मोगलकुआं के ऐतिहासिक गुरुद्वारे में गुरु नानक देव की जयंती मनाई गई
●गुरुनानक देव जी का 555 वां प्रकाश पर्व, गुरुद्वारों में आयोजित हुए कार्यक्रम
● गुरुनानक देव जी ने जीवन-भर ईश्वरीय ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया
● गुरु नानक देव जयंती मनाई, शबद कीर्तन से संगत को गुरुनानक के बताए रास्ते पर चलने का दिया संदेश
बिहारशरीफ, मोगलकुआं 10 नवम्बर 2024 को मोगलकुआं के ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरुनानक देव जी शाही संगत में रविवार को बड़े ही श्रद्धा के साथ बिहार सिख फेडरेशन पटना साहिब के संस्थापक त्रिलोक सिंह निषाद जी एवं गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पटना और स्थानीय गुरुनानक नामलेवा सिख श्रद्धालुओं के सहयोग से जगत गुरु श्रीगुरुनानक देव जी महाराज के 555 वां (जयंती) पावन प्रकाश उत्सव मनाया गया।
सुबह से ही गुरुद्वारा में गुरु नानक देव जी के उपासक पहुंचने लगे हैं और गुरु का प्रकाश किया और कीर्तन दरबार सजाए गए। तदुपरांत गुरुग्रंथ साहिब जी का पाठ के अलावा बिहार सिख फेडरेशन नालंदा के अध्यक्ष भाई सरदार वीर सिंह, शंखनाद के महासचिव सह सिख फेडरेशन के मीडिया प्रभारी एवं प्रवक्ता राकेश बिहारी शर्मा, गुरुद्वारा के ग्रंथी भाई रवि सिंह ने राग में राग मिलाकर शबद कीर्तन किया। इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे में गुरु नानक जयंती के उत्सव के लिए तीन दिन समर्पित किए गए हैं, जहां कीर्तन पाठ और पाठ का आयोजन किया जा रहा है।
मौके पर समारोह के मुख्य अतिथि बिहार सिख फेडरेशन पटना साहिब के संस्थापक सरदार भाई त्रिलोक सिंह निषाद जी ने बताया कि बिहार सिख फेडरेशन गुरु के वाणी और उपदेश को जन-जन तक पहुंचाने को संकल्पित है। सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम सिख गुरु श्री गुरु नानक देव जी 1506 ईं में पंजाब, बनारस, काशी, गया, राजगीर होते हुए बिहारशरीफ की ऐतिहासिक धरती पर कदम रखा और संगत को स्थापित किया था। यह गुरुद्वारा बिहारशरीफ के पंचाने नदी के तट पर श्री गुरुनानक देव जी शाही संगत के नाम से स्थित है। गुरु नानक देव जी एक कवि, एक घुमक्कड़ धार्मिक शिक्षक, एक महान समाज सुधारक और दस सिख गुरुओं में से पहले गुरु थे। संगत में उपस्थित श्रद्धालुओं ने नानक देव जी के संदेशों को आत्मसात किया। उनके संदेशों में अपने हाथों काम करना, मिल बांटकर खाना और प्रभु ईश्वर का नाम जपना है।
समारोह का संचालन निष्पादित करते हुए बिहार सिख फेडरेशन नालंदा के मीडिया प्रभारी भाई राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि श्रीगुरु नानक देव जी की शिक्षाओं के विभिन्न पहलुओं की ओर श्रोताओं का ध्यान आकर्षित करते हुए धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने में सिख धर्म के संस्थापक के योगदान पर प्रकाश डाला, क्योंकि पूज्य गुरु ने अपने जीवनकाल में ही धार्मिक आधार पर विभाजन को खत्म करने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा- आज हम लोग गुरुनानक देव जी की 555 वीं जयंती प्रकाश पर्व के रूप में मना रहे हैं। गुरुनानक जी सिर्फ सिक्खों के गुरु नहीं हैं बल्कि सभी धर्मों के लोग उन्हें मानते हैं। क्योंकि उन्होंने सभी संप्रदाय के लोगों के लिए धर्म की बातें बताई हैं।
नालन्दा फेडरेशन के अध्यक्ष सरदार भाई वीर सिंह ने कहा कि गुरुनानक देव जी ने जीवन-भर ईश्वरीय ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया। धर्म का सही ज्ञान लोगों को कराया। हिन्दू-मुस्लिम समान रूप से उनके भक्त बन गये थे। समानतावादी समाज की स्थापना की। उन्होंने प्रेम और शांति का जो संदेश लोगों को दिया, वह आज भी प्रासंगिक है।
मौके पर शाही संगत के समन्वयक भाई विनोद सिंह ने कहा कि हर साल सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती को गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती को प्रकाश उत्सव या गुरु पर्व के रूप में भी जाना जाता है, यह सिख समुदाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण अवसरों में से एक होता है।
बिहार सिख फेडरेशन नालंदा के महासचिव भाई सतनाम सिंह ने कहा कि श्रद्धालुओं के लिए लंगर की भी व्यवस्था है, जहां वे प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। कीर्तन के जरिए गुरुनानक जी के बताये मार्ग पर चल कर अपने जीवन को सफल बनाने का संदेश दिया।
बिहार सिख फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष सह प्रवंधक सरदार भाई दिलीप सिंह पटेल ने बताया कि तीन दिवसीय प्रोग्राम के आज अन्तिम दिन पाठ साहब की समाप्ति के बाद दोपहर का दीवान सजाया गया। उसके उपरान्त गुरु का अटूट लंगर वितरण किया गया है। श्रद्धालुओं को गुरु की बाणी से जोड़ा जायेगा। कीर्तन दीवान के बाद गुरुद्वारा परिसर में गुरु का अटूट लंगर लगा।
मौके पर हरनौत मगध फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के चेयरमैन चन्द्र उदय कुमार ने बताया कि सभी जीवो की सेवा सबसे बड़ा धर्म है और इस धर्म को सिख अपने गुरुद्वारा के माध्यम से देश और दुनियां में मानव सेवा कर अपना मिसाल पैदा कर रहे हैं।
वैज्ञानिक डॉ.आनंद वर्द्धन ने बिहार सिख फेडरेशन के संस्थापक भाई त्रिलोक सिंह द्वारा जो गुरुवाणी को जन-जन तक जो पहुंचाने का संकल्प लिया है मैं ह्र्दयतल से धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से भाई विनोद सिंह, रिंकू कौर, जसप्रीत कौर, एकामनी कौर, सरदार अनिल सिंह, सरदार सुखजीत सिंह, सरदार दीप सिंह, सुधांशु राज, सरिता देवी,पल्लबी कुमारी, सोहानी कुमारी, किट्टू कुमारी, सिमरण कुमारी, अलका कुमारी, गणेश कुमार, गोलू कुमार सहित सैकड़ों लोगों ने अरदास किया।