Sunday, December 22, 2024
Homeधर्मशीतलाष्टमी के मौके पर पूजा अर्चना के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी...

शीतलाष्टमी के मौके पर पूजा अर्चना के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

बिहारशरीफ प्रखंड स्थित मघड़ा गांव में स्थापित विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ माता शीतला मंदिर में चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी को पूजा अर्चना करने के लिए अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई । हालांकि जिला प्रशासन द्वारा कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मेला पर पाबंदी लगा दी है। मंदिर के आसपास पूजन सामग्री, श्रृंगार, खिलौने आदि की दुकानें भी नहीं खोलने का निर्देश पंडा कमेटी को दिया गया है । मंदिर पहुंच रहे श्रद्धालुओं को पंडा कमेटी द्वारा भीड़ कम लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील लगातार की ज रही है । जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से तीन किलोमीटर दूर मघड़ा गांव में है विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ माता शीतला मंदिर।जहां चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी को भक्त मां के दरबार आते हैं । पूजा-अर्चना से पहले तालाब में स्नान करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से लोग चेचक रोग से मुक्त हो जाते हैं ।

शीतलाष्टमी के मौके पर पूजा अर्चना के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

पंडा कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सुधीर चन्द्र मिश्रा और मंदिर के पुजारी प्रभात कुमार पांडेय बताते हैं कि बहुत सालों बाद इस बार शीतलाष्टमी मेला में विशेष संयोग बन रहा है। हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन मां की विशेष पूजा की जाती है। इसके अलावा हर मंगलवार को भी मां के मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटती है। इस बार चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी सोमवार को है और उसके दूसरे ही दिन मंगलवार। इसलिए माता के दरबार में काफी सालों बाद लगातार तीन दिनों तक पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। अतिप्राचीन काल से चैत्र कृष्ण पक्ष सप्तमी के दिन मघड़ा तथा इसके आसपास के दर्जनों गांवों में बसिऔड़ा मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस बार भी इन गांवों के लोग रविवार की शाम में खाना बनाने के बाद अपने-अपने घरों की साफ-सफाई करेंगे। सोमवार यानी अष्टमी के दिन किसी घर में चूल्हे नहीं जलेंगे। रात में बनाये गये खाने को लोग बसिऔड़ा के रूप में ग्रहण करेंगे। उन्होंने बताया कि मघड़ा तथा इसके आसपास के गांवों में साल में चार बार बसिऔड़ा मनाया जाता है। पहला चैत्र कृष्ण पक्ष सप्तमी में, दूसरा वैशाख कृष्ण पक्ष सप्तमी में, तीसरा जेठ कृष्ण पक्ष सप्तमी और चौथा असाढ़ कृष्ण पक्ष सप्तमी को।

शीतलाष्टमी के मौके पर पूजा अर्चना के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

प्रभात कुमार पांडेय बताते हैं कि मान्यता है कि गांव के एक ब्राह्मण को माता ने रात में स्वप्न दी कि उनकी मूर्ति नदी के किनारे जमीन के अंदर है। उसे गांव के किसी स्थान पर स्थापित कर पूजा-अर्चना करें। इसके बाद ब्राह्मण ने नदी के किनारे स्थित एक कुएं की खुदाई कर मां शीतला की प्रतिमा को निकाला तथा उसे गांव के तालाब के बगल में स्थापित कर दिया। जिस कुएं से मां की प्रतिमा निकली थी, उसे मिट्ठी कुआं के नाम से जाना जाता है। मघड़ा के ग्रामीण बताते हैं कि मिट्ठी कुआं का पानी कभी नहीं सुखता है तथा पानी काफी मिट्ठा है। पुजारी जी बताते हैं कि जिस दिन मां की प्रतिमा कुएं से निकाली गयी थी उस दिन चैत्र कृष्ण पक्ष की सप्तमी थी तथा अष्टमी के दिन मां की प्रतिमा की स्थापना हुई थी। उसी समय से मघड़ा में मेले की शुरुआत हुई, जो अबतक जारी है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments