही है।
आज के मनुस्मृति दहन दिवस पर उपस्थित लोगों ने शपथ लिए की मर जाएंगे, मिट जाएंगे लेकिन मनुस्मृति को देश में लागू नहीं होने देंगे।इस मौके पर उपस्थित प्रदेश उपाध्यक्ष नंदलाल रविदास, भोला पासवान, महेंद्र प्रसाद शशिकांत रविदास सुशील रविदास मिथिलेश रविदास जितेंद्र रविदास अंकुर रविदास राजकुमार रविदास बखोरी रविदास अरुणा देवी उषा देवी रीमा कुमारी मन्ती देवी मालती देवी भावना देवी श्रीदेवी सुशीला देवी मुंदरी देवी सुंदरी देवी आदि लोग उपस्थित थे।