Wednesday, January 8, 2025
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राजगीर का ऐतिहासिक अवशेष खतरे में,कुम्भनिद्रा में सरकार

महाभारत कालीन प्राचीन राजगीर के ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के अवशेषों की उपेक्षा से राजगीर की सनातन संस्कृति का विकास हाल के दिनों मे ठप्प पड़ गया है। 33 कोटि देवी देवताओं के प्राचीन सनातन धर्म की नगरी के ऐतिहासिक धरोहरो के संरक्षण, विकास एवँ कार्ययोजना बनाने में शासन व्यवस्था नाकाम दिख रही है ऐसे हालात में सनातन धर्म से जुड़े अनुयायियों में रोष बढ़ता ही जा रहा है। प्राचीन राजगीर के वैभारगिरी पर्वत पर अवस्थित मगध सम्राट जरासंध द्वारा स्थापित महाभारत कालीन सिद्धनाथ मन्दिर की गिरती दीवारें एवँ जीर्ण शीर्ण हो रहे मन्दिर के परिसर सरकार की दूरदर्शिता के अभाव को स्पष्ट दिखा रहा है।राजगीर का ऐतिहासिक अवशेष खतरे में,कुम्भनिद्रा में सरकार

इस बाबत राजगीर के स्थानीय लोगो संजीव कुमार बिट्टू,प्रदीप मालाकार, अमित प्रकाश,निरंजन मालाकार, राहुल राजवंशी,गोलू चन्द्रवँशी,सुबोध कुमार सहित अन्य लोगो ने कहा कि मगध के प्राचीन इतिहास के अवशेषों की उपेक्षा से सनातन धर्म के अनुयायी काफी चिंतिंत है। सिद्धनाथ मन्दिर जैसे पांच हज़ार वर्ष पुराना ऐतिहासिक अवशेष की ऐसी दुर्दशा से सनातन धर्म का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है। अखिल भारतीय जरासंध अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलन सिंह चन्द्रवँशी एवँ राष्ट्रीय महासचिव श्याम किशोर भारती ने कहा कि एक तरफ राजगीर में बौद्ध धर्म, जैन धर्म,सिख धर्म, मुस्लिम धर्म के विकास में राज्य सरकार से लेकर केंद्र तक विकास की योजनाएं बना रही है,वही महाभारत कालीन ऐतिहासिक सनातन अवशेषों की उपेक्षा भी की जा रही है।राजगीर में सिद्धनाथ मन्दिर,जरासंध अखाड़ा,जरासंध चबूतरा,कृष्ण रथ निशान, जरासंध चबूतरा जैसे ऐतिहासिक, पुरातात्विक धरोहर स्थलों के सौंदर्यीकरण और विकास कर सरकार आने वाली पीढ़ियों में राजगीर के इतिहास को पुनर्जीवित रख सकती है लेकिन सरकार की मंशा सकारात्मक नही है।उन्होंने कहा कि विभिन्न धर्मों के विकास के लिए जिस तरह राज्य एवँ केंद्र सरकार खुले दिल से विकास कर रही है,वही सनातन धर्म से जुड़े धरोहरों के विकास में सरकार नियम कानून का हवाला देती है।

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वही अखिल भारतीय जरासंध अखाड़ा परिषद ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा जरासन्ध अखाड़ा देखने के लिए जाने वाले मार्ग में बैरियर लगा दिए जाने पर चिंता व्यक्त किया है। अखाड़ा परिषद द्वारा कहा गया है कि देशी, विदेशी एवँ स्थानीय लोग जरासंध अखाड़ा भी देखने के लिए आते है लेकिन नेचर सफारी जाने के लिए सवर्ण भंडार के पास ही बैरियर लगा दिए जाने से पर्यटक अखाड़ा नही देख पा रहे हैं, साथ ही पर्यटको को लौटा भी दिया जाता है जिस कारण पर्यटक मायूस होकर वापस लौट जाते हैं। अखाड़ा परिषद ने वन एवं पर्यावरण विभाग एवं बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से जरासंध अखाड़ा जाने वाले पर्यटकों को निर्बाध रूप से जाने दिए जाने की मांग की है।

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