राजगीर,17 मार्च 2024 : पर्यटन भाषाओं एवं संस्कृति का विस्तृत जानकारी का आईना है। भारत की विविधता और उसके प्रत्येक पहलू व संस्कृति को जानने के लिए पर्यटन का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। यह मनोरंजन के साथ-साथ अर्थव्यस्था के लिए प्रमुख आधार स्तम्भ के रूप में कार्य करती है। ये बातें अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति इतिहासकार डॉ. अभय कुमार सिंह विश्वविद्यालय सभागार में कही। ये बातें उन्होंने रविवार को नालंदा विश्वविद्यालय के सभागार में वरिष्ठ पत्रकार डॉ. आशुतोष कुमार आर्य की पुस्तक “भारत में पर्यटन विकास और संभावनाएं” के लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए कहीं। यह पुस्तक यशराज पब्लिकेशन,पटना के द्वारा प्रकाशित की गई है। इसमें सामान्य रूप से आलेख के माध्यम से अनछुए पहलुओं को दर्शाया गया है।
मौके पर किताब के लेखक पत्रकार डॉ. आशुतोष कुमार आर्य ने कहा कि मेरी पुस्तक में विकसित अर्थव्यस्था और पर्यटन को जोड़ने का प्रयास किया गया है क्योंकि मेरा ऐसा मानना है कि आतंकवाद और जातिवाद लोगों को बांटता है जबकि पर्यटन लोगों को जोड़ता है। सभागार में मौजूद शंखनाद साहित्यिक मंडली के अध्यक्ष व प्रदेश के प्रख्यात इतिहासज्ञ डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने शुभकामना देते हुए कहा कि जनसंख्या के दृष्टिकोण से भारत विश्व का दूसरा और राजनीतिक दृष्टिकोण से विश्व का सातवां बड़ा देश है। यहां प्राचीन काल से लेकर सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, भौगोलिक आधारों पर विभिन्नताएं पाई जाती हैं। भारत में विविधता पर्यटन के संबंध में भी सोसायटी को प्रस्तुत करती है। भारत में अनेकों ऐतिहासिक स्थल, भौगोलिक विविधताएँ, विविध विविधताएँ और प्राकृतिक उपहार उपलब्ध हैं। मूल रूप से भारत में पर्यटन के क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन हैं। उन्होंने कहा- भारत में पर्यटन उद्योग का विकास पर्यटन उद्योग के विकास के लिए पर्यटन उद्यम की आवश्यकता है।
समारोह में उपस्थित विश्वविख्यात पत्रकार अरविन्द मोहन ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र के लिए बड़े पैमाने पर आर्थिक अर्थशास्त्र का उपयोग नवीन है। आय के स्रोत के रूप में पर्यटन का अत्यधिक महत्व, रोज़गार संकट, क्षेत्रीय विकास, विदेशी और कई देशों के लिए भुगतान मुद्रा संतुलन में प्रमुख कारक कई संचय के साथ-साथ आर्थिक विकास में रुचि बनाए रखने वाले अन्य लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है।पर्यटन 20वीं सदी के सबसे बड़े वैश्विक उद्योग के रूप में खोजा गया है और 21वीं सदी में और भी तेजी से बढ़ने का अनुमान है। शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि पर्यटन नीति पर्यटन क्षेत्र को मजबूत करता है और देश में रोज़गार सृजन करता है।भारत में पर्यटन नीति की उत्पत्ति
भारत में पर्यटन योजना की शुरुआत आज़ादी के बाद हुई थी। भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता और सहयोग का प्रयास 1945 में किये गये थे। इसके बाद भारत में पर्यटन पर्यटन का विकास हुआ। उन्होंने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा कि यह पुस्तक का लोकार्पण पर्यटकों एवं पर्यटन विभाग के लिए गौरव का क्षण है।लोकार्पण समारोह में पुरातत्ववेत्ता प्रो. ओंकार प्रसाद जायसवाल,शोधार्थी दीपक कुमार, साहित्यसेवी धीरज कुमार सहित कई शोधार्थी उपस्थित थे।