नालंदा कॉलेज में हिन्दी के प्राध्यापक और साहित्य के जाने माने विद्वान डॉ ईश्वर चंद्र सेवानिवृत्त हो गये। हिन्दी विषय में प्राध्यापक के तौर पर 1979 में तथा नालंदा कॉलेज में 1989 में उनका पदस्थापन हुआ था। कई शोध पत्रों एवं पुस्तकों की रचना एवं कई सारे सम्मानों से डॉ ईश्वर चंद्र को नवाजा गया। इन्होंने अपने सेवा काल में 9 पीएचडी भी गाइड के रूप में करवाये। नालंदा कॉलेज शिक्षक संघ के तरफ से आयोजित विदाई समारोह में अपने सेवा काल के अनुभव के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा की नालंदा कॉलेज का स्वर्णिम काल वह था जबकी कक्षाएँ नियमित चलती थी एवं सभी कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति बेहतरीन होती थी।
डॉ चंद्र ने बताया की उनके पिता डॉ गोपाल जी स्वर्णकिरण भी किसान कॉलेज में हिन्दी के प्रोफ़ेसर थे जो देश एवं प्रदेश में हिन्दी साहित्य को काफ़ी आगे बढ़ाया। उन्होंने आगे भी कॉलेज को सेवा देते रहने की बात कही एवं कॉलेज के आने वाले मैगज़ीन के संपादन में भी मदद करने का वादा किया। शिक्षक संघ के सचिव डॉ रत्नेश अमन ने कहा की आरा से अध्यापन कार्य की शुरुआत करने वाले डॉ चंद्र का 42 साल का अध्यापन कैरियर शानदार रहा। शिक्षक संघ की अध्यक्ष डॉ मंजु कुमारी ने कॉलेज में उनके योगदान की चर्चा की एवं भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।
प्राचार्य डॉ राम कृष्ण परमहंस भावुक होते हुए अपने साथ 33 साल कॉलेज में सहकर्मी रहने की चर्चा की एवं साथ ही कहा की कॉलेज के दरवाजे हमेशा उनके लिये खुले रहेंगे जिससे वे अपने अनुभव का लाभ कॉलेज को भी दे सकें। हिन्दी के विभागाध्यक्ष डॉ श्याम सुंदर प्रसाद कहा की अपने विभाग में डॉ ईश्वरचंद्र की कमी हमेशा महसूस करेंगे। विदाई समारोह में उपस्थित शिक्षक प्रो आरपी कच्छवे, डॉ भावना, अनिर्बान चटर्जी, डॉ बिनीत लाल, डॉ श्रवण कुमार, डॉ सुमित कुमार, डॉ शाहिदूर रहमान, डॉ उपेन मंडल, डॉ शशांक शेखर, डॉ जगमोहन, डॉ इकबाल, डॉ अनिल अकेला, डॉ संजीत, डॉ सुमन ने भी भविष्य के लिए उन्हें शुभकामनाएँ दीं एवं लंबे जीवन की कामना की।