Friday, January 10, 2025
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मन चंगा तो कठौती में गंगा-सन्त गुरु रविदास।

राजगीर :-  आज ही के दिन 1398 ई. में धर्म की नगरी काशी में संत रविदास जी का जन्म हुआ था। रविदास जी को रैदास जी के नाम से भी जाना जाता है। इनके माता-पिता चर्मकार थे। इन्होंने अपनी आजीविका के लिए पैतृक कार्य को अपनाया लेकिन इनके मन में भगवान की भक्ति पूर्व जन्म के पुण्य से ऐसी रची बसी थी कि, आजीविका को धन कमाने का साधन बनाने की बजाय संत सेवा का माध्यम बना लिया। उक्त बातें राजेन्द्र रविदास ने संत शिरोमणि गुरु रविदास जी की 645 वॉ जयंती के अवसर पर गांधी आश्रम के प्रांगण में कहा उन्होंने कहा कि एक दिन एक ब्राह्मण इनके द्वार आये और कहा कि गंगा स्नान करने जा रहे हैं एक जूता चाहिए। रविदास जी ने बिना पैसे लिया ब्राह्मण को एक जूता दे दिया । इसके बाद एक सुपारी ब्राह्मण को देकर कहा कि इसे मेरी ओर से गंगा मैया को दे देना। ब्राह्मण रविदास जी द्वारा दिया गया सुपारी लेकर गंगा स्नान करने चल पड़ा। गंगा स्नान करने के बाद गंगा मैया की पूजा की और जब चलने लगा तो अनमने मन से रविदास जी द्वारा दिया सुपारी गंगा में उछाल दिया। तभी एक चमत्कार हुआ गंगा मैया प्रकट हो गयीं और रविदास जी द्वारा दिया गया सुपारी अपने हाथ में ले लिया। गंगा मैया ने एक सोने का कंगन ब्राह्मण को दिया और कहा कि इसे ले जाकर रविदास को दे देना। ब्राह्मण भाव विभोर होकर रविदास जी के पास आया और बोला कि आज तक गंगा मैया की पूजा मैने की लेकिन गंगा मैया के दर्शन कभी प्राप्त नहीं हुए। लेकिन आपकी भक्ति का प्रताप ऐसा है कि गंगा मैया ने स्वयं प्रकट होकर आपकी दी हुई सुपारी को स्वीकार किया और आपको सोने का कंगन दिया है। आपकी कृपा से मुझे भी गंगा मैया के दर्शन हुए। इस बात की ख़बर पूरे काशी में फैल गयी। रविदास जी के विरोधियों ने इसे पाखंड बताया और कहा कि अगर रविदास जी सच्चे भक्त हैं तो दूसरा कंगन लाकर दिखाएं।मन चंगा तो कठौती में गंगा-सन्त गुरु रविदास।
विरोधियों के कटु वचनों को सुनकर रविदास जी भक्ति में लीन होकर भजन गाने लगे। रविदास जी चमड़ा साफ करने के लिए एक बर्तन में जल भरकर रखते थे। इस बर्तन में रखे जल से गंगा मैया प्रकट हुई और दूसरा कंगन रविदास जी को भेंट किया। रविदास जी के विरोधियों का सिर नीचा हुआ और संत रविदास जी की जय-जयकार होने लगी। इसी समय से यह दोहा प्रसिद्ध हो गया। ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा। इस अवसर पर एक झांकी निकाली गई जिसमे राजेश दास ने संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के प्रतिमा की जगह स्वयं प्रतिमा का रूप में बिराजमान थे साथ ही परम्परागत बैड बाजा, गीत संगीत के साथ-साथ घोड़े रथ भी शामिल हुए। यह झांकी दांगी टोला, निचली बाजार, मेन बाजार वर्मीज टेम्पल, जेपी चौक बस स्टैंड पटेल चौक होते हुए पुनः गांधी आश्रम में पहुँचकर समाप्त हो गया। इस झांकी में समाजसेवी गणेश गौतम, नगर परिषद के ब्रांड एम्बेसडर लोक गायक भैया अजित, समाजसेवी रमेश कुमार पान ,मनजीत प्रभाकर, प्रमोद कुमार, सुबोध रविदास, दुखन रविदास, उमाशंकर रविदास, ब्रह्मदेव दास, रामधीन दास, सरोज देवी, शैला देवी, गीता देवी, मदन दास, परमानंद प्रभाकर पूर्व वार्ड पार्षद चंदन भारती, पार्षद विकास कुशवाहा, डॉ इंगलेश, शिक्षक छोटे लाल दास, सहित सैकड़ो महिला पुरुषों ने भाग लिया।

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