बिहारशरीफ के अंबेडकर चौक पचास मोड स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के तत्वाधान में फातिमा शेख की चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित करते हुए जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।इस अवसर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान एवं प्रदेश अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने संयुक्त रूप से कहा कि फातिमा शेख एक भारतीय शिक्षिका और समाज सुधारक थी, जो समाज सुधार को ज्योतिबा राव फुले और सावित्रीबाई फुले के कंधे से कंधे मिलकर शिक्षा को अलख जगाने के काम किये। इनका जन्म 9 जनवरी 1831 को हुई थी। फातिमा शेख के भाई उस्मान शेख ज्योतिबा फुले के मित्र थे। ज्योतिबा फुले के पिता गोविंद राव ने जब समाज के दबाव में आकर अपने बेटे बहु द्वारा अछूत लड़कियों को पढ़ने का काम बंद करने को कहा तो ज्योतिबा ने कहा वह यह काम बंद नहीं करेंगे। भारत में महिला शिक्षा में फूले दंपति का बड़ा योगदान रहा है और उनके साथ फातिमा शेख का भी नाम जुड़ा जुड़ता है। इनकी मृत्यु 9 अक्टूबर 1900 को हुई थी। उस समय मुस्लिम समाज की महिला पर्दे में रहती थी और घर से नहीं निकलती थी,
लेकिन ऐसे समय में फातिमा शेख ने पर्दे में न रहकर घर से बाहर निकाल कर लड़कियों को फूले दंपति के साथ मिलकर पढ़ने का काम की, जो सहनीय कदम है। अधिवक्ता आशुतोष कुमार मुखर्जी एवं कल्याण कुमार ने संयुक्त रूप से कहा कि माता फातिमा शेख ने ऐसे समय में पढ़ाने काम की जिस समय बालिका को पढ़ने पर पाबंदी लगा हुआ था उसे पर पाबंदी को तोड़कर फातिमा शेख लड़कियों को शिक्षा देने के काम किया आज उन्हीं का देन है कि आधुनिक भारत में बालिका एवं महिलाएं पढ़े लिखकर आगे बढ़ रही है। इस अवसर पर उपस्थित सभी ने एक स्वर से फातिमा शेख के रास्ते पर चलकर शिक्षा को आगे बढ़ने का संकल्प लिए। इस मौके पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष नंदलाल दास जिला उपाध्यक्ष महेंद्र प्रसाद सहसचिव मोहन चौधरी महिला प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष लालति देवी गुंजन कुमारी भोला पासवान आदि लोगों उपस्थित थे