नालंदा के मा0लोकसभा सदस्य, श्री कौशलेन्द्र कुमार ने नियम-377 के तहत लोकसभा में देश के बंटाईदार किसानों का मामला उठाते हुए कहा कि देश में करोड़ों भूमिहीन किसान भू-स्वामियों से जमीन बंटाई पर लेकर खेती बारी करते हैं और अपनी आजीविका चलाते हैं। यही किसान बटाईदार किसान कहलाता है। बटाईदारी में या तो एक मुस्त रक़म ज़मीन के रक़बे के हिसाब से भू-स्वामी वसूलते हैं या उपज का आधा हिस्सा भू-स्वामी को बटाईदारों से निश्चित रूप से मिलता है।सांसद महोदय ने कहा कि यहीं से बटाईदारी किसानों की परेशानी शुरू होती है। खेतीबारी में सारा खर्च व मेहनत, मजदूरी सब करना होता है। किन्तु किसान का हक़ उन्हें नहीं है। अगर प्राकृतिक आपदा आई, तो मुआब़जा सरकार उन्हें नहीं देती है। क्योंकि ज़मीन के वे स्वामी नहीं होते हैं। अब खाद-बीज़ पर सब्सिडी भी बटाईदारों को नहीं मिलता है। उन्हें बाज़ार से मंहगे खाद, बीज खरीदना पड़ता है। खेती में उयोग होने वाले कृषि-यंत्र पर कोई छूट उन्हें नहीं मिलता है।
श्री कुमार ने कहा कि अब प्रश्न यह है कि वास्तव में किसान कौन है? बटाईदार या भू-स्वामी। इसी प्रकार पीएम किसान सम्मान पेंशन के भी वे हक़दार नहीं हैं।सांसद महोदय ने केन्द्र सरकार से माँग करते हुए कहा कि देश में बटाईदार किसानों का सर्वे कराकर उनका रजिस्ट्रेशन कराया जाये। उन्हें भी किसान का दर्ज़ा दिया जाये और उन्हें भी सभी किसानों के समान ही खाद, बीज की सब्सिडी और पीएम किसान सम्मान पेंशन दिया जाये। जिससे कि करोड़ों बटाईदार किसान भाईयों को भी बराबरी का हक़ मिल सके।
हिंदुस्तान के आन बान शान है किसान -सांसद कौशलेंद्र
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