सत्ता में आरक्षण की कवायद लाने वाले आरक्षण के जनक छत्रपति साहू जी महाराज की जयंती शनिवार को आदर्शनगर राजगीर में मनाई गई। नव संस्कार सृजन परिवार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भारतीय राजतंत्र मे आरक्षण की नींव रखने वाले छत्रपति साहू जी महाराज के जीवनी पर चर्चा परिचर्चा में आरक्षण के वर्तमान स्तर पर विचार विमर्श किया गया। छत्रपति साहू जी महाराज प्रजातंत्र वादी और समाजसुधारक के रूप में जाने जाते हैं।साहू जी महाराज ने राजा रहते हुए भी दलित और शोषित वर्ग के साथ निकटता बनाये रखी और दलित वर्ग के लिए मुफ्त शिक्षा, छात्रावास आदि की व्यवस्था की। सन 1902 में ही साहू जी महाराज ने इंग्लैंड से आदेश जारी कर कोल्हापुर के शासन व्यवस्था में पचास फीसदी पद पिछड़ी और दलित जातियों के लिए आरक्षित कर दिए। महाराज के इस आदेश से कोल्हापुर शासन में पिछड़ी जातियों को अवसर प्राप्त हुआ। दलितों की दशा में बदलाव के लिए उन्होंने दो ऐसी विशेष प्रथाओं का अंत किया जो युगांतरकारी साबित हुआ।1917 में साहू जी महाराज द्वारा ब्लुतदारी प्रथा को खत्म किया जिसके तहत एक अछूत को थोड़ी सी ज़मीन देकर बदले में उससे और उसके परिवार वालो से पूरे गांव के लिए मुफ्त सेवाएं ली जाती थी।उसी तरह 1918 में उन्होंने कानून बनाकर राज्य की एक और पुरानी प्रथा वतनदारी का अंत किया तथा भूमि सुधार लागू कर महारो को भूस्वामी बनने का हक दिलाया।
कार्यक्रम के आयोजक मनोहर कुमार चौधरी ने कहा कि एक महाराजा होने के बाबजूद जब साहू जी महाराज को ब्राह्मणों ने तिलक लगाने से मना कर दिया तब साहू जी महाराज ने शोषित,वंचित वर्ग के लिए सत्ता में आरक्षण की कवायद करनी शुरू कर दी। सत्ता में आरक्षण आजादी के पहले ही मिल गयी थी।गुलाम भारत मे भी सत्ता में आरक्षण की कवायद शुरू हुई और शासन व्यवस्था में पचास फीसदी आरक्षण पिछड़ी और दलित जातियों के लिए किया गया था।अधिवक्ता विश्वनाथ प्रसाद ने कहा कि वर्तमान अवधि में आरक्षण के साथ राजनीतिक दलें खिलवाड़ कर रही है।साहू जी महाराज के सपनो को साकार करने के लिए अभी भारत के लोगो को लम्बी लड़ाई लड़नी होगी।उन्होंने कहा कि भारत की राजनीतिक व्यवस्था में पिछड़े वर्ग के हितैषीयो को शासन व्यवस्था में अनदेखी की जा रही है।उन्होंने कहा कि भारत की शासन व्यवस्था से जुड़े लोग दलित और पिछड़े वर्ग के होने के बाबजूद सत्ता के नशे में पिछड़े,दलितों की आरक्षण व्यवस्था पर चोट होते देख भी मूकदर्शक हैं।उन्होंने कहा कि भारत की पाठ्यपुस्तक से साहू जी महाराज जैसे शख्सियत को ओझल कर देना भारत की शासन व्यवस्था में सामंतवादी विचारधारा का कुठाराघात है।
कार्यक्रम का संचालन सुखनारायन प्रसाद गुप्ता ने किया। कार्यक्रम को कृष्णनंदन प्रसाद मेहता,रामकिशोर प्रसाद,श्याम किशोर भारती, मो एहतेशाम मल्लीक,सुरेंद्र प्रकाश आर्य,अधिवक्ता विश्वनाथ प्रसाद, अधिवक्ता आशुतोष कुमार,विनोद कुमार शर्मा,रवि कुमार प्रकाश,कुमार पंकज सहित अन्य लोगों ने संबोधित किया।